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यूपी- बिहार को पीछे छोड़ ये राज्य बना गाली देने के मामले में NO. 1

Delhi में मां बहन बेटियों पर अपशब्दों का इस्तेमाल करने में मां बहन बेटियां भी कम नहीं है. यहां सिर्फ मर्द ही नहीं लड़कियां भी गाली देने में सबसे आगे हैं. सर्वे के मुताबिक़, Delhi के 80 प्रतिशत लोग गाली देते हैं इस लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम Kashmir है.

21 Jul, 2025
( Updated: 22 Jul, 2025
07:55 AM )
यूपी- बिहार को पीछे छोड़ ये राज्य बना गाली देने के मामले में NO. 1

कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब गालियां खा के बे-मज़ा न हुआ. यानी तेरे लब से निकली गाली भी इतनी मीठी की दुश्मन खुश हो जाए. मिर्जा गालिब का ये शेर आज भी उतना ही सच्चा लगता है…फर्क बस इतना है कि पहले गालियां इश्क में कशिश की तरह लगती थीं, आज ये मॉर्डन ज़माने की पहचान बन गई…जब ग़ालिब ने जबान की मिठास पर ये शेर लिखा था, तब गालियां महज तल्ख मोहब्बत का हिस्सा होती थीं, लेकिन आज के दौर में ये फ़ैशन बन गई हैं. गाली जो कभी ग़ुस्से में निकलती है. कभी मजाक में,तो कभी ताक़त दिखाने के लिए दी जाती है. गाली मानों लत बन गई है और ये लत भारत में ज़्यादातार लोगों को लग चुकी है...

गाली देने में भारत के कुछ राज्यों ने तो टॉप कर दिया है…वो भी फुल मार्क्स के साथ…ये हम नहीं सर्वे रिपोर्ट बता रही हैं…तो चलिए जानते हैं देश के कौनसे शहर में हैं सबसे ज़्यादा गालीबाज…और कौन है तहजीबदार चलिए जानते हैं..

गाली देने के मामले में दिल्ली ने किया टॉप
वो शहर जो देश का दिल है…शान है…ब्यूरोक्रेट्स से लेकर नेताओं तक की मंज़िल है…भारत ही नहीं जिसे दुनिया, उसकी विरासत, तहज़ीब और दिल से जानती है…वो शहर है दिल्ली…लेकिन देश की राजधानी दिल्ली अब गालियों की राजधानी बन गई है..ये खुलासा हुआ है एक सर्वे में…सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के लोग सबसे ज्यादा गाली देते हैं, दिल्ली में रहने वाले मां, बहन और बेटी के लिए भर भरकर अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं…और हां दिल्ली में मां बहन बेटियों पर अपशब्दों का इस्तेमाल करने में मां बहन बेटियां भी कम नहीं है. यहां सिर्फ मर्द ही नहीं लड़कियां भी गाली देने में सबसे आगे हैं. सर्वे के मुताबिक़, दिल्ली के 80 प्रतिशत लोग गाली देते हैं 

सुनील जागलान ने गाली बंद घर अभियान चलाया
दरअसल, सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के फाउंडर और महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस डॉक्टर सुनील जागलान ने गाली बंद घर अभियान चलाया था, इसके तहत एक सर्वे किया गया, 
इस सर्वे में 11 साल में करीब 70 हजार लोगों को शामिल किया. इन लोगों में युवा, माता-पिता, टीचर, डॉक्टर, ऑटो ड्राइवर, स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट, पुलिसकर्मी, वकील, बिजनेसमैन, सफाईकर्मी, प्रोफेसर, पंचायत सदस्य शामिल थे.

सर्वे में लगभग हर वर्ग को शामिल किया गया. इसमें पाया कि गाली देने में सबसे अव्वल तो देश की राजधानी दिल्ली है…जहां सोशल मीडिया से लेकर सड़कों, क्लबों, यहां तक कि स्कूल कॉलेज में भी गाली देना आम बात हो गई है. अब गालीबाज प्रदेश की लिस्ट में शामिल बाक़ी राज्यों की रैंक भी बता देते हैं, दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर गाली देने में जिस राज्य का नाम आता है वो है पंजाब…

दिल्ली के बाद टॉप गालीबाज राज्य कौन से हैं?
पंजाब में 78 प्रतिशत लोग अपशब्दों या गाली का इस्तेमाल करते हैं
इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है 
UP में 74 % लोग अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं 
चौथे नंबर पर बिहार का नाम है 
(यहां भी UP की तरह ही ) 74 % लोग अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं 
पांचवे पायदान पर है राजस्थान का नाम 
जहां 68 % लोग गाली देकर बात करते हैं 
तो छठे नंबर पर है हरियाणा का नाम 
जहां 62 % लोग गालीबाज हैं
इस लिस्ट में सातवें पायदान पर है महाराष्ट्र 
जहां 58 % लोग अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं 
वहीं, लिस्ट में आठवां नाम गुजरात का है 
जहां 55 % लोग गाली का इस्तेमाल करते हैं 
जबकि मध्य प्रदेश नौंवे स्थान पर है 
जहां 48 % लोग गाली देकर बात करते है 
वहीं, दसवें नंबर पर है पहाड़ी राज्य उत्तराखंड 
जहां 45 % लोग गाली में बात करते हैं 

गाली देने के मामले में कितने नंबर पर कश्मीर
लिस्ट में गौर करने वाली बात ये है कि कुछ राज्य रैंक के हिसाब से भले ही पीछे हों लेकिन उनमें भी गाली देने वाले लोग अच्छी खासी तादाद में हैं. हालांकि इस लिस्ट में कश्मीर का भी नाम है. कश्मीर गालीबाज प्रदेश की लिस्ट में 11वें नंबर पर है. जहां     15 % लोग अपशब्द या गाली देते हैं. ये पर्सेंटेज कम ज़रूर है लेकिन अच्छा नहीं…लोग यहां भी गाली तो देते ही हैं…वहीं, नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की बात करें तो यहां भी गाली देने वालों का Percentage 20 से 30 है. 

गाली के बढ़ते चलन पर क्या बोले सुनील जागलान  
भारत में गाली देने के बढ़ते चलन पर इस सर्वे के आयोजक डॉक्टर सुनील जागलान का कहना है, “गाली देना कोई संस्कार नहीं, बल्कि एक बीमारी है. जब बच्चा बड़ा हो रहा होता है और वह फोन पर या आसपास गाली सुनता है तो वह उसके दिमाग में बैठ जाती है, फिर वही उसकी आदत में शुमार हो जाती है, (प्रोफ़ेसर जागलान ने बताया कि) गाली बंद घर अभियान की शुरुआत साल 2014 में की थी, इस अभियान के तहत पूरे देश की 60 हजार से ज्यादा जगहों पर गाली बंद घर के चार्ट भी लगाए जा चुके हैं.”

प्रोफ़ेसर जागलान का ये अभियान देश ही नहीं दुनियाभर में चर्चित हो गया. इस मुहीम के पीछे उनका मक़सद बढ़ती भाषाई गंदगी को रोकना है…जो गाली मर्दानगी में…कूल दिखने में…शॉक में…दी जाती है..गाली में लिपटी भाषा भला किसे सुकून दे सकती है…

गालियां देने में क़ॉमेडियन और कॉन्टेंट क्रिएटर भी कम नहीं
कभी सड़क पर, कभी सोशल मीडिया पर…कभी इंस्टाग्राम की रीलों में…गालियों की ऐसी बहार आई है कि जिसे देखो वही गालियां बरसा रहा है, क़ॉमेडियन हों या कॉन्टेंट क्रिएटर…गाली के बिना उनका कॉन्टेंट अधूरा है…कभी हरिशंकर परसाई के व्यंग की धार से हंसी मज़ाक़ में नेताओं तक को आईना दिखा दिया जाता था आज उन्हीं व्यंग की जगह गालियों ने ले ली…एक इंटरव्यू में मशहूर गीतकार जावेद अख़्तर ने कहा था, जिनके पास शब्द नहीं होते, अगर आप अच्छी भाषा बोलते हैं तो आपको इस गाली की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.

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 कुछ लोग कॉन्टेंट में एनर्जी लाने के लिए गाली देते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि जो लोग वल्गर लिखते और बोलते है उन्हें साइकेट्रिस्ट की ज़रूरत है. ऐसे में सवाल उठता है क्या वाक़ई गालियां इतनी शीरीं हो गई हैं, कि हम सुनकर भी बे-मज़ा नहीं होते ?

ग़ालिब ने तंज़ किया था, आज वो तंज हक़ीक़त बन गया है…गाली तो जुबां से निकली वो चीज है जो रिश्तों की जड़ तक को हिला सकती है…तो सोचें समझें और अपने शहर को ख़ुद को गालीबाज की लिस्ट में आने से बचाएं. ये लिस्ट सर्वश्रेष्ठ की नहीं बल्कि बीमारों की है. 

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