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बाटला हाउस में जिन अवैध निर्माणों पर चलेगा बुलडोजर, क्या उन्हें मुआवजा भी मिलेगा? जानिए

बाटला हाउस में चल रही बुलडोजर कार्रवाई पूरी तरह से कानून के दायरे में है. जब नोटिस देकर कार्रवाई की जा रही हो, तब मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं होता. यह कार्रवाई न्यायिक रूप से उचित मानी जाती है. ऐसे में अगर किसी का मकान गिरता है, तो वह प्रशासनिक और कानूनी दृष्टिकोण से वैध माना जाएगा और उस स्थिति में सरकार या नगर निगम पर मुआवजा देने की कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती.

28 May, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
06:52 AM )
बाटला हाउस में जिन अवैध निर्माणों पर चलेगा बुलडोजर, क्या उन्हें मुआवजा भी मिलेगा? जानिए
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Batla House Demolition Compensation Rulesदिल्ली के बाटला हाउस इलाके में प्रशासन की ओर से अवैध निर्माणों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इस इलाके में कई ऐसे मकान हैं जो या तो सरकारी जमीन पर बनाए गए हैं या पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. प्रशासन ने हाल ही में इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नोटिस जारी किए हैं, जिनमें 10 जून 2025 तक का समय दिया गया है ताकि वे अपने मकानों को स्वयं खाली कर दें या आवश्यक कानूनी दस्तावेज प्रस्तुत करें.

क्या मुआवजा मिलेगा? प्रशासनिक स्थिति क्या कहती है?

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिनके मकानों पर बुलडोजर चलेगा, क्या उन्हें कोई मुआवजा मिलेगा? इसका जवाब सीधा है—नहीं मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रशासन ने कानूनी प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया है. जब कोई निर्माण अवैध रूप से किया गया होता है और उस पर कार्यवाही के लिए पहले विधिवत नोटिस जारी किया जाता है, तो उस स्थिति में मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं होता.

बाटला हाउस के जिन निवासियों को नोटिस दिए गए हैं, उन्हें स्पष्ट रूप से 10 जून तक का समय दिया गया है ताकि वे आगे की कार्यवाही के लिए तैयार रहें. यदि इस समयसीमा के बाद भी वे मकान खाली नहीं करते या अवैध निर्माण नहीं हटाते, तो प्रशासन अपनी कार्रवाई करेगा और बुलडोजर से मकान गिराना पूरी तरह से वैध और न्याय संगत माना जाएगा.

कानूनी प्रक्रिया का पालन क्यों ज़रूरी है?

कई बार देखा गया है कि यदि किसी निर्माण को बिना नोटिस के अचानक गिराया जाता है, तो अदालतें उस कार्यवाही को गलत मान सकती हैं और प्रभावित व्यक्ति को मुआवजा देने का आदेश दे सकती हैं. लेकिन जब सरकार या प्रशासन पहले से नोटिस देकर समय देती है, तो फिर किसी तरह का मुआवजा देने का कानूनी आधार नहीं बचता.

बाटला हाउस में भी प्रशासन ने यही किया है—पहले लिखित नोटिस दिए, फिर समय दिया और अब समयसीमा पूरी होने के बाद बुलडोजर चलाने की तैयारी कर रहा है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान लोगों को अपने पक्ष रखने और दस्तावेज पेश करने का पूरा मौका मिला है.

 प्रभावित लोगों के लिए क्या विकल्प हैं?

जिन लोगों को नोटिस मिला है, उनके पास दो मुख्य विकल्प हैं:

1. अगर मकान वैध है तो समय रहते अपने दस्तावेज़ प्रशासन को दिखाएं और कार्रवाई को रुकवाएं.

2. अगर निर्माण अवैध है और कोई कानूनी सहारा नहीं है, तो खुद ही मकान खाली करें ताकि बुलडोजर कार्रवाई के समय कोई जान-माल की हानि न हो.

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 बुलडोजर कार्रवाई में मुआवजा क्यों नहीं मिलेगा?

बाटला हाउस में चल रही बुलडोजर कार्रवाई पूरी तरह से कानून के दायरे में है. जब नोटिस देकर कार्रवाई की जा रही हो, तब मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं होता. यह कार्रवाई न्यायिक रूप से उचित मानी जाती है. ऐसे में अगर किसी का मकान गिरता है, तो वह प्रशासनिक और कानूनी दृष्टिकोण से वैध माना जाएगा और उस स्थिति में सरकार या नगर निगम पर मुआवजा देने की कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती.

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