Railway Rules: एक कोच में 100 या 250 यात्री? अब जनरल कोच में सिर्फ 150 टिकट ही होंगे जारी
जनरल कोच निश्चित रूप से आम यात्रियों के लिए एक राहत की तरह है, लेकिन इसकी सीमाएं और जोखिम भी हैं. यदि सभी यात्री अपनी जिम्मेदारी समझें और तय सीमा से अधिक भीड़ न करें, तो यह कोच सुरक्षित, सस्ता और सुगम सफर का एक बेहतरीन माध्यम बन सकता है. रेलवे भी अगर इस दिशा में सख्ती और बेहतर प्लानिंग अपनाए, तो यात्रियों को और भी बेहतर अनुभव मिल सकता है.

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Railway Rules: भारतीय रेलवे में हर यात्री की ज़रूरत और बजट को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग कोच की व्यवस्था की जाती है. इनमें जनरल कोच, जिसे अनरिज़र्व्ड कोच भी कहा जाता है, सबसे ज्यादा डिमांड में रहता है. यह कोच उन लोगों के लिए आदर्श है जो बिना रिजर्वेशन के और कम खर्च में यात्रा करना चाहते हैं. जनरल कोच लगभग हर ट्रेन में होता है और इसकी टिकट सबसे सस्ती होती है, यही वजह है कि यह हमेशा यात्रियों से खचाखच भरा रहता है. इस कोच में सीटें आरक्षित नहीं होतीं, यानी जो पहले पहुंचेगा, उसे सीट मिलेगी वरना खड़े रहकर भी सफर करना पड़ सकता है...
जनरल कोच में कितने यात्रियों की होती है अनुमति?
अक्सर देखा गया है कि जनरल कोच में यात्रियों की संख्या बहुत अधिक हो जाती है, खासकर त्योहारों, छुट्टियों या किसी विशेष अवसर पर. यह सवाल कई लोगों के मन में आता है कि क्या इसमें किसी भी संख्या में यात्री सफर कर सकते हैं? तो इसका जवाब थोड़ा पेचीदा है. रेलवे ने जनरल कोच की सवारी के लिए कोई सख्त अधिकतम सीमा आधिकारिक रूप से तय नहीं की है, लेकिन इसका एक अनुमानित कैपेसिटी सेट की गई है.
आमतौर पर जनरल कोच को इस तरह डिज़ाइन किया जाता है कि उसमें 90 से 100 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था हो सके. इसके अतिरिक्त कुछ जगह खड़े यात्रियों के लिए भी होती है.लेकिन जब यात्रियों की संख्या बढ़ती है, तो एक कोच में 200 से 250 लोग भी सफर करते देखे जाते हैं. यह स्थिति यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा दोनों पर असर डालती है.
सुरक्षा के लिए रेलवे के दिशा-निर्देश और प्रयास
रेलवे का नियम स्पष्ट रूप से कहता है कि किसी कोच में उसकी निर्धारित क्षमता से अधिक यात्रियों को चढ़ने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. ऐसा करना यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है. अधिक भीड़ से हादसे, चोरी, बीमारियों और असुविधा की संभावना बढ़ जाती है.
इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए रेलवे समय-समय पर कदम भी उठाता है. भीड़भाड़ वाले रूट्स पर अतिरिक्त जनरल कोच जोड़े जाते हैं या फिर स्पेशल ट्रेनें चलाई जाती हैं, ताकि यात्रियों का दबाव कम किया जा सके. हाल ही में रेलवे ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ट्रायल के तौर पर जनरल कोच में सिर्फ 150 टिकट जारी करने का नियम लागू किया है. इस पहल का उद्देश्य भीड़ को नियंत्रित करना और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव देना है.
सस्ते में सफर, लेकिन जिम्मेदारी से
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जनरल कोच निश्चित रूप से आम यात्रियों के लिए एक राहत की तरह है, लेकिन इसकी सीमाएं और जोखिम भी हैं. यदि सभी यात्री अपनी जिम्मेदारी समझें और तय सीमा से अधिक भीड़ न करें, तो यह कोच सुरक्षित, सस्ता और सुगम सफर का एक बेहतरीन माध्यम बन सकता है. रेलवे भी अगर इस दिशा में सख्ती और बेहतर प्लानिंग अपनाए, तो यात्रियों को और भी बेहतर अनुभव मिल सकता है.
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