ब्लैकआउट में किन लोगों को मिलती है छूट? जानिए नियम और आदेश
ब्लैकआउट के दौरान कुछ विशेष नियमों और निर्देशों का पालन किया जाता है, ताकि सुरक्षा एजेंसियों को युद्ध जैसी स्थितियों में संचालन में कोई रुकावट न हो. साथ ही, इसमें कुछ लोगों को छूट भी दी जाती है.

Blackout Rules: भारत में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश में सुरक्षा को लेकर अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही है. भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, जिसमें आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. इसके बाद पाकिस्तान द्वारा भारत के कई शहरों में अटैक किए गए, खासकर जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तानी सीमा के सटे राज्यों में. इस संकटपूर्ण स्थिति के चलते कुछ जगहों पर ब्लैकआउट की स्थिति लागू की गई है, ताकि नागरिकों और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.
ब्लैकआउट के दौरान कुछ विशेष नियमों और निर्देशों का पालन किया जाता है, ताकि सुरक्षा एजेंसियों को युद्ध जैसी स्थितियों में संचालन में कोई रुकावट न हो. साथ ही, इसमें कुछ लोगों को छूट भी दी जाती है. आइए जानते हैं ब्लैकआउट के दौरान क्या होता है, इसके नियम क्या हैं, और किसे मिलती है छूट.
ब्लैकआउट क्या है और इसके नियम क्या होते हैं?
ब्लैकआउट का मतलब है, किसी विशेष क्षेत्र में सभी प्रकाश स्रोतों को बंद कर देना, ताकि दुश्मन द्वारा हवाई हमले या अन्य सैन्य हमलों से बचा जा सके. यह आमतौर पर युद्ध के दौरान किया जाता है, जब सुरक्षा के लिहाज से शहरों और इलाकों को पूरी तरह से अंधेरे में रखा जाता है. भारत में जब युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो सुरक्षा एजेंसियों के निर्देश पर कई शहरों और इलाकों में ब्लैकआउट किया जाता है.
ब्लैकआउट के नियमों के तहत, सभी बाहरी प्रकाश को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है. घरों में भी सिर्फ जरूरी रोशनी के लिए सीमित लाइटिंग का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, सार्वजनिक स्थलों, सड़कों और व्यापारिक क्षेत्रों में भी रोशनी बंद कर दी जाती है ताकि दुश्मन की सेना को किसी भी तरह की जानकारी या निशान नहीं मिल सके.
ब्लैकआउट के दौरान किन लोगों को मिलती है छूट?
ब्लैकआउट के दौरान सामान्य गतिविधियों को पूरी तरह से रोक दिया जाता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं और कार्यों के लिए विशेष छूट प्रदान की जाती है. यह छूट सुनिश्चित करती है कि आपातकालीन सेवाएं और अन्य जरूरी कार्य बिना किसी रुकावट के जारी रह सकें.
आपातकालीन सेवाएं:
सबसे पहले, आपातकालीन सेवाओं को छूट दी जाती है। इसमें एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, और पुलिस बल शामिल हैं। इन सेवाओं के लिए जरूरी मार्गों पर रोशनी और अन्य संसाधनों को सुरक्षित रखा जाता है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में त्वरित सहायता प्रदान की जा सके.
सैन्य ठिकाने और हवाई अड्डे:
सैन्य ठिकानों, हवाई अड्डों और अन्य महत्वपूर्ण सुरक्षा केंद्रों को भी छूट दी जाती है। ये क्षेत्र युद्ध के समय अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए यहां पर सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त उपाय किए जाते हैं.
हस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं:
ब्लैकआउट के दौरान हस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं को भी छूट दी जाती है, ताकि वहां की आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं बिना रुकावट के जारी रह सकें.
भारत में कहां-कहां लागू किया गया ब्लैकआउट?
1. पाकिस्तान द्वारा ड्रोन हमलों के बाद भारत के कुछ प्रमुख शहरों में ब्लैकआउट लागू किया गया है. इन शहरों में ब्लैकआउट को सुरक्षा कारणों से लागू किया गया है.
2. पंजाब के जालंधर, चंडीगढ़ और पठानकोट जैसे शहरों में ब्लैकआउट किया गया है.
3. इसके अलावा, गोल्डन टैंपल में भी ब्लैकआउट किया गया है ताकि धार्मिक स्थल पर कोई खतरा न हो.
4. जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, उधमपुर, सांबा, अखनूर और किश्तवाड़ जैसे इलाकों में भी ब्लैकआउट लागू किया गया है.
5. ब्लैकआउट का उद्देश्य सुरक्षा के लिहाज से इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचना है और दुश्मन द्वारा होने वाली कोई भी सैन्य गतिविधि को रोका जा सके.
ब्लैकआउट युद्ध जैसी स्थिति में सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नागरिकों और सैन्य बलों को विभिन्न हमलों से बचाने में मदद करता है. इसमें सामान्य गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है और कुछ खास सेवाओं को काम करने की छूट दी जाती है, ताकि आवश्यक कार्य बिना किसी रुकावट के चल सकें. भारत में हाल की स्थिति को देखते हुए कई शहरों और इलाकों में ब्लैकआउट लागू किया गया है, जो देश की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.