अवैध धर्मांतरण पर चला धामी सरकार हंटर, भारी जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा का कड़ा प्रावधान
बुधवार 13 अगस्त को उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी गई. जिसके तहत गंभीर मामलों में आजीवन कारावास तक की सजा और भारी जुर्माने जैसे प्रावधान जोड़े दिए गए हैं. अब अवैध धर्मांतरण कराने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी.
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उत्तराखंड में अवैध धर्मांतरण पर नकेल कसने के लिए सराकर ने बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इससे जुड़े एक विधेयक को मंजूरी दे दी गई. बुधवार 13 अगस्त को उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी गई. जिसके तहत गंभीर मामलों में आजीवन कारावास तक की सजा और भारी जुर्माने जैसे प्रावधान जोड़े दिए गए हैं.
बता दें कि इस विधेयक में अवैध धर्मांतरण पर सख्त सजा के साथ-साथ डिजिटल माध्यम से प्रचार पर रोक और पीड़ितों की सुरक्षा के लिए कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं. इसमें ‘प्रलोभन’ की परिभाषा को और विस्तृत किया गया है, जिसके तहत उपहार, नकद या वस्तु लाभ, रोजगार, निःशुल्क शिक्षा, विवाह का वादा, धार्मिक आस्था को आहत करना या किसी अन्य धर्म का महिमामंडन—इन सभी को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान
इसमें डिजिटल माध्यमों पर रोक लगाते हुए सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के जरिए धर्मांतरण के लिए प्रचार, प्रलोभन या उकसाने जैसे कार्यों को दंडनीय अपराध माना गया है. विधेयक में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. साधारण उल्लंघन पर तीन से 10 वर्ष तक की कैद, संवेदनशील वर्ग से जुड़े मामलों में पांच से 14 वर्ष तक की कैद, जबकि गंभीर मामलों में 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और भारी जुर्माने तक की सजा दी जा सकती है.
विधेयक के मुख्य बिंदु
1. प्रलोभन की परिभाषा को विस्तृत करते हुए उपहार, नकद या वस्तु लाभ, रोजगार, निःशुल्क शिक्षा, विवाह का वचन, धार्मिक आस्था को आहत करना या दूसरे धर्म का महिमामंडन इन सभी को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है.
2. डिजिटल साधनों पर रोक के तहत सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण के लिए प्रचार या उकसाना दंडनीय होगा.
3. सामान्य उल्लंघन पर 3 से 10 वर्ष, संवेदनशील वर्ग से जुड़े मामलों में 5 से 14 वर्ष, जबकि गंभीर मामलों में 20 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और भारी जुर्माना.
4. गलत पहचान बनाकर या धर्म छिपाकर विवाह करने पर सख्त दंड.
5. पीड़ित के अधिकारों की रक्षा के साथ पुनर्वास, चिकित्सा, यात्रा और भरण-पोषण व्यय की व्यवस्था.
नाबालिग या मानव तस्करी करना सजा के दायरे में आएगा
गलत पहचान बनाकर या धर्म छिपाकर विवाह करने पर सख्त दंड, साथ ही पीड़ित के संरक्षण, पुनर्वास, चिकित्सा, यात्रा और भरण-पोषण व्यय की व्यवस्था को भी विधेयक में शामिल किया गया है. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन के तहत सभी ऐसे अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाया गया है, जिनका विचारण सत्र न्यायालय में होगा. संशोधन के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन कराने के लिए किसी को जीवन या संपत्ति के भय में डालता है, तो उसे न्यूनतम 20 वर्ष की सजा होगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. इसमें धर्म परिवर्तन के लिए हमला करना, बल प्रयोग करना, शादी या विवाह का झांसा देना भी अपराध की श्रेणी में शामिल होगा. इसके अलावा, किसी नाबालिग की तस्करी या बिक्री भी इसी सजा के दायरे में आएगी. ऐसे अपराधियों पर लगाया जाने वाला जुर्माना पीड़ित की चिकित्सा, पुनर्वास और सहायता पर खर्च किया जाएगा.
राज्य सरकार ने क्या कहा?
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राज्य सरकार ने कहा कि यह कानून नागरिकों के धार्मिक अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए, धोखाधड़ी, प्रलोभन या दबाव से होने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाएगा और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखेगा.
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