टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में कलह जारी, कई नेताओं ने सौंपा इस्तीफा, बोले - 10 सीट भी नहीं जीत पाएगी पार्टी
कांग्रेस पार्टी द्वारा टिकट से वंचित रहने वाले नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि पार्टी में जो कुछ भी हुआ है. उसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता आनंद माधवन ने रिसर्च सेल से अपना इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा मीडिया से बातचीत के दौरान मंच पर गजानंद शाही, छत्रपति यादव, रंजन सिंह, नागेंद्र प्रसाद, बच्चू प्रसाद, राजकुमार राजन, बंटी चौधरी और कई अन्य नेता भी मौजूद रहे.
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बिहार में महागठबंधन के बीच सीटों को लेकर तनातनी का दौर जारी है. टिकट बंटवारे को लेकर RJD और कांग्रेस के बीच कलह की खबरें सामने आई हैं. इस बीच RJD ने 143 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इनमें 12 सीटों पर महागठबंधन पार्टियों के उम्मीदवार एक-दूसरे के सामने भिड़ते नजर आ रहे हैं. वहीं कांग्रेस के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर सबसे ज्यादा कलह देखने को मिल रहा है, पार्टी के कई नेता प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और प्रभारी कृष्ण अल्वारु पर आरोप लगा रहे हैं कि दोनों ने टिकट बंटवारे में बड़ी धांधली की है और पैसे के बदले टिकट दिए हैं. इस बीच कांग्रेस में रिसर्च सेल के अध्यक्ष और प्रवक्ता रहे आनंद माधवन ने कहा है कि बिहार चुनाव में कांग्रेस डबल डिजिट तक भी नहीं पहुंच पाएगी.
कांग्रेस को परिणाम भुगतना पड़ेगा
कांग्रेस पार्टी द्वारा टिकट से वंचित रहने वाले नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि पार्टी में जो कुछ भी हुआ है. उसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता आनंद माधवन ने रिसर्च सेल से अपना इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा मीडिया से बातचीत के दौरान मंच पर गजानंद शाही, छत्रपति यादव, रंजन सिंह, नागेंद्र प्रसाद, बच्चू प्रसाद, राजकुमार राजन, बंटी चौधरी और कई अन्य नेता भी मौजूद रहे.
छत्रपति यादव को नहीं मिला टिकट
छत्रपति यादव को इस बार खगड़िया से टिकट नहीं दिया गया है. जबकि वह इस सीट से विधायक थे, उनकी जगह AICC सचिव चंदन यादव को मैदान में उतारा गया है. चंदन 2020 में बेलदौर सीट से JDU प्रत्याशी के तौर पर लड़े थे, लेकिन उन्हें हार मिली थी. पार्टी से इस्तीफा दे चुके माधवन ने यह भी कहा है कि किसी विधायक का टिकट काटा भी जाता है, तो उसे कहीं और से चुनाव में उतारना चाहिए. ऐसे नजरअंदाज करना अच्छा संकेत नहीं है.
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष और प्रभारी पर लगा दलाली का आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कृष्णा अल्लावरु और शकील अहमद खान तीनों ने मिलकर टिकटों की दलाली की है. वह राहुल गांधी के साथ पार्टी को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं.
सीटों के बंटवारे का फार्मूला सामने नहीं आया
महागठबंधन में 17 अक्टूबर को पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन समय सीमा खत्म होने के बाद भी सीटों के बंटवारे का फार्मूला अभी तक तय नहीं हो पाया है. महागठबंधन की सभी पार्टियों के उम्मीदवारों ने स्वतंत्र रूप से नामांकन दाखिल किया है. इनमें कई ऐसी सीटें हैं, जिनमें दल के उम्मीदवार एक-दूसरे के सामने भिड़ते नजर आ रहे हैं.
महागठबंधन में 'फ्रेंडली फाइट'
देखा जाए तो महागठबंधन की घटक दलों में तालमेल के अभाव के चलते फ्रेंडली फाइट जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. दल के उम्मीदवारों ने अपने तीर का तरकश एक-दूसरे की तरफ ही तान दिया है. इससे NDA दल को बड़ा फायदा मिलने की बात कही जा रही है. महागठबंधन के एक से ज्यादा उम्मीदवारों का एक ही सीट पर लड़ना वोट बंटवारे का भी कारण बनेगा. इनमें कई सीटों पर बड़ी हार मिल सकती है और एनडीए को करीबी मुकाबले में निर्णायक बढ़त मिलने की उम्मीद है.
नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर
बता दें कि सीटों और उम्मीदवारों को लेकर चल रही तनातनी के बीच महागठबंधन के नेताओं ने विश्वास जताया है कि एक ही सीट पर दो घटक दलों के उम्मीदवारों के नामांकनों का मामला सुलझ जाएगा. 6 नवंबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए 121 सीटों पर नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर है. ऐसे में आपसी तालमेल के जरिए दल की पार्टियां अपने उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए दबाव डाल सकती है.
मुख्यमंत्री चेहरा अभी तक घोषित नहीं
NDA की तरफ से नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री चेहरा बनाया गया है, लेकिन महागठबंधन की स्थिति जटिल बनी हुई है. RJD ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन अन्य पार्टियों की तरफ से उन्हें कोई समर्थन मिलता नजर नहीं आ रहा है और न कोई औपचारिक घोषणा की गई है. इसके अलावा VIP पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी खुद को उपमुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं. वहीं एक समय ऐसा भी लग रहा था कि वह गठबंधन से बाहर निकल सकते हैं, लेकिन नेताओं के हस्तक्षेप के बाद इस मामले को सुलझा लिया गया.
झारखंड मुक्ति मोर्चा भी स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरी
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इस बीच महागठबंधन को बड़ा झटका देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा भी बिहार चुनाव में उतर चुकी है. पार्टी प्रमुख और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि RJD द्वारा सीटों के बंटवारे में बार-बार की गई उपेक्षा के चलते पार्टी चकाई, कटोरिया और जमुई सहित 6 विधानसभा सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी. पार्टी के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि पार्टी कुछ भी सहन कर सकती है, लेकिन अपने आत्मसम्मान से कोई समझौता नहीं करेगी.
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