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इंद्रजीत सिंह यादव पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, दिल्ली-एनसीआर में 10 ठिकानों पर छापेमारी

ईडी ने यह जांच हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज 15 से अधिक एफआईआर और चार्जशीट के आधार पर शुरू की है. ये मामले आर्म्स एक्ट, 1959, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किए गए हैं.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुरुग्राम जोनल ऑफिस ने 26-27 दिसंबर को दिल्ली, गुरुग्राम और रोहतक में कुल दस स्थानों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया. यह कार्रवाई इंद्रजीत सिंह यादव, उसके सहयोगी अपोलो ग्रीन एनर्जी लिमिटेड तथा अन्य संबंधित संस्थाओं एवं व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई.

पीएमएलए के तहत जांच, 15 से अधिक एफआईआर के आधार पर कार्रवाई

यह जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत की जा रही है, जो इंद्रजीत सिंह यादव द्वारा अवैध उगाही, प्राइवेट फाइनेंसरों के जबरन लोन सेटलमेंट, हथियारों के बल पर धमकाने और ऐसी अवैध गतिविधियों से कमीशन कमाने से जुड़ी है.

विदेश से ऑपरेट हो रहा अपराध नेटवर्क

ईडी ने यह जांच हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज 15 से अधिक एफआईआर और चार्जशीट के आधार पर शुरू की है. ये मामले आर्म्स एक्ट, 1959, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किए गए हैं. इन एफआईआर में आरोप है कि जेम रिकॉर्ड्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जो ‘जेम्स ट्यून्स’ के नाम से संचालित होती है, का मालिक और मुख्य नियंत्रक इंद्रजीत सिंह यादव एक कुख्यात बाहुबली है, जो हत्या, उगाही, प्राइवेट फाइनेंसरों द्वारा दिए गए कर्ज का जबरन निपटान, धोखाधड़ी, ठगी, अवैध भूमि हड़पने और अन्य हिंसक आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहा है.

ईडी के अनुसार, इंद्रजीत सिंह यादव हरियाणा में दर्ज कई मामलों में वांछित है और वर्तमान में फरार चल रहा है. एजेंसी की जांच में यह भी सामने आया है कि वह विदेश, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से अपने आपराधिक नेटवर्क का संचालन कर रहा था. जांच में यह खुलासा हुआ है कि अपोलो ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और कुछ अन्य कॉर्पोरेट घरानों ने झज्जर के दिघल क्षेत्र में स्थित प्राइवेट फाइनेंसरों से बड़ी मात्रा में नकद ऋण लिया था, जिसके बदले सुरक्षा के तौर पर पोस्ट-डेटेड चेक जारी किए गए थे.

सैकड़ों करोड़ के जबरन सेटलमेंट, हथियारबंद गैंग की भूमिका

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इंद्रजीत सिंह यादव ने एक बाहुबली और जबरन वसूली करने वाले के रूप में काम करते हुए इन उच्च-मूल्य वाले प्राइवेट लोन लेनदेन और वित्तीय विवादों का जबरन सेटलमेंट करवाया. ये सेटलमेंट सैकड़ों करोड़ रुपए के थे और कथित तौर पर धमकियों, डराने-धमकाने तथा विदेशों से संचालित संगठित अपराध सिंडिकेट की मदद से किए गए. इस पूरी प्रक्रिया में सशस्त्र सहयोगियों और स्थानीय गिरोहों का इस्तेमाल किया गया. जांच एजेंसी का आरोप है कि इन जबरन सेटलमेंट के बदले इंद्रजीत सिंह यादव ने संबंधित कॉर्पोरेट घरानों से कमीशन के रूप में सैकड़ों करोड़ रुपए की अवैध कमाई की.

लक्ज़री कारें, संपत्तियां और डिजिटल सबूत जब्त

ईडी के मुताबिक, इन धोखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियों से अर्जित धन का इस्तेमाल इंद्रजीत सिंह यादव ने महंगी अचल संपत्तियों, लग्जरी कारों की खरीद और ऐशो-आराम की जिंदगी जीने में किया. हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी संपत्ति और खर्चों के बावजूद उसने आयकर विभाग के समक्ष बेहद कम आय दर्शाते हुए न्यूनतम आयकर रिटर्न दाखिल किया था, जिससे उसकी अवैध कमाई को छिपाने की मंशा स्पष्ट होती है.

तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान ईडी ने पांच लग्जरी कारें, बैंक लॉकर, 17 लाख रुपए नकद, कई आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और इंद्रजीत सिंह यादव व उसके सहयोगियों से जुड़ा अहम डिजिटल डेटा जब्त किया है. इसके अलावा, तलाशी में यह भी खुलासा हुआ है कि इंद्रजीत सिंह यादव ने कॉर्पोरेट घरानों और निजी फाइनेंसरों के बीच ऋण निपटान की प्रक्रिया को संचालित करने के लिए एक विशेष वेबसाइट और पोर्टल विकसित कर रखा था.

संपत्तियां अटैच करने की तैयारी

ईडी ने यह भी बताया कि अपराध की कमाई से इंद्रजीत सिंह यादव और उसके परिवार के सदस्यों के नाम पर कई चल और अचल संपत्तियां खरीदी गई थीं. इन संपत्तियों की पहचान कर उन्हें पीएमएलए के तहत अटैच करने की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है. एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि इस पूरे मामले में आगे की जांच जारी है और आने वाले समय में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

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