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करोड़ों सनातनियों का सपना होगा साकार, राम मंदिर की तर्ज पर बिहार में होगा भव्य जानकी मंदिर का निर्माण, सामने आया डिज़ाइन

लाखों-करोड़ों सनातनियों की आस्था के केंद्र मां जानकी की जन्मस्थली पुनौरा धाम में भव्य मंदिर का सपना पूरा होने वाला है. लंबे समय से चली आ रही मांग पर बड़ी पहल हुई है. दरअसल जगत जननी मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, सीतामढ़ी को समग्र रूप से विकसित किए जाने हेतु भव्य मंदिर सहित अन्य संरचनाओं का डिजाइन तैयार हो गया है.

Created By: केशव झा
22 Jun, 2025
( Updated: 23 Jun, 2025
10:26 AM )
करोड़ों सनातनियों का सपना होगा साकार, राम मंदिर की तर्ज पर बिहार में होगा भव्य जानकी मंदिर का निर्माण, सामने आया डिज़ाइन

प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 500 साल के संघर्ष और करीब 40 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद बने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ने लाखों-करोड़ों सनातनियों को अपार खुशी दी. आज श्रीराम नगरी पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणास्थली और हिंदुओं के आस्था का केंद्र है. राम मंदिर के बाद जिस चीज की सबसे ज्यादा मांग की जा रही थी वो थी माता जानकी, सीता माता के लिए भी उसी स्तर के मंदिर का निर्माण. अब इसी को लेकर एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है. इस पर बड़ी डेवलपमेंट हुई है.

सामने आया सीतामढ़ी में मां जानकी के भव्य मंदिर का डिजाइन

बिहार के पुनौराधाम के विकास के लिए नीतीश कुमार सरकार तेज गति से कार्य कर रही है. पिछले साल नवंबर में बिहार कैबिनेट की बैठक में सीतामढ़ी के पुनौराधाम मंदिर के आसपास पर्यटकीय विकास के लिए आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के लिए 50.50 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए 120 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी. अब इसको लेकर बड़ी पहल हुई है. मां जानकी मंदिर के निर्माण को लेकर लंबे समय से की जा रही मांग के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया के जरिए मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम को समग्र रूप से विकसित किए जाने से जुड़े भव्य मंदिर सहित अन्य संरचनाओं के डिजाइन के तैयार होने की जानकारी दी.

‘हर बिहारी के लिए गौरव मां जानकी के भव्य मंदिर का निर्माण’

सीएम नीतीश ने यह भी कहा कि पुनौराधाम में मां जानकी के भव्य मंदिर का निर्माण हम सभी बिहारवासियों के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि माता सीता के मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का भी गठन किया गया है.

सीएम नीतीश कुमार ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर फोटो शेयर करते हुए लिखा, ''मुझे बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि जगत जननी मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, सीतामढ़ी को समग्र रूप से विकसित किए जाने हेतु भव्य मंदिर सहित अन्य संरचनाओं का डिजाइन अब तैयार हो गया है, जिसे आपके साथ साझा किया जा रहा है.''

उन्होंने आगे ट्रस्ट के गठन की जानकारी देते हुए लिखा, ''इसके लिए एक ट्रस्ट का भी गठन कर दिया गया है ताकि निर्माण कार्य में तेजी आ सके. हमलोग पुनौराधाम, सीतामढ़ी में भव्य मंदिर निर्माण शीघ्र पूरा कराने हेतु कृतसंकल्पित हैं. पुनौराधाम में मां जानकी के भव्य मंदिर का निर्माण हम सभी बिहारवासियों के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है.''

बिहारियों के लिए आस्था का केंद्र है पुनौरा धाम

बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा गांव में मां जानकी जन्मभूमि मंदिर है जिसे पुनौरा धाम के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि माता सीता का जन्म इसी स्थान पर हुआ था. इससे जुड़ी कथा है कि मिथिला में एक बार भीषण अकाल पड़ी और वहां के  पुरोहित ने राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी. जब राजा जनक हल चला रहे थे तब जमीन से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में थी. उन्होंने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया तथा उनका नाम ‘सीता’ रखा, जिसका संस्कृत में अर्थ "खाड़ी" होता है. उन्होंने उन्हें जानकी नाम भी दिया, जिसका अर्थ "जनक की पुत्री" होता है.

‘जानकी कुंड में नहाने से होती है संतान प्राप्ति’

बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पुनौरा धाम में मंदिर के पीछे जानकी कुंड के नाम से एक सरोवर है. इस सरोवर को लेकर मान्यता है कि इसमें स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है. यहां पंथ पाकार नाम की प्रसिद्ध जगह है. यह जगह माता सीता के विवाह से जुड़ी हुई है. इस जगह पर प्राचीन पीपल का पेड़ अभी भी है, जिसके नीचे पालकी बनी हुई है.

मिथिला का सांस्कृतिक और प्राचीन इतिहास

मां जानकी को उनके एक अन्य नाम मैथिली से भी जाना और पुकारा जाता है. मिथिली की महिलओं को ससम्मान मैथिलानी भी कहते हैं, इसी से पता चलता है कि मिथिला और मां जानकी एक दूसरे के पूरक हैं. बिना माता जानकी के मिथिला की पहचान नहीं है. मिथिला एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध क्षेत्र रही है. इसका इतिहास वैदिक काल (1500–500 ईसा पूर्व) से जुड़ा हुआ है. यह उस समय भारत के 16 महाजनपदों में से एक था. मिथिला को तिरहुत या तिरभुक्ति के नाम से भी जाना जाता है और इसका विस्तार वर्तमान बिहार राज्य के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा आदि जिलों तक फैला हुआ है, साथ ही यह नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों तक भी पहुँचता है. इसके उत्तर में हिमालय, दक्षिण में गंगा, पश्चिम में गंडकी नदी और पूर्व में महानंदा नदी स्थित हैं. ऐतिहासिक दस्तावेजों में इसे ‘महला’ के नाम से भी पुकारा गया है, जिसका उल्लेख बिहार, बंगाल और उड़ीसा के संयुक्त प्रांतों के राजस्व रिकॉर्ड में मिलता है. यह क्षेत्र कभी विदेह जनक वंश के अधीन रहा, जिसने इसे एक समृद्ध सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान दी.

मिथिला की प्रमुख भाषा मैथिली है, जो इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित है. मैथिली का साहित्य अत्यंत समृद्ध रहा है. इस भाषा के महान कवि विद्यापति (1352–1448 ई.) ने प्रेम और भक्ति से परिपूर्ण गीतों की रचना की, जो आज भी लोकप्रिय हैं. मैथिली साहित्य में महाकाव्य, नाटक, लोककथाएँ, संतों और ऐतिहासिक नायकों की जीवनियाँ भी प्रमुखता से मिलती हैं, जो इसकी साहित्यिक विरासत को और भी गौरवशाली बनाती हैं.

मिथिला पेंटिंग ने दी मिथिला को वैश्विक पहचान

मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर में मिथिला पेंटिंग, जिसे मधुबनी पेंटिंग भी कहा जाता है, एक विशेष स्थान रखती है. यह पेंटिंग शैली अपने विशिष्ट ज्यामितीय डिज़ाइन और चमकीले प्राकृतिक रंगों के प्रयोग के लिए जानी जाती है. मिथिला चित्रकला में रामायण जैसी हिंदू पौराणिक कथाओं के प्रसंगों के साथ-साथ वनस्पति, जीव-जंतु और सामाजिक जीवन की घटनाओं को भी चित्रित किया जाता है. यह कला न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक चेतना का भी सजीव रूप है.

बीजेपी की भी आई प्रतिक्रिया

वहीं, भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने लिखा, ''सनातन संस्कृति की धरा पर, भव्य जानकी धाम का नवसृजन! मां जानकी की पुण्य जन्मस्थली पुनौराधाम (सीतामढ़ी) को एक विशिष्ट धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है. हर्ष और श्रद्धा के साथ सूचित कर रहा हूं कि यहां भव्य जानकी मंदिर सहित कई संरचनाओं का डिजाइन अब तैयार हो चुका है. इसके लिए एक ट्रस्ट का गठन भी कर दिया गया है ताकि कार्य सुचारु व तीव्र गति से आगे बढ़े. यह प्रयास न केवल स्थानीय विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सनातन धर्म की गौरवमयी परंपरा को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है. पुनौराधाम में भव्य जानकी मंदिर का निर्माण हर सनातनी के लिए गर्व और आस्था का विषय है. यह धाम आने वाली पीढ़ियों को हमारी संस्कृति, मर्यादा और धर्म की अमूल्य धरोहर से जोड़ने का कार्य करेगा.''

बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने एक्स पोस्ट में फोटो शेयर करते हुए लिखा, ''बिहारवासियों के लिए बेहद गर्व और प्रसन्नता की बात है कि जगत जननी मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, सीतामढ़ी को समग्र रूप से विकसित किए जाने हेतु भव्य मंदिर सहित अन्य संरचनाओं का डिजाइन अब तैयार हो गया है. इसके लिए एक ट्रस्ट का भी गठन कर दिया गया है ताकि निर्माण कार्य में तेजी आ सके. पुनौराधाम, सीतामढ़ी में भव्य मंदिर निर्माण शीघ्र पूरा कराने हेतु कृतसंकल्पित हैं. पुनौराधाम में मां जानकी के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जल्द ही साकार होगा.''

अगर राम मंदिर के बाद, मां जानकी के भी मंदिर का निर्माण होता है तो एक पूरा चक्र और लंबी पुरानी मांग पूरी हो जाएगी. ये एक तरह से दुनियाभर के सनातनियों के लिए गौरव का भी विषय है.

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