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बेटी के साथ दरिंदगी, अफसर और सरकार की मिलीभगत से दरिंदे बरी

ममता बनर्जी के ख़ास पर कमिश्नर पर उठने लगे सवाल, कहीं वही न हो जाए जो दस साल पहले हुआ था

17 Aug, 2024
( Updated: 17 Aug, 2024
03:58 PM )
बेटी के साथ दरिंदगी, अफसर और सरकार की मिलीभगत से दरिंदे बरी

इस बात की पूरी संभावना है कि ममता बनर्जी के निर्देश पर कोलकाता पुलिस पहले ही आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी में सबूत मिटा चुकी हो, कोलकाता पुलिस की प्रारंभिक कार्रवाई भी बहुत अधिक आत्मविश्वास पैदा नहीं करती है। ये आरोप टीएमसी और मौजूदा बंगाल कमिश्नर पर लगने शुरु हो गए है, बीजेपी नेता अमित मालवीय से लेकर तमाम लोग पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल की पोल खोल रहें हैं, और उसके पीछे जिस वारदात का हवाला दिया जा रहा है वो है 7 जून 2013 की घटना जब कामदुनी गांव में 20 साल की एक छात्रा के साथ दरिंदगी हुई थी और बाद में आरोपियों बचे निकले थे जबकि उन्हें फाँसी की सज़ा हो चुकी थी, ऐसे में अब सबको डर सता रहा है कि, इस बार भी कहीं वैसे ही लापरवाही बरत कर आरोपियों को बचा न लिया जाए।

दरअसल, कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत के बाद अमित मालवीय ने कोलकाता हाईकोर्ट में सुनवाई का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो आरोप लगाते हुए कमीश्नर विनीत गोयल पर सवाल उठा रहें है, कोर्ट का वीडियो शेयर करते हुए अमित मालवीय कहते हैं। इसमें याचिकाकर्ता के वकील जो मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे, वो कमिश्नर विनीत गोयल की भूमिका पर सवाल उठाते हैं और अतीत में इसी तरह के एक मामले में उनकी संलिप्तता का हवाला देते हैं, कहते हैं कि जैसे 10 साल पहले कामदुनी मामले में आरोपित छूटे थे, वैसे ही इस मामले में भी छूटेंगे, क्योंकि आज जो कोलकाता के पुलिस आयुक्त हैं वो उस समय सीआईडी के महानिरीक्षक थेस10 साल पहले भी विनीत गोयल की गड़बड़ी के कारण आरोपित बरी हो गए थे।

बताते चलें कि, मौजूदा कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल, 10 साल पहले सीआईडी ​​के महानिरीक्षक के रूप में कार्यरत थे, बहुप्रचारित कामदुनी बलात्कार और हत्या मामले में जांच कर रहे थे, जिसे उन्होंने पूरी तरह से विफल कर दिया था, ऐसे आरोप उनपर लगे थे। ऐसे में अब एक बार फिर से कहा जाने लगा है कि, विनीत गोयल पहले ही ममता बनर्जी के लिए काम कर चुके हैं, लगता है कि अब इस मामले में भी सीबीआई को ज्यादा कुछ नहीं मिल पाएगा, जो थोड़ा बहुत सबूत बचा था, भीड़ ने उसे नष्ट ही कर दिया।


7 जून 2013, कामदुनी गांव में 20 साल की छात्रा अपने कॉलेज से एग्जाम देकर स्टेशन से अकेले घर लौट रही थी, जहां उसे अंसार अली, सैफुल अली, अमीनूर अली, भुट्टो मोल्ला, एनामुल मोल्ला, अमीन अली, गोपाल नस्कर, भोलानाथ नस्कर पकड़ ले गए, उसके साथ दरिंदगी की और फिर मार दिया, मौजूदा डॉक्टर वाले मामले की तरह ही कामुदनी मामले ने भी खूब तूल पकड़ा था, शिप्रा की सहेलियां दिल्ली तक आईं, बवाल बढ़ता देख ममता ने मामला सीआईडी को सौंपा दिया था, जांच के बाज अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश संचिता सरकार की अदालत ने इस मामले को ‘Rarest Of the Rare कहा था, 2023 तक इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, 9 आरोपितों में से सिर्फ 2 को आजीवन कारावास की सजा मिली, जबकि बाकी छूट गए, कहा गया कि जांच करने वाली टीम की लापरवाही की वजह से दरिंदे बच गए। ऐसे में सवाल उठता है कि, क्या इस बार भी वही होगा जो 2013 में हुआ था, फ़िलहाल तो बेटी को न्याय दिलाने के लिए जनता सड़कों पर है, ममता परेशान है और पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल सवालों के घेरे में हैं 

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