तेलंगाना के फायर ब्रांड नेता टी राजा ने BJP से दिया इस्तीफा, कहा- हिंदुत्व के विचार से नहीं, नेतृत्व के फैसले से मतभेद
तेलंगाना के फायर ब्रांड नेता और बीजेपी के विधायक टी राजा सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के जरिए एक पत्र जारी कर अपना इस्तीफा सौंपा है. वह प्रदेश के नए अध्यक्ष के ऐलान के बाद से नाराज चल रहे हैं. उन्होंने अपने पत्र में पीएम मोदी और शाह से भी एक खास अपील की है.

तेलंगाना में बीजेपी को बहुत बड़ा झटका लगा है. प्रदेश के फायर ब्रांड नेता और गोशामहल से बीजेपी विधायक टी राजा सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. देश भर में अपने कट्टर हिंदूवादी छवि को लेकर मशहूर टी राजा पिछले कई दिनों से पार्टी द्वारा लिए गए एक फैसले से नाराज चल रहे थे. उन्होंने सोशल मीडिया X के जरिए एक पत्र जारी कर अपने इस्तीफा का ऐलान किया है. इस पत्र में उन्होंने कई बातें लिखी हैं. इसके अलावा पीएम मोदी और अमित शाह से भी एक खास अपील की है. उन्होंने कहा कि उनकी चुप्पी को सहमति नहीं समझा जाना चाहिए. हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ा है. इससे पहले 2018 में भी उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया था.
आखिर क्यों दिया इस्तीफा?
बता दें कि पिछले कई दिनों से तेलंगाना में बीजेपी राज्य इकाई के नेतृत्व को लेकर तनातनी चल रही है. जिसकी वजह से वह काफी ज्यादा नाराज चल रहे थे. खबरों के मुताबिक, वह प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में शामिल होना चाहते थे, लेकिन आलाकमान ने इस पद के लिए एन रामचंद्र राव के नाम पर सहमति जताई. इसी वजह से टी राजा सिंह ने अपना इस्तीफा वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय कुमार को भेज दिया.
The silence of many should not be mistaken for agreement.
— Raja Singh (@TigerRajaSingh) June 30, 2025
I speak not just for myself, but for countless karyakartas and voters who stood with us with faith, and who today feel let down.
Jai Shri Rampic.twitter.com/JZVZppknl2
'चुप्पी को सहमति नहीं समझना चाहिए'
तेलंगाना के फायर ब्रांड नेता टी राजा ने बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद X पर 2 पत्र जारी करते हुए लिखा कि 'बहुत से लोगों की चुप्पी को चुप्पी नहीं समझना चाहिए. मैं सिर्फ अपने लिए नहीं बोल रहा हूं बल्कि मैं उन अनगिनत कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के लिए बोल रहा था, जो हमारे साथ आस्था के साथ खड़े थे, लेकिन आज वह भी निराश है. यह सभी हर उतार-चढ़ाव में पार्टी के साथ खड़े रहे हैं. ऐसे समय में जब बीजेपी तेलंगाना में अपनी पहली सरकार बनाने की दहलीज पर खड़ी है, तो इस तरह का चुनाव हमारी दिशा के बारे में गंभीर संदेह पैदा करता है.'
'गोशामहल के लोगों की सेवा जारी रहेगी'
टी राजा ने पत्र में यह भी लिखा है कि भले ही वह पार्टी से अलग हो रहे हैं, लेकिन उनकी हिंदुत्व वाली विचारधारा कायम रहेगी. उन्होंने कहा कि 'गोशामहल के लोगों की सेवा के लिए वह पूरी तरीके से प्रतिबद्ध हैं. मैं अपनी आवाज उठाता रहूंगा और हिंदू समुदाय के लिए और भी मजबूती के साथ खड़ा रहूंगा'
कुछ लोगों ने गुमराह किया है - टी राजा सिंह
टी राजा ने अपने पत्र में बिना किसी नेता का नाम लिए यह भी लिखा है कि 'हमारे राज्य में कई योग्य वरिष्ठ नेता, विधायक और सांसद है, जिन्होंने बीजेपी के विकास के लिए अथक काम किया है और जिनके पास पार्टी को आगे ले जाने के लिए ताकत, विश्वसनीयता और संपर्क है, लेकिन दुर्भाग्य से, ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ व्यक्तियों ने, निजी हितों से प्रेरित होकर, केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह किया है और पर्दे के पीछे से शो चलाकर निर्णय लिए हैं. यह न केवल जमीनी कार्यकर्ताओं के बलिदान को कमतर आंकता है बल्कि पार्टी को टाले जा सकने वाले झटकों में धकेलने का जोखिम भी पैदा करता है. मैं खुद एक समर्पित कार्यकर्ता रहा हूं, जिसे लोगों के आशीर्वाद और पार्टी के समर्थन से लगातार 3 बार चुना गया है.'
पीएम मोदी और शाह से की खास अपील
टी राजा ने पत्र के जरिए अपना इस्तीफा सौंपते हुए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से खास अपील की है. उन्होंने लिखा है कि 'मैं हमारे वरिष्ठ नेतृत्व - माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी, अमित शाह जी और बीएल संतोष जी से भी विनम्रतापूर्वक अपील करता हूं कि वे इस कोर्स पर पुनर्विचार करें. तेलंगाना बीजेपी के लिए तैयार है, लेकिन हमें उस अवसर का सम्मान करने और उसे हाथ से न जाने देने के लिए सही नेतृत्व चुनना चाहिए. इस पत्र के अंत में उन्होंने लिखा 'जय हिंद जय श्री राम' और इसी के साथ उन्होंने अपनी बात पर विराम लगा दिया.
2018 में भी दिया था इस्तीफा
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि जब उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा दिया है. इससे पहले साल 2018 में उन्होंने गौ रक्षा के मुद्दे पर पार्टी से समर्थन न मिलने के हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था. हालांकि, उस समय पार्टी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था.