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मुंबई के लीलावती अस्पताल में तंत्र-मंत्र और काला जादू , 1200 करोड़ घोटाले के बीच षड़यंत्र?

Lilavati Hospital Scam: अस्पताल के पूर्व ट्रस्टियों पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अस्पताल की संपत्ति में लगभग 1200 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। यह मामला और भी चौंकाने वाला तब बन गया जब घोटाले के आरोपों के बीच इन पूर्व ट्रस्टियों पर काला जादू और तंत्र-मंत्र के उपयोग का भी आरोप लगाया गया।
मुंबई के लीलावती अस्पताल में तंत्र-मंत्र और काला जादू , 1200 करोड़ घोटाले के बीच षड़यंत्र?
Photo by:  Google

Lilavati Hospital Scam: मुंबई के लीलावती अस्पताल, जो एक प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थान है, इन दिनों बड़े घोटाले के कारण सुर्खियों में है। अस्पताल के पूर्व ट्रस्टियों पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अस्पताल की संपत्ति में लगभग 1200 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। यह मामला और भी चौंकाने वाला तब बन गया जब घोटाले के आरोपों के बीच इन पूर्व ट्रस्टियों पर काला जादू और तंत्र-मंत्र के उपयोग का भी आरोप लगाया गया। यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है और जांच एजेंसियां इस मामले में पूरी गंभीरता से जांच कर रही हैं।

1200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप

लीलावती अस्पताल पर 1200 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप एक गंभीर वित्तीय अपराध को दर्शाते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अस्पताल के पूर्व ट्रस्टियों ने अस्पताल की आय और संपत्तियों के दुरुपयोग के लिए कई अवैध तरीके अपनाए। इनमें अस्पताल के फंड्स का गलत तरीके से इस्तेमाल, संपत्ति के गलत तरीके से आवंटन, और वित्तीय रिपोर्ट्स में हेरफेर जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं। घोटाले के इन आरोपों ने अस्पताल की प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और इसका असर मरीजों और उनके परिवारों पर भी पड़ा है।

काला जादू और तंत्र-मंत्र का आरोप

घोटाले के आरोपों के बीच एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पूर्व ट्रस्टियों पर काला जादू और तंत्र-मंत्र के उपयोग का आरोप भी लगा है। सूत्रों के अनुसार, कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि अस्पताल के ट्रस्टियों ने अस्पताल की संपत्ति और धन को नियंत्रित करने के लिए काला जादू और तंत्र-मंत्र का सहारा लिया। यह आरोप और भी गंभीर हो गए हैं जब कुछ कर्मचारियों और अन्य लोगों ने अस्पताल के भीतर अजीब और रहस्यमय गतिविधियों का अनुभव होने का दावा किया। हालांकि, इस मामले में पुलिस ने अभी तक किसी ठोस सबूत का खुलासा नहीं किया है, लेकिन यह आरोप जांच एजेंसियों के लिए एक नया मोड़ है।

कोर्ट ने दिए जांच के आदेश 

परमबीर सिंह ने कहा कि कुछ कर्मचारियों ने कहा कि वर्तमान ट्रस्टियों के कार्यालय के फर्श के नीचे काला जादू करने वाली वस्तुएं राखी गई है। इसलिए गवाहों की मौजूदगी में और वीडियोग्राफी के तहत , हमने फर्श को खोदा और आठ कलश पाए। उसमें मानव अवशेष, हड्डियां , बाल और चावल, और काले जादू में इस्तेमाल की जाने वाली अन्य वस्तुएं थीं।  उन्होंने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र कानून के तहत मामला दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया। जब पुलिस ने इंकार कर दिया तो वे अदालत चले गए और अदालत ने जाँच के आदेश दिए।  

जांच और कार्रवाई

इस घोटाले को लेकर महाराष्ट्र पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां पूरी गंभीरता से कार्यवाही कर रही हैं। पुलिस ने अस्पताल के पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और उनके खिलाफ आरोपों की जांच शुरू कर दी है। इसके साथ ही, अस्पताल के वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच की जा रही है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि घोटाले में कितने पैसे का दुरुपयोग हुआ है और इसके पीछे कौन लोग जिम्मेदार हैं।

इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र सरकार भी इस मामले में गहरी दिलचस्पी दिखा रही है और इसे एक गंभीर वित्तीय अपराध के रूप में देखा जा रहा है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने मामले की पूरी निष्पक्षता से जांच करने का आश्वासन दिया है और आरोपियों को कड़ी सजा दिलवाने की बात की है।

लीलावती अस्पताल की प्रतिष्ठा पर प्रभाव

लीलावती अस्पताल भारत के सबसे प्रतिष्ठित और महंगे अस्पतालों में से एक है, जो खासतौर पर उच्च चिकित्सा सेवाओं के लिए प्रसिद्ध है। इस घोटाले से अस्पताल की छवि पर गंभीर असर पड़ा है। लीलावती अस्पताल के कई मरीजों और उनके परिजनों ने इस मामले को लेकर चिंता जताई है। अस्पताल की प्रबंधन टीम ने घोटाले के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि वे पूरी तरह से मामले की जांच में सहयोग करेंगे।वहीं, इस घटना ने भारतीय अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों के वित्तीय प्रबंधन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या इन संस्थानों में वित्तीय पारदर्शिता और नैतिकता की कमी है, जिससे इस तरह के घोटाले हो रहे हैं।

मुंबई के लीलावती अस्पताल में हुए 1200 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप और इसके साथ जुड़े काले जादू और तंत्र-मंत्र के मामलों ने सभी को चौंका दिया है। यह मामला न केवल अस्पताल के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में वित्तीय पारदर्शिता और नैतिकता पर भी गंभीर सवाल उठाता है। अब इस मामले की जांच पूरी तरह से चल रही है और यह देखा जाएगा कि आरोपियों के खिलाफ क्या ठोस कार्रवाई की जाती है।

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