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तत्काल बंद करो बैकसीट ड्राइविंग.. सरकार ने एअर इंडिया को क्यों दी कड़ी चेतावनी?

अहमदाबाद क्रैश को लेकर केंद्र सरकार और टाटा संस के बीच हुई बैठक में सरकार ने सख्त रुख अपनाया. नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन को स्पष्ट संदेश दिया कि एयर इंडिया में 'बैकसीट ड्राइविंग' यानी पर्दे के पीछे से फैसले लेने की प्रणाली तत्काल बंद होनी चाहिए. ट्रेनिंग, मेंटेनेंस, इंजीनियरिंग और ऑपरेशन जैसे विभागों में स्पष्ट जिम्मेदारी तय करने की जरूरत बताई गई.

27 Jul, 2025
( Updated: 27 Jul, 2025
08:52 PM )
तत्काल बंद करो बैकसीट ड्राइविंग.. सरकार ने एअर इंडिया को क्यों दी कड़ी चेतावनी?

देश की सबसे पुरानी एयरलाइन एअर इंडिया एक बार फिर विवादों में घिरी हुई है. हाल ही में अहमदाबाद विमान हादसे और उसके बाद अन्य छोटे घटनाक्रमों ने भारतीय विमानन प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इसके बाद केंद्र सरकार ने टाटा संस और एअर इंडिया के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन को साफ शब्दों में चेतावनी दी है. सरकार ने साफ चेतावनी दी है कि एअर इंडिया में ‘बैकसीट ड्राइविंग’ खतरनाक संस्कृति है. इसे तत्काल बंद कर देना चाहिए. 

‘बैकसीट ड्राइविंग’ का मतलब क्या है?

सरकार का कहना है कि एअर इंडिया में कुछ विभागों में ऐसे लोग निर्णय ले रहे हैं जो सीधे तौर पर जिम्मेदार पदों पर नहीं हैं. यानी पर्दे के पीछे से नीतियां बनाई जा रही हैं. ऐसे में जब कोई गलती होती है तब वो लोग सामने या जिम्मेदार नहीं होते, जिन्होंने फैसला लिया हो. बल्कि दिखावटी पदों पर बैठे लोगों को ही बलि का बकरा बना दिया जाता है. यह स्थिति न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि आने वाले समय में बड़े हादसों का कारण भी बन सकती है. बता दें कि ‘बैकसीट ड्राइविंग’ एक मुहावरा है, जो तब उपयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति गाड़ी न चला रहा हो लेकिन ड्राइवर को दिशा-निर्देश दे रहा हो. यही हाल एयर इंडिया में भी देखने को मिल रहा है. कई बार इंजीनियरिंग, मेंटेनेंस, ऑपरेशन कंट्रोल और ट्रेनिंग जैसे विभागों में फैसले उन लोगों द्वारा लिए जाते हैं जो वास्तव में उस पद पर नहीं हैं. इससे जवाबदेही कमजोर हो जाती है.

सरकार और टाटा के बीच अहम बैठक

बीते शुक्रवार को नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू, सचिव समीर कुमार सिन्हा और DGCA प्रमुख फैज अहमद किदवई ने टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन से एक उच्चस्तरीय बैठक की. इसमें साफ कहा गया कि एयर इंडिया को अब पारदर्शी और जिम्मेदार नेतृत्व की जरूरत है. जो लोग निर्णय ले रहे हैं, वही उनके लिए जवाबदेह भी होने चाहिए.

DGCA की सख्ती और कार्रवाई

AI-171 फ्लाइट घटना के बाद DGCA (नगर विमानन महानिदेशालय) ने तीन वरिष्ठ अधिकारियों को उनके पद से हटा दिया था. साथ ही साफ चेतावनी दी कि अगर ऐसी लापरवाही दोबारा हुई तो एयर इंडिया की उड़ानें रोकने तक का कदम उठाया जा सकता है. इससे पहले भी क्रू शेड्यूलिंग को लेकर कई अनियमितताएं सामने आ चुकी हैं.

कर्मचारियों पर मानसिक असर

सरकार को यह भी जानकारी मिली कि एअर इंडिया के गुड़गांव स्थित ऑफिस में पुराने क्रैश हो चुके विमानों के पुर्जे जैसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, जली हुई सीटें, और मलबा आज भी सजाकर रखा गया है. इससे कर्मचारियों में निराशा और डर का माहौल बन रहा है. सरकार का मानना है कि यह चीजें एक नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं और इससे कर्मचारियों का मनोबल टूटता है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि आज एअर इंडिया के पास टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस जैसे मजबूत साझेदार हैं. यह मौका है कि एअर इंडिया खुद को फिर से विश्व स्तर पर स्थापित करे. भारत के पास इंडिगो और एयर इंडिया जैसे दो प्रमुख खिलाड़ी हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को गौरवान्वित कर सकते हैं, अगर वे अपनी आंतरिक कमजोरियों को दूर कर लें.

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बताते चलें कि सरकार का यह सख्त रुख यह दिखाता है कि देश अब विमानन सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा. एयर इंडिया जैसी प्रतिष्ठित कंपनी को अब पुराने तौर-तरीकों को छोड़कर नई, पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली अपनानी होगी. बैकसीट ड्राइविंग अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और समय आ गया है कि हर फैसला वही ले जो उसके लिए जिम्मेदार है.

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