वैश्विक मंदी की आशंका के बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए 'संकटमोचक' बना भारत, IMF, UBS और वर्ल्ड बैंक ने लगाया विकास दर में वृद्धि का अनुमान
RBI के अनुमान के बाद तेजी से 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य की ओर बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक गुड न्यूज आई है. 4.19 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और इसके आगे बढ़ने की रफ्तार भी बनी हुई है. यानी कि ट्रंप की धमकी, टैरिफ वॉर और चीन की चालबाजियों का कोई असर भारत की तरक्की पर नहीं पड़ रहा.

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दुनियाभर में शुरू हुए ट्रेड वॉर, अमेरिका की दखलअंदाजी और टैरिफ को लेकर वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था स्ट्रॉन्ग मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल (मजबूत आर्थिक ढांचा) के बल पर काफी हद तक मजबूत बनी हुई है. पहले आरबीआई की 'स्टेट ऑफ द इकोनॉमी' रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि मुद्रास्फीति में कमी, खरीफ सीज़न की बेहतर संभावनाओं, सरकारी व्यय में तेजी, लक्षित राजकोषीय उपायों और ब्याज दरों में कटौती के तेज प्रसारण के लिए अनुकूल वित्तीय परिस्थितियों से आगे चलकर अर्थव्यवस्था में समग्र मांग को बढ़ावा मिलेगा. RBI के अनुमान के बाद तेजी से 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य की ओर बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक गुड न्यूज आई है. 4.19 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और इसके आगे बढ़ने की रफ्तार भी बनी हुई है.
रुकावटों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत
अमेरिका की टैरिफ धमकियों, चीन की सप्लाई चेन रोकने की चालों और भारत-रूस के बीच तेल आपूर्ति में रुकावटों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत बनी हुई है. UBS की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6 से 6.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जो देश की आर्थिक सेहत के लिए एक सकारात्मक संकेत है.
इसके अलावा केंद्रीय बैंक के दस्तावेज में जोर दिया गया था कि "बढ़ती व्यापार अनिश्चितताओं और जियो-इकोनॉमिक फ्रेगमेंटेशन के बीच, अधिक मजबूत व्यापार साझेदारियां बनाना भारत के लिए ग्लोबल वैल्यू चेन के साथ अपने इंटीग्रेशन को गहरा करने का एक रणनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है. इसके अलावा, इंफ्रास्ट्रक्चर में घरेलू निवेश में तेजी लाने के उपाय और प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता में सुधार के उद्देश्य से संरचनात्मक सुधार, विकास की गति को सहारा देते हुए मजबूती बढ़ाएंगे."
RBI के अलावा वैश्विक निवेश बैंक UBS ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत की GDP ग्रोथ को लेकर पॉजिटिव अनुमान लगाया है. UBS ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में वार्षिक आधार पर भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6 से लेकर 6.5 प्रतिशत रह सकती है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि को बनाए रख सकता है.
UBS के ये अनुमान इसलिए भी अहम हो जाते हैं क्यों दुनिया फिलहाल संभावित मंदी की आशंका से जूझ रही है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकियों से अनिश्चितता की स्थिति से जूझ रही है. इसी कड़ी में अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाने के मामले में आई हालिया तेजी के बावजूद इस वृद्धि में मजबूत घरेलू मांग और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का प्रमुख योगदान रहेगा.
वैश्विक मंदी की आशंका के बीच संकटमोचक बनी भारत की अर्थव्यवस्था
भारत की तेज़ रफ्तार अर्थव्यवस्था पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी वैश्विक संस्थाओं ने भरोसा जताया है. IMF की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जीडीपी ग्रोथ दर 2025 में 6.2% और 2026 में 6.3% रहने का अनुमान है. IMF का यह भी दावा है कि भारत आने वाले वर्षों में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
भारत की इकोनॉमी पर ग्लोबल इकॉनोमिक फर्म्स ने भी जताया भरोसा
वर्ल्ड बैंक ने भी कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 (FY2026) में भारत की जीडीपी ग्रोथ दर 6.3% पर बनी रहेगी. UBS की एक अलग रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि FY2026 में भारत की वास्तविक (रियल) जीडीपी ग्रोथ 6 से 6.5% के बीच रहेगी.
इस ग्रोथ के पीछे मजबूत घरेलू मांग, वैश्विक स्तर पर कमजोर कच्चे तेल की कीमतें और सरकार की सक्रिय आर्थिक नीतियां हैं. रिपोर्टों के मुताबिक, भारत की मज़बूत अर्थव्यवस्था अब वैश्विक व्यापार के झटकों से कम प्रभावित होती है.
भारत अब वस्तुओं की बजाय सेवाओं के निर्यात पर ज़ोर दे रहा है, और यह रणनीति उसे वैश्विक व्यापार तनावों से बचाए हुए है. फिलहाल, सेवा निर्यात भारत के कुल निर्यात का लगभग 47% हिस्सा बन चुका है, जिससे भारत ट्रेड वॉर जैसे हालात में भी स्थिर बना हुआ है.
इससे पहले, मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत की अर्थव्यवस्था 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी और 2035 तक इसका आकार दोगुना से भी ज्यादा होकर 10.6 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा.
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा कि मजबूत घरेलू मांग, सामान्य मानसून और देश में मौद्रिक नरमी के बीच, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 6.5 प्रतिशत और 2026 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. देश में इस वर्ष 3.8 प्रतिशत और 2026 में 4.0 प्रतिशत मुद्रास्फीति रहने की संभावना है, जो आरबीआई के अनुमानों के भीतर है.
कम हुआ भारत की अर्थव्यवस्था में जोखिम
भारत का वस्तु व्यापार अब पहले से कम जोखिम में है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब वैश्विक व्यापार में आने वाले झटकों के प्रति उतना संवेदनशील नहीं है, जितना कि वे एशियाई देश जो बहुत ज्यादा निर्यात पर निर्भर हैं. भारत की स्थिति इसलिए मजबूत है क्योंकि उसके पास सामान (वस्तु) के साथ-साथ सेवाओं का भी एक मजबूत आधार है.
भारत के कुल निर्यात में लगभग 47 प्रतिशत हिस्सा सेवाओं का है, जिससे यह क्षेत्र काफी मजबूत बना हुआ है. 2025 के कैलेंडर वर्ष में रेपो रेट में पहले ही 1 प्रतिशत (100 आधार अंक) की कटौती हो चुकी है. अब फोकस इस पर है कि इस कटौती का फायदा धीरे-धीरे लोगों और उद्योगों तक कैसे पहुंचाया जाए — यानी मौद्रिक नीति का असर ज़मीनी स्तर तक पहुंचे.
विश्लेषकों का मानना है कि अगर महंगाई काबू में रहती है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा खतरा नहीं आता, तो रेपो रेट में 0.25 से 0.50 प्रतिशत तक और कटौती की संभावना बन सकती है. जनवरी से मार्च 2025 की तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4 प्रतिशत रही, जो उम्मीद से बेहतर है. इस प्रदर्शन से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है.
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मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर भरोसा जताया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि भारत अगले दो वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा.