पीएम मोदी ने किया जेड-मोड़ सुरंग का उद्घाटन, जानें इसकी खासियतें
जेड-मोड़ सुरंग, जो जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में स्थित है, समुद्र तल से 8,650 फुट की ऊंचाई पर बनाई गई है। 6.5 किलोमीटर लंबी यह सुरंग श्रीनगर और लद्दाख के बीच हर मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है। इस परियोजना पर 2,717 करोड़ रुपये की लागत आई है। सुरंग के उद्घाटन के साथ न केवल सेना को सुरक्षित और तेज रसद पहुंचाने में मदद मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भी बड़ी राहत मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग में जेड-मोड़ सुरंग परियोजना का उद्घाटन किया। यह सुरंग न केवल कश्मीर घाटी और लद्दाख को आपस में जोड़ती है, बल्कि सामरिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल स्थानीय निवासियों और सेना को सुविधा प्रदान करना है, बल्कि यह भारत की सीमाओं को अधिक सुरक्षित बनाने और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
क्या है जेड-मोड़ सुरंग और इसका महत्व?
जेड-मोड़ सुरंग जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में गगनगीर और सोनमर्ग के बीच बनाई गई है। समुद्र तल से 8,650 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग, 6.5 किलोमीटर लंबी है और इसे 2,717 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यह सुरंग सालभर यातायात के लिए खुली रहेगी, जो बर्फबारी के कारण बंद रहने वाले मार्गों की समस्या को पूरी तरह समाप्त कर देगी। पहले सोनमर्ग और लद्दाख के बीच का मार्ग केवल 6 महीने तक खुला रहता था, क्योंकि सर्दियों में भारी हिमपात के कारण यह क्षेत्र अस्थायी रूप से कट जाता था। अब इस सुरंग के माध्यम से पर्यटक और स्थानीय लोग सालभर यात्रा कर सकेंगे।
सेना और जनता के लिए फायदे
जेड-मोड़ सुरंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह भारतीय सेना के लिए एक सुरक्षित और निर्बाध मार्ग प्रदान करती है। यह सुरंग हिमस्खलन-प्रवण क्षेत्रों से होकर गुजरने की जरूरत को खत्म करती है, जिससे सैनिकों की सुरक्षा बढ़ती है। सेना को रसद, उपकरण और आवश्यक सामग्रियां अब बिना किसी बाधा के समय पर पहुंचाई जा सकेंगी। वहीं, आम जनता के लिए यह सुरंग एक वरदान साबित होगी। स्थानीय किसान अपनी फसलों और अन्य उत्पादों को आसानी से बाजार तक पहुंचा सकेंगे। साथ ही, यह सुरंग धार्मिक और शीतकालीन पर्यटन को भी बढ़ावा देगी, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
जेड-मोड़ सुरंग को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है। इसमें एक समानांतर एस्केप सुरंग बनाई गई है, जो आपातकालीन स्थितियों में उपयोगी होगी। इसके अलावा, सुरंग में 3.7 किमी लंबी क्रीपर लेन, दो प्रमुख पुल और कई छोटी सड़कों का निर्माण किया गया है। सुरंग से हर घंटे 1,000 वाहन गुजर सकते हैं और वाहन यहां 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकते हैं। इस सुरंग के अंदर सुरक्षा के लिहाज से बेहतर निगरानी प्रणाली और आपातकालीन सेवाओं की सुविधा दी गई है। यह सुरंग भारतीय इंजीनियरिंग की एक अद्भुत मिसाल है।
इस परियोजना के निर्माण के दौरान कई चुनौतियां सामने आईं। जेड-मोड़ सुरंग पर आतंकी हमले की घटनाएं भी हुईं। इसके बावजूद, श्रमिकों और इंजीनियरों ने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए इस सुरंग को सफलतापूर्वक पूरा किया। उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इन श्रमिकों से मुलाकात की और उनके समर्पण की सराहना की। जेड-मोड़ सुरंग परियोजना की आधारशिला 2012 में रखी गई थी, लेकिन इसका निर्माण 2015 में शुरू हुआ। तमाम बाधाओं के बाद, यह परियोजना लगभग एक दशक में पूरी हो सकी।
इस सुरंग से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बीच व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी। स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। सुरंग के निर्माण से कश्मीर घाटी और लद्दाख के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी बढ़ेगा। जेड-मोड़ सुरंग जोजिला सुरंग परियोजना का हिस्सा है, जिसे 2028 तक पूरा किया जाना है। इन दोनों सुरंगों के माध्यम से कश्मीर और लद्दाख के बीच दूरी को 49 किमी से घटाकर 43 किमी कर दिया जाएगा। यह न केवल यात्रा को तेज और सुगम बनाएगा, बल्कि क्षेत्र के विकास में भी एक क्रांति लाएगा।
जेड-मोड़ सुरंग सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं है, यह भारत के लिए एक नई दिशा का प्रतीक है। यह सुरंग न केवल सुरक्षा और पर्यटन को बढ़ावा देती है, बल्कि यह भारतीय इंजीनियरिंग और संकल्प का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस परियोजना का उद्घाटन भारत की विकास यात्रा में एक और मील का पत्थर साबित होगा। यह सुरंग भारत को भविष्य की ओर ले जाने वाले ऐसे कई प्रोजेक्ट्स की शुरुआत भर है। यह न केवल सीमाओं को जोड़ती है, बल्कि दिलों को भी।