अब ग्लोबल एजुकेशन हब बनेगा भारत, उड़ान भरने की तैयारी में है Nalanda University, नए कुलपति प्रो. चतुर्वेदी ने दिए वैश्विक विस्तार के संकेत
नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कुलपति प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए तैयार है और अब उड़ान भरने को तैयार है. ऐतिहासिक नालंदा यूनिवर्सिटी एक बार फिर वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनने की तैयारी में है, जहां आधुनिक सुविधाएं और प्राचीन दर्शन का संगम होगा.

बिहार की धरती पर बसी प्राचीन शिक्षा की प्रतीक नालंदा यूनिवर्सिटी एक बार फिर अपने सुनहरे अतीत को दोहराने की ओर अग्रसर है. 21 मई 2025 को प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने इस यूनिवर्सिटी के कुलपति के रूप में कार्यभार संभालते हुए एक सशक्त संदेश दिया – "नालंदा अब टेक-ऑफ मोड में है." उनका यह बयान न सिर्फ शिक्षा जगत के लिए, बल्कि भारत की वैश्विक पहचान को लेकर भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. उन्होंने बताया कि आने वाले नए शैक्षणिक सत्र में करीब 900 छात्रों का नामांकन होने की संभावना है और 99 प्रतिशत निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो चुका है.
शांति और ज्ञान का संदेश देने को प्रतिबद्ध
नालंदा यूनिवर्सिटी सिर्फ एक संस्थान नहीं बल्कि भारत की वैचारिक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक रही है. प्रो. चतुर्वेदी के अनुसार यूनिवर्सिटी का उद्देश्य केवल शिक्षा प्रदान करना नहीं, बल्कि शांति और संवाद का वातावरण बनाना भी है. यह संस्थान न सिर्फ पारंपरिक भारतीय दर्शन को आधुनिक दुनिया से जोड़ने का कार्य करेगा, बल्कि इसमें वैश्विक शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और कूटनीतिक विशेषज्ञों को भी एक साथ लाने की योजना है.
विदेश मंत्रालय के अंतर्गत चल रही है यूनिवर्सिटी की दिशा
यह यूनिवर्सिटी विदेश मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है, जिससे इसके अंतरराष्ट्रीय संपर्क मजबूत बने हुए हैं. नई योजना के तहत दुनिया भर से छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित करने पर जोर दिया जा रहा है. प्रो. चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि नालंदा अब सिर्फ भारतीय छात्रों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक प्रतिभाओं के लिए भी एक बड़ा मंच बनेगी.
यूनिवर्सिटी के लगभग पूरे हो चुके निर्माण कार्य में आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय छात्रावास, डिजिटल पुस्तकालय, रिसर्च सेंटर और संस्कृति-केंद्रित परिसर शामिल हैं. यहां पढ़ाई का ढांचा इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि छात्र केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि वैश्विक विमर्श, नीति और शोध में सक्रिय भूमिका निभाएं.
नालंदा यूनिवर्सिटी की इस नई शुरुआत के साथ भारत की शिक्षा नीति को भी नई दिशा मिलने वाली है. यह संस्थान भारत की सॉफ्ट पावर का प्रतीक बन सकता है, जहां ज्ञान के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी होगा. प्रो. चतुर्वेदी के नेतृत्व में नालंदा आने वाले वर्षों में एक वैश्विक शिक्षा केंद्र बनकर उभरेगी, जहां प्राचीन भारतीय दर्शन आधुनिक शोध और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ नई ऊंचाइयों को छुएगा.