स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, पब्लिक प्लेस पर ना दिखें कुत्ते... आवारा पशुओं के मुद्दे पर SC का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों के मामले में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है. कोर्ट ने प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से बचाने और राजमार्गों से आवारा मवेशियों और अन्य जानवरों को हटाने के लिए कई निर्देश जारी किए.
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सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों और मवेशियों के बढ़ते खतरे पर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को इस संबंध में व्यापक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इतना ही नहीं अदालत ने यह भी कहा कि एमिकस (न्याय मित्र) की रिपोर्ट में जो खामियां बताई गई हैं, उन पर फौरन सुधारात्मक कदम उठाए जाएं और जो भी दिशानिर्देशों दिए गए हैं, उनका अनुपालन हो.
स्कूल-कॉलेज में दिखें नहीं कुत्ते!
अदालत ने सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिए हैं कि वो यह सुनिश्चित करें कि स्कूल, कॉलेज, खेल परिसर, अस्पताल और सरकारी दफ्तरों की फेंसिंग हो ताकि आवारा कुत्ते वहां प्रवेश न कर सकें. कहा जा रहा है कि आवारा पशुओं के कारण सड़को और सार्वजनिक जगहों पर होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए काफी अहम कदम माना जा रहा है.
स्कूल, अस्पताल, सार्वजनिक स्थानों से हटाए जाएं कुत्ते-आवारा पशु
देश भर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन मामले पर स्वतः संज्ञान मामले न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनवाई की. इस दौरान उन्होंने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसर, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर उचित बाड़ लगाई जाए.
अनिवार्य टीकाकरण और नसबंदी को लेकर भी अदालत ने दिए निर्देश
न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थानीय नगर निकायों को ऐसे परिसरों की नियमित तौर पर निगरानी करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही उन्होंने पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत अनिवार्य टीकाकरण और नसबंदी के बाद जानवरों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया.
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इन सार्वजनिक स्थानों से हटाए गए कुत्तों को उसी स्थान पर वापस नहीं लाया जाना चाहिए. साथ ही, कोर्ट ने समय-समय पर निरीक्षण करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजमार्गों से आवारा पशुओं और अन्य जानवरों को तुरंत हटाने का भी आदेश दिया. पीठ ने कहा कि ऐसे जानवरों को बिना किसी देरी के निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाए.
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी निर्देश
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया, "सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें. अन्यथा, अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा." साथ ही, निर्देशों को लागू करने के लिए अपनाई गई व्यवस्थाओं के लिए आठ हफ़्तों के अंदर अनुपालन स्थिति रिपोर्ट (कंप्लायंस स्टेटस रिपोर्ट) मांगी.
इतना ही नहीं कोर्ट ने आगे कहा कि सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर 24 घंटे सक्रिय पेट्रोल टीमें तैनात की जाएं और हेल्पलाइन नंबर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएं ताकि किसी भी आवारा मवेशी या हादसे की तुरंत सूचना दी जा सके. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया कि जो भी मवेशी सड़कों से हटाए जाएं, उन्हें फिर वापस सड़कों पर न छोड़ा जाए, बल्कि उनके लिए गौशालाओं या पशु आश्रयों की व्यवस्था की जाए.
आवारा पशुओं की समस्या पर कोर्ट ने जताई चिंता!
इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने एबीसी नियमों के क्रियान्वयन में खामियों को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रति नाराजगी व्यक्त की थी. न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की बारीकी से जांच कर रही है. पीठ इस बात पर जोर दे रही है कि आवारा पशुओं से जुड़ी कई घटनाएं न केवल जन सुरक्षा से समझौता करती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को भी खराब करती हैं.
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पीठ ने टिप्पणी की, "लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि भी खराब होती है. हम समाचार रिपोर्ट भी पढ़ रहे हैं."
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