अब ट्रेड रूट को बंद करेंगे ट्रंप, चाबहार पोर्ट को बैन कर भारत से फिर ‘दुश्मनी’ मोल ले रहा US? PAK-चीन को होगा फायदा!
ईरान के जिस पोर्ट में भारत ने अरबों का निवेश किया था, जिसके प्रबंधन की जिम्मेदारी ली. अब उसी पोर्ट को अमेरिका ने बैन कर दिया है. ट्रंप का ये फैसला भारत के लिए कैसे बड़ी चोट है? जानिए
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भारत से व्यापार को प्रभावित करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले टैरिफ बम फोड़ा और अब व्यापार मार्ग को ही बंद करने पर तुले हैं. अमेरिका ने भारत को बड़ा झटका देते हुए ईरान के चाबहार पोर्ट पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं. अमेरिका का ये कदम कैसे भारत की कनेक्टिविटी, ट्रेड और जियो-पॉलिटिकल स्ट्रैटजी को प्रभावित करेगा. चलिए जानते हैं
ईरान के जिस पोर्ट में भारत ने अरबों का निवेश किया था, जिसके प्रबंधन की जिम्मेदारी ली. अब उसी पोर्ट को अमेरिका ने बैन कर दिया है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता थॉमस पिगॉट ने यह जानकारी दी. थॉमस पिगॉट ने कहा, चाबहार में कामकाज के लिए 2018 में दी गई छूट को वापस लेना, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ईरान को अलग-थलग करने की की रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने बताया, विदेश मंत्री ने 2018 में ईरान फ़्रीडम एंड काउंटर-प्रॉलिफ़रेशन एक्ट (IFCA) के तहत अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और आर्थिक विकास के लिए दी गई छूट को रद्द कर दिया है.
चाबहार पोर्ट पर बैन का फैसला कब से लागू होगा?
थॉमस पिगॉट ने बताया कि, यह फैसला 29 सितंबर 2025 से लागू होगा. इसके लागू होने के बाद जो लोग चाबहार बंदरगाह का संचालन करेंगे वो अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में होंगे.
क्या है चाबहार पोर्ट?
चाबहार पोर्ट (Chabahar Port) ईरान के सिस्तान-ओ-बलूचिस्तान प्रांत में ओमान की खाड़ी के तट पर एक अहम समुद्री बंदरगाह है. यह ईरान का एकमात्र समुद्री बंदरगाह है जो हिंद महासागर में सीधे खुलता है. यह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है.
चाबहार पोर्ट की जरूरत क्यों पड़ी?
साल 2003 में भारत ने चाबहार बंदरगाह विकसित करने का प्रस्ताव रखा था. इसकी मुख्य वजह पाकिस्तान को बायपास करते हुए नया मार्ग बनाना था. ताकि बिना पाकिस्तान के रास्ते का इस्तेमाल करे मध्य एशिया के कई देशों तक व्यापारिक पहुंच बढ़ा सके. चाबहार पोर्ट पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से महज 170 किलोमीटर दूर है. ग्वादर पोर्ट चीन की ओर से पाकिस्तान में विकसित किया जा रहा है. इसका मुख्य मकसद भारत-ईरान-अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है.
चाबहार पोर्ट पर ईरान के साथ भारत का समझौता कब हुआ?
भारत ने 2016 में ईरान के साथ 10 वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत चाबहार पोर्ट के दो टर्मिनलों (शहिद बेहेस्ती टर्मिनल) के डेवलप में निवेश करेगा. साल 2024 में भारत ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के जरिए 10 साल के लिए शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल के लिए
120 मिलियन डॉलर का निवेश और 250 मिलियन डॉलर की वित्तीय मदद का करार किया था, लेकिन अमेरिका के फैसले से भारत के इस निवेश पर अब जोखिम बढ़ गया.
चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों है फायदे का सौदा?
चाबहार पोर्ट अफगानिस्तान को पाकिस्तान के रास्ते के बिना माल पहुंचाने में मदद करता है. भारत के लिए तेल आयात और निर्यात का यह वैकल्पिक मार्ग है. चाबहार पोर्ट के जरिए ही भारत ने अफगानिस्तान को 20 हजार टन गेहूं और ईरान को मदद भेजी थी.
चाबहार पोर्ट पर प्रतिबंध का भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका ने इस फैसले से ईरान को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचाया है. अमेरिका का ये फैसला भारत को आर्थिक, रणनीतिक और कूटनीतिक तौर पर प्रभावित करेगा.
रणनीतिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने अमेरिका के फ़ैसले पर चिंता जताई है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, '' ट्रंप प्रशासन ने भारत पर दबाव और बढ़ा दिया है. भारतीय सामानों पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगाने के बाद अब उसने भारत के ख़िलाफ़ खास तौर पर दंडात्मक कदम उठाते हुए ईरान के चाबहार बंदरगाह के लिए 2018 में दी गई प्रतिबंध-छूट वापस ले ली है. यह बंदरगाह भारत के संचालन में है.
Trump’s India playbook is becoming clearer: smother Modi with continuing praise while tightening the vise on India. Calling Modi “great,” a “very close friend” and “doing a tremendous job” is Trump’s sugarcoating for bitter pills — from making India the first and only target of…
— Dr. Brahma Chellaney (@Chellaney) September 19, 2025
उन्होंने लिखा, 'यह बंदरगाह अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया के लिए भारत का व्यापारिक प्रवेश-द्वार है और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह (जो चीन की बेल्ट ऐंड रोड परियोजना का हिस्सा है) का रणनीतिक जवाब भी. भारत को उस समय दंडित किया जा रहा है, जब वह चीन के प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है.
Trump administration tightens squeeze on India: Not content with slapping 50% tariffs on Indian goods, it has now taken an India-specific punitive step by revoking the 2018 sanctions exemption for Iran’s Chabahar Port, operated by India.
— Dr. Brahma Chellaney (@Chellaney) September 18, 2025
That waiver allowed India to sign a…
क्या चाबहार पोर्ट पर प्रतिबंध से चीन को होगा फायदा?
ब्रह्मा चेलानी लिखते हैं कि, भारत ने ट्रंप के पहले कार्यकाल में लगाए गए प्रतिबंधों का पालन करते हुए अपने हितों को किनारे रखकर ईरान से तेल आयात पूरी तरह बंद कर दिया था. उससे चीन को बड़ा फायदा हुआ और वह ईरान के बेहद सस्ते कच्चे तेल का लगभग एकमात्र खरीदार बन गया. यह दुनिया का सबसे सस्ता तेल था. जिससे चीन की ऊर्जा सुरक्षा और मजबूत हुई, जबकि भारत नुकसान उठाता रहा. उन्होंने इसे भारत के खिलाफ अधिकतम दवाब का एक कदम माना. जिसकी कीमत भारत को चुकानी पड़ती है.
पाकिस्तान को फायदा पहुंचाने वाला कदम!
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चीन के साथ-साथ अमेरिका का ये फैसला भारत को नुकसान पहुंचाने वाला भी है. क्योंकि चाबहार बंदरगाह का विकास रुका तो पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के जरिए चीन अपनी महत्वाकांक्षा को जोर दे सकता है. इसके साथ साथ भारत की मल्टी-अलाइनमेंट नीति को भी चुनौती देता है. जहां वह अमेरिका, ईरान, रूस और चीन के बीच संतुलन बनाए रखना चाहता है. एक्सपर्ट अमेरिका के इस फैसले को भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव के तौर पर देख रहे हैं.
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