गृह मंत्री अमित शाह का बड़ा ऐलान, एक-एक बूंद के लिए तरसेगा पाकिस्तान, सिंधु जल संधि खत्म करने का बन गया प्लान
गृहमंत्री अमित शाह ने आज अपने दिल्ली स्थित आवास पर जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील के साथ सिंधु जल संधि समझौते को रद्द करने और इसका फुलप्रूफ प्लान तैयार किया. दोनों के बीच यह बैठक करीब 45 मिनट तक चली.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को पूरी तरीके से बर्बाद करने की ठान ली है. एक-एक खून का बदला लेने के लिए भारत सरकार ऐसे खतरनाक प्लान बना रही है. जिसके बारे में पाकिस्तान कभी सपने में भी नहीं सोच सकता. पड़ोसी मुल्क भुखमरी और बदहाली का शिकार पहले से ही है. लेकिन अब भारत उसे एक-एक बूंद के लिए तरसाने वाला है. भारत ने सिंधु नदी जल समझौते को रद्द करने का प्लान तैयार कर लिया है. शुक्रवार को इसी मुद्दे पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और गृहमंत्री अमित शाह की बैठक हुई. जहां इसको लेकर प्लान ऑफ एक्शन तैयार किया गया. इस प्लान के जरिए पाकिस्तान को एक बूंद पानी भी न देने की घोषणा की गई.
बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान, बन गया खतरनाक प्लान
गृहमंत्री अमित शाह ने आज अपने दिल्ली स्थित आवास पर जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील के साथ सिंधु जल संधि समझौते को रद्द करने और उसका फुलप्रूफ प्लान तैयार किया. दोनों के बीच यह बैठक करीब 45 मिनट तक चली. इस बैठक में तीन प्रमुख विकल्पों पर चर्चा हुई. इनमें अल्पकालीन मध्यकालीन और दीर्घकालिक पर विचार किया गया. सरकार ने अपने प्लान के मुताबिक पाकिस्तान को एक भी बूंद पानी न देने की तैयारी की है.
बता दें कि जल्द ही सिंधु नदी की सफाई कर पानी को रोकने का काम शुरू कर दिया जाएगा. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है. सभी अधिकारियों को आदेश दिया गया कि जल्द ही इस पर काम शुरू कर दें.
भारत ने पाकिस्तान को लिखा पत्र
गृहमंत्री अमित शाह और जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील की बैठक से पहले शक्ति जल मंत्रालय की सचिव देव श्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा को एक पत्र लिखा. यह पत्र मुख्य रूप से पाकिस्तान को नोटिस देने के संदर्भ में लिखा गया है. इसमें औपचारिक तौर पर पाकिस्तान के सिंधु जल को रोकने को लेकर भारत द्वारा तत्काल प्रभाव से स्थगित रखने के फैसले पर जानकारी दी गई. इस पत्र में लिखा गया है कि संधि के अनुच्छेद 12(3) के तहत 1960 के सिंधु जल (संधि) में संशोधन की मांग की गई थी. जिसमें समय में बदलाव की परिस्थितियों, जनसंख्या में भारी वृद्धि, स्वच्छ ऊर्जा, विकास की आवश्यकता और जल बंटवारे के मूलभूत अनुमानों का जिक्र है. इसमें पाकिस्तान के ऊपर संधि का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया गया है. भारत ने कहा है कि दोबारा से इस पर समीक्षा करना जरूरी है.
पाक की कृषि जगत पर होगा गहरा असर
पाकिस्तान की लगभग 80% सिंचाई वाली भूमि सिंधु नदी पर ही निर्भर है. ऐसे में इस जल को रोकने से वहां के कृषि पर प्रभाव पड़ सकता है. इसमें गेहूं, चावल, कपास जैसी कई मुख्य फसलों की पैदावार में भारी गिरावट और नुकसान हो सकता है. इसकी वजह से वहां पर खाद्य संकट गहरा सकता है. किसानों की आजीविका भी खतरे में पड़ सकती है. ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ने की भी संभावना है.
पाक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा संकट पर पड़ेगा असर
सिंधु नदी का जल रोकने से जल विद्युत कई परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं. इनमें खास तौर से तरबेला और मंगला डैम जहां से पाकिस्तान की कुल बिजली का लगभग 30% उत्पादन होता है. ऐसे में वहां की बिजली उत्पादन की वजह से देश में गंभीर ऊर्जा संकट पैदा हो सकता है.
सिंधु नदी का जल रोकने से पाकिस्तान की ग्रामीण व्यवस्था में कृषि संकट काफी बुरी तरीके से प्रभावित हो सकता है. इसकी वजह से लोग बड़े पैमाने पर शहरों की तरफ पलायन करेंगे. पाकिस्तान के अधिकतर शहर खास तौर से कराची और लाहौर पर दबाव बढ़ सकता है. इस नदी का जल रोकने से पाकिस्तान में जल की कमी होगी. जिसकी वजह से सिंचाई में कमी आएगी. इस वजह से मिट्टी में लवणता बढ़ेगी. जिस वजह से यह भूमि को बंजर बना सकती है. इससे पाकिस्तान की 43% कृषि भूमि प्रभावित हो जाएगी. ऐसे में स्थिति काफी ज्यादा बिगड़ सकती है.
कुल मिलाकर देखा जाए. तो सिंधु जल संधि को स्थगित करने की वजह से पाकिस्तान में केवल जल और ऊर्जा का ही संकट पैदा नहीं होगा. बल्कि वहां की खाद्य सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिरता पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा. यह पाकिस्तान के लिए आतंकवाद के खिलाफ एक संदेश भी होगा.