CM योगी की बड़ी पहल, UP में कस्टम ज्वेलरी उद्यम ने बदली गांव की महिलाओं की ज़िंदगी, घर बैठे छाप रहीं पैसा
UP: कहानी उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक दीपा रंजन का कहना है कि सुशीला जैसी महिलाएं उस बदलाव का प्रमाण हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महिला-केंद्रित नीतियों से ग्रामीण इलाकों में दिखाई दे रहा है.
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CM Yogi: मीरजापुर जिले के पिपरवा गांव की रहने वाली 28 साल की सुशीला देवी का जीवन कुछ साल पहले तक बहुत सीमित दायरे में सिमटा हुआ था. किसान परिवार में जन्म लेने वाली सुशीला ने इंटरमीडिएट तक पढ़ाई तो कर ली थी, लेकिन आगे क्या करना है, यह समझ नहीं आ रहा था. पति की निजी नौकरी से जो थोड़ी-बहुत आमदनी होती थी, उसी से घर चलाना, बच्चों की पढ़ाई कराना और भविष्य के सपने देखना सब कुछ बहुत मुश्किल था. घरेलू जिम्मेदारियों के बीच सुशीला के पास न तो अपनी कोई आमदनी थी और न ही आत्मनिर्भर बनने का कोई रास्ता दिखाई देता था.
सरकारी पहल ने दिखाया आत्मनिर्भरता का रास्ता
सुशीला की जिंदगी में बदलाव तब आया, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी उनके गांव तक पहुंची. उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स संस्था की टीम पिपरवा गांव आई और महिलाओं को समझाया कि वे भी अपना खुद का काम शुरू कर सकती हैं. टीम ने महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाया और बताया कि हुनर हर किसी के भीतर होता है, बस उसे पहचानने और सही दिशा देने की जरूरत होती है. यही बात सुशीला के दिल को छू गई.
कस्टम ज्वेलरी से शुरू हुआ नया सफर
एक सामूहिक बैठक के दौरान जब महिलाओं को कस्टम ज्वेलरी बनाने के प्रशिक्षण के बारे में बताया गया, तो सुशीला ने थोड़ी झिझक के साथ इसमें हिस्सा लिया. घर की जिम्मेदारियां, सीमित साधन और गांव का माहौल उनके लिए चुनौती था, लेकिन सीखने की इच्छा उनसे कहीं बड़ी थी. उन्होंने पूरी लगन से ज्वेलरी बनाने का प्रशिक्षण लिया और स्वयं सहायता समूह से 15 हजार रुपये का ऋण लेकर छोटा सा काम शुरू किया. धीरे-धीरे उनके हाथों से बनी ज्वेलरी लोगों को पसंद आने लगी और आसपास के बाजारों में उसकी मांग बढ़ने लगी. मिशन और संस्था की टीम ने उन्हें बाजार से जोड़कर बिक्री की समस्या भी दूर कर दी.
आय बढ़ी, आत्मविश्वास भी बढ़ा
योगी सरकार के सहयोग और अपने परिश्रम से आज सुशीला की मासिक आमदनी करीब 15 हजार रुपये तक पहुंच गई है. कभी जिनके पास अपनी कोई कमाई नहीं थी, आज वही सुशीला घर की आर्थिक जिम्मेदारियों में पति की बराबर की सहभागी बन चुकी हैं. उन्होंने अपने बच्चों का दाखिला अच्छे स्कूल में करवाया और भविष्य को लेकर नए सपने देखने लगी हैं. इतना ही नहीं, सुशीला ने अपने काम में गांव की दूसरी महिलाओं को भी जोड़ा, जिससे कई परिवारों की आजीविका का सहारा बना यह छोटा सा उद्यम अब एक मिसाल बन गया है.
गांव की महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा
सुशीला का आत्मविश्वास अब उनके चेहरे की मुस्कान में साफ झलकता है. वे कहती हैं कि पहले उन्हें लगता था कि गांव की महिलाएं सिर्फ घर तक ही सीमित रहती हैं, लेकिन अब उन्हें एहसास हुआ है कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिले तो महिलाएं भी अपना भविष्य खुद बना सकती हैं. उनकी कहानी गांव की दूसरी महिलाओं को भी आगे बढ़ने और कुछ नया करने की प्रेरणा दे रही है.
छोटे गांवों से लिखी जा रही सफलता की नई
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कहानी उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक दीपा रंजन का कहना है कि सुशीला जैसी महिलाएं उस बदलाव का प्रमाण हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महिला-केंद्रित नीतियों से ग्रामीण इलाकों में दिखाई दे रहा है. छोटे-छोटे गांवों से अब स्वाभिमान, आत्मनिर्भरता और सफलता की कहानियां निकलकर सामने आ रही हैं. सुशीला आज सिर्फ अपने परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए आत्मनिर्भरता और हौसले की पहचान बन चुकी हैं.
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