हरियाणा में टीचरों की सैलरी पर नियम सख्त, क्लासरूम में न रहने पर नहीं मिलेगा पेमेंट
Haryana: टीचर को गैर-शैक्षणिक काम सौंपने से पहले डायरेक्टरेट से अनुमति लेना अनिवार्य होगा. इस आदेश का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों की पढ़ाई बीच में न रुके और स्कूलों में पढ़ाई पर पूरा ध्यान रहे.
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Haryana Strict Rules on Teacher Salaries: हरियाणा सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एक अहम फैसला लिया है. सरकार ने उन सभी टीचरों को तुरंत स्कूल लौटने का आदेश दिया है, जो फिलहाल किसी दूसरे विभाग के काम में लगे हुए थे. अब उन्हें फिर से अपनी कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाने पर ध्यान देना होगा. सरकार ने साफ कहा है कि जो टीचर पढ़ाई से हटकर दूसरे दफ्तरों में काम कर रहे हैं, उन्हें अब वेतन नहीं दिया जाएगा. अगर गलती से किसी ऐसे टीचर की सैलरी जारी हो भी जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी उस विभाग के DDO (ड्रॉइंग एंड डिस्बर्सिंग ऑफिसर) पर होगी. यह कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि टीचर अपने असली काम यानी बच्चों को पढ़ाने पर पूरा ध्यान दे सकें.
सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय ने जारी किए निर्देश
सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी करते हुए बताया कि सालाना परीक्षाएं नजदीक हैं और इस समय टीचरों का स्कूल में रहना बेहद जरूरी है. कई जगहों पर शिकायत मिली थी कि टीचरों को चुनाव कार्यालयों में काम पर लगाया गया है, जबकि कुछ को उपमंडल स्तर पर दूसरे गैर-शैक्षणिक कार्यों की जिम्मेदारी दी गई थी.
निदेशालय ने स्पष्ट कहा कि यह पूरी तरह शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून 2009 का उल्लंघन है, जिसमें साफ लिखा है कि टीचरों को पढ़ाई के काम के अलावा किसी और काम में नहीं लगाया जाना चाहिए, सिवाय कुछ चुनिंदा परिस्थितियों के.
कानून के मुताबिक टीचर सिर्फ पढ़ाई से जुड़े काम ही करेंगे
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RTE एक्ट के सेक्शन 27 में यह साफ कहा गया है कि टीचर को केवल पढ़ाई और पढ़ाई से जुड़े ही कार्य सौंपे जा सकते हैं. इसलिए सरकार का मानना है कि टीचर का स्कूल में मौजूद रहना बहुत जरूरी है. टीचरों की मौजूदगी से बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी, परीक्षाओं की तैयारी ठीक से होगी और यह भी सुनिश्चित होगा कि हर बच्चे को अच्छी क्वालिटी की पढ़ाई मिल सके. इसीलिए सभी टीचरों को बिना देरी किए स्कूल ज्वाइन करने का आदेश दिया गया है.
सरकारी स्कूलों में मीटिंग पर रोक, ज़रूरत पर होंगी ऑनलाइन
इसके अलावा सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. अब सरकारी स्कूलों में किसी भी तरह की मीटिंग नहीं होगी. अगर बहुत ज़रूरी हुआ, तो मीटिंग सिर्फ ऑनलाइन की जा सकेगी. इससे स्कूलों में पढ़ाई का समय बर्बाद नहीं होगा और टीचर पूरा ध्यान बच्चों पर दे पाएंगे. आगे से किसी भी टीचर को गैर-शैक्षणिक काम सौंपने से पहले डायरेक्टरेट से अनुमति लेना अनिवार्य होगा. इस आदेश का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों की पढ़ाई बीच में न रुके और स्कूलों में पढ़ाई पर पूरा ध्यान रहे.
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