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AI से बने फोटो और वीडियो पर अब लगेगा स्पष्ट वाटरमार्क, सरकार ने किया ऐलान

मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (Meity) ने नए नियमों का प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह जरूरी किया गया है कि वे AI से बनाए गए या बदल दिए गए फोटो और वीडियो सहित हर प्रकार के कंटेंट पर लेबल लगाएं.

24 Oct, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
05:11 PM )
AI से बने फोटो और वीडियो पर अब लगेगा स्पष्ट वाटरमार्क, सरकार ने किया ऐलान
Image Source: Social Media

AI Watermark Image Rules: भारत सरकार ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के इस्तेमाल और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए एक अहम फैसला लिया है. मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (Meity) ने नए नियमों का प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह जरूरी किया गया है कि वे AI से बनाए गए या बदल दिए गए फोटो और वीडियो सहित हर प्रकार के कंटेंट पर लेबल लगाएं. इस प्रस्ताव के मुताबिक, किसी भी AI जनरेटेड या ऑल्टर किए गए कंटेंट पर यूजर को साफ-साफ जानकारी होनी चाहिए. लेबलिंग की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों पर होगी. अगर कोई अकाउंट इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो कंपनियां उसे फ्लैग (flag) कर सकती हैं. इसका मतलब यह है कि कंटेंट पर AI का लेबल होना अनिवार्य होगा और यूजर को पता होना चाहिए कि यह सामग्री AI की मदद से बनाई गई है.

AI कंटेंट पर लेबलिंग के लिए खास नियम

नए नियमों में यह भी तय किया गया है कि AI कंटेंट पर स्पष्ट और दिखाई देने वाला वाटरमार्क या लेबल होना चाहिए. यह लेबल कंटेंट के कुल साइज या समय का कम से कम 10% हिस्सा होना चाहिए. अगर कोई वीडियो 10 मिनट का है, तो उसमें कम से कम 1 मिनट तक AI वाटरमार्क नजर आए. सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां इस मामले में कोताही करती हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. इसका उद्देश्य है कि यूजर्स को पता चले कि कंटेंट असली है या AI द्वारा बदला गया है.

6 नवंबर तक सुझाव देने का मौका

सरकार ने इस प्रस्तावित नियम के बारे में इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे हैं. यह सुझाव देने की आखिरी तारीख 6 नवंबर 2025 है. केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इंटरनेट पर डीपफेक और फेक कंटेंट तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में नए नियमों से यूजर्स, कंपनियों और सरकार की जिम्मेदारी बढ़ेगी. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि AI कंपनियों के साथ बातचीत में यह तय हुआ है कि मेटाडेटा के जरिए AI कंटेंट की पहचान की जा सकती है. अब डीपफेक कंटेंट की पहचान और रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों पर होगी इसके अलावा, कंपनियों को अपनी कम्युनिटी गाइडलाइंस में AI कंटेंट की पॉलिसी शामिल करनी होगी.

सरकार का मकसद

सरकार का मकसद है कि इंटरनेट पर फैल रहे फेक और डीपफेक कंटेंट को नियंत्रित किया जाए. AI की मदद से बनाई गई सामग्री पर लेबलिंग और जवाबदेही से यूजर्स को सही जानकारी मिलेगी और फेक खबरों, झूठे वीडियो और फोटो से बचा जा सकेगा.

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