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आर्यभट्ट से गगनयान तक… भारत के स्पेस सफर का जश्न, पीएम मोदी और ISRO चीफ का बड़ा संदेश

23 अगस्त अब सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास और वैज्ञानिक ताकत का प्रतीक बन चुकी है. स्पेस डे न केवल भारत की उपलब्धियों की याद दिलाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत आने वाले समय में अंतरिक्ष की दुनिया में कितनी बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है.

23 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
06:16 AM )
आर्यभट्ट से गगनयान तक… भारत के स्पेस सफर का जश्न, पीएम मोदी और ISRO चीफ का बड़ा संदेश
Image Credit : Social media (file photo)

National Space Day: 23 अगस्त 2023 को भारत ने इतिहास रच दिया था. इसी दिन भारत का चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा और भारत चांद पर लैंड करने वाला चौथा देश बन गया. पूरी दुनिया ने इस पल को देखा और भारत की वैज्ञानिक ताकत को सलाम किया. इसी ऐतिहासिक दिन को यादगार बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) के रूप में मनाने की घोषणा की. अब हर साल इस दिन को देश गर्व और विज्ञान के उत्सव के रूप में मनाता है.

पीएम मोदी ने दी स्पेस डे की शुभकामनाएं

नेशनल स्पेस डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश में देशवासियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि इस बार स्पेस डे की थीम है "आर्यभट्ट से गगनयान तक". इसका मतलब है कि भारत ने प्राचीन ज्ञान से लेकर आधुनिक विज्ञान तक एक लंबा और गर्व भरा सफर तय किया है. पीएम मोदी ने कहा कि बहुत कम समय में यह दिन देश के युवाओं में विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति एक नई ऊर्जा और प्रेरणा बन गया है. उन्होंने वैज्ञानिकों और युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि भारत के स्पेस सेक्टर का भविष्य बेहद उज्जवल है.

गगनयान मिशन और गगनयात्रियों की तैयारी

इसी अवसर पर ISRO के अध्यक्ष वी नारायणन ने भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारत के चार गगनयात्रियों को इस मिशन के लिए तैयार किया गया है. इन चार में से एक, शुभांशु शुक्ला, को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजा गया था और वे सुरक्षित लौट आए हैं. यह भारत के लिए एक बड़ी सफलता है. उन्होंने कहा कि बाकी तीन गगनयात्री भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं और सभी को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

 SRO ने दिखाया भारतीय स्पेस स्टेशन का मॉडल

इस स्पेस डे पर ISRO ने पहली बार भारत के स्पेस स्टेशन का मॉडल जनता को दिखाया. यह एक बड़ा कदम है क्योंकि अब तक केवल अमेरिका और चीन के पास ही अपने-अपने स्पेस स्टेशन थे. ISRO का लक्ष्य है कि 2028 तक इस भारतीय स्पेस स्टेशन के पहले हिस्से (मॉड्यूल) को लॉन्च किया जाए. यही वह जगह होगी जहां भविष्य में भारत के एस्ट्रोनॉट्स, यानी गगनयात्री काम करेंगे और प्रयोग करेंगे. गगनयान मिशन के तहत भारत पहली बार अपने वैज्ञानिकों को अपने ही बनाए स्पेस स्टेशन में भेजेगा.

भारत बन रहा है स्पेस पावर

आज भारत सिर्फ रॉकेट लॉन्च करने वाला देश नहीं, बल्कि अंतरिक्ष की दुनिया में एक तेजी से उभरती स्पेस पावर बन चुका है. चाहे वो चंद्रयान हो, मंगल मिशन हो, या अब गगनयान भारत ने हर कदम पर दुनिया को चौंकाया है. स्पेस डे न केवल इन उपलब्धियों का जश्न है, बल्कि यह युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान की ओर आकर्षित करने का एक जरिया भी बन गया है.

शुभांशु शुक्ला बोले - 'भारत अब अंतरिक्ष के स्वर्ण युग में है'

शुभांशु शुक्ला ने कहा, “दो साल पहले हमारे पास ऐसा कोई दिन नहीं था. लेकिन सिर्फ एक साल में हमने इतनी बड़ी उत्सुकता और जोश पैदा कर दिया है.”
आगे की योजनाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब बेहद महत्वाकांक्षी हो चुका है. इसमें गगनयान मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) और भविष्य में चंद्रमा पर लैंडिंग जैसे बड़े मिशन शामिल हैं. उन्होंने कहा कि वे भारत के आने वाले अंतरिक्ष अभियानों को लेकर बेहद उत्साहित हैं, और यह उत्साह केवल भारत तक सीमित नहीं है. जापान और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियां भी भारत की योजनाओं को बहुत करीब से देख रही हैं और उनमें भाग लेने की इच्छा जता रही हैं. “जापानी और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियां हमारे मिशन को लेकर हमसे कहीं ज्यादा उत्साहित हैं. उन्होंने तो मुझसे एक नोट पर हस्ताक्षर भी करवा लिए हैं कि जब भी हम कोई मिशन लॉन्च करें, उन्हें ज़रूर आमंत्रित करें. वे चाहते हैं कि वे भी भारतीय ज़मीन से हमारे यान में उड़ान भरें,”.

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23 अगस्त अब सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास और वैज्ञानिक ताकत का प्रतीक बन चुकी है. स्पेस डे न केवल भारत की उपलब्धियों की याद दिलाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत आने वाले समय में अंतरिक्ष की दुनिया में कितनी बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है. गगनयान और भारतीय स्पेस स्टेशन जैसे मिशनों से भारत का नाम अब चाँद और सितारों के पार लिखा जाएगा.

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