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अमेरिका के भारत पर 500% टैरिफ लगाने की 'धमकी' पर विदेश मंत्री जयशंकर की दो टूक, कहा- समय आने दो, देख लेंगे…

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिका द्वारा रूसी तेल के प्रमुख खरीदारों पर 500% तक टैरिफ लगाने की संभावित योजना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि भारत इस मुद्दे पर तभी कोई ठोस निर्णय लेगा, जब स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी. बात दें कि बीते दिन ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थन मिलने के बाद रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% आयात शुल्क लगाने संबंधी प्रस्तावित विधेयक और भी अधिक गंभीर रूप लेता जा रहा है.

03 Jul, 2025
( Updated: 04 Jul, 2025
10:26 AM )
अमेरिका के भारत पर 500% टैरिफ लगाने की 'धमकी' पर विदेश मंत्री जयशंकर की दो टूक, कहा- समय आने दो, देख लेंगे…

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिका द्वारा रूसी तेल के प्रमुख खरीदारों पर 500% तक टैरिफ लगाने की संभावित योजना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि भारत इस मुद्दे पर तभी कोई ठोस निर्णय लेगा, जब स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी.
जयशंकर ने इस मामले को "एक ऐसा पुल बताया जिसे तभी पार किया जाएगा जब हम उसके करीब पहुंचेंगे", यानी भारत इस पर तत्काल कोई पूर्व-निर्धारित रुख नहीं अपनाएगा, बल्कि परिस्थितियों के आधार पर उपयुक्त कदम उठाएगा.
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका कथित रूप से उन देशों पर उच्च शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा है जो रूसी कच्चे तेल का आयात कर रहे हैं, जिसमें भारत भी प्रमुख खरीदारों में शामिल है.

ऐसे घटनाक्रम बेहद करीब से ट्रैक करते हैं: जयशंकर
जयशंकर अमेरिका के चार दिवसीय दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने साफ किया कि भारत ने अमेरिका के उस सांसद के सामने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर कर दी है, जिसने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% शुल्क लगाने वाला विधेयक पेश किया है. जयशंकर ने वाशिंगटन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "ऐसे घटनाक्रम, जो भारत के हित में हों या उस पर प्रभाव डाल सकते हों, हम उन्हें बेहद करीब से ट्रैक करते हैं."

उन्होंने बताया कि भारत सरकार और भारतीय दूतावास अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं. ग्राहम वही सीनेटर हैं, जिन्होंने यह सख्त विधेयक पेश किया है. विधेयक पेश करते समय उन्होंने विशेष रूप से भारत और चीन का नाम लेते हुए आरोप लगाया था कि ये देश मिलकर पुतिन का 70% तेल खरीद रहे हैं. जयशंकर ने कहा, "मुझे लगता है कि हमने अपनी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं और हितों को ग्राहम के साथ स्पष्ट रूप से साझा किया है. अब यह देखना होगा कि यह बिल कितना आगे बढ़ता है. जब समय आएगा, तो हम उस पुल को पार करेंगे."

ट्रंप का समर्थन बना नई चुनौती
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थन मिलने के बाद रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% आयात शुल्क लगाने संबंधी प्रस्तावित विधेयक और भी अधिक गंभीर रूप लेता जा रहा है. यह विधेयक भारत और चीन जैसे देशों को निशाना बनाता है, जो अब भी रूसी तेल और अन्य संसाधनों के बड़े खरीदार हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रस्ताव अमेरिका की रूस पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है, ताकि उसे यूक्रेन युद्ध पर बातचीत के लिए मजबूर किया जा सके.
अगर यह विधेयक पास होता है, तो भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर भारी असर पड़ सकता है. 500% आयात शुल्क भारतीय व्यापार के लिए एक बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब भारत वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की तैयारी!
भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज हो गई है. यह समझौता मुख्य रूप से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अप्रैल 2025 में घोषित 26% जवाबी टैरिफ से बचने के उद्देश्य से किया जा रहा है. अगर यह समझौता सफल होता है, तो भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में बड़ी राहत मिल सकती है.

रूस से तेल आयात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
दूसरी ओर, भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद में लगातार इज़ाफा हो रहा है. मई 2025 में यह आंकड़ा 1.96 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया, जो पिछले 10 महीनों का उच्चतम स्तर है. भारत अब पारंपरिक आपूर्तिकर्ता पश्चिम एशियाई देशों को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक तेल रूस से खरीद रहा है.
यह रुझान फरवरी 2022 के बाद शुरू हुआ, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और पश्चिमी देशों ने रूस पर व्यापक आर्थिक प्रतिबंध लगाए. इसके बाद रूस ने भारत और चीन जैसे देशों को रियायती दरों पर तेल बेचने की नीति अपनाई, जिसका लाभ भारतीय रिफाइनरियों ने बड़े पैमाने पर उठाया.
वर्तमान में भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 40–45% हिस्सा कच्चे तेल के जरिए पूरा करता है, जिसमें रूस की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि अमेरिका की प्रस्तावित टैरिफ नीति भारत के लिए व्यापारिक ही नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम चुनौती बन सकती है.

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