तेजी से फैल रहे Covid-19 के मामले, इम्युनिटी को चकमा देने वाले XFG वैरिएंट ने बढ़ाई चिंता, जानिए एक्सपर्ट्स ने क्या कहा
भारत में अब तक नए उभरते XFG वैरिएंट के भी 163 मामले पाए गए हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ आम लोगों की भी चिंता बढ़ गई है. अब ये नया वैरियंट कितना और इससे क्या गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है, इसके बारे में जानने की जरूरत है.

भारत में इस समय कोरोना से संक्रमित मामलों में उछाल देखा जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के 10 जून आंकड़े जारी किए हैं, इसके अनुसार भारत में 324 नए मामले मिलने के कारण एक्टिव मामलों की संख्या 6815 हो गई है. इसके साथ ही दिल्ली, झारखंड और केरल तीनों राज्यों में 3 मौतें भी हुईं.
ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट JN.1 के अलावा भारत में और भी नए वैरिएंट मौजूद हैं जो कि संक्रमण में वृद्धि का कारण हैं. भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के मुताबिक, भारत में अब तक नए उभरते XFG वैरिएंट के भी 163 मामले पाए गए हैं. अब ये कितना ख़तरनाक है और इससे क्या गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है, इसके बारे में जानने की जरूरत है.
द लैंसेट जर्नल के अनुसार, XFG वैरिएंट ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट का वंशज है, जिसे सबसे पहले कनाडा में पाया गया था. LF.7 और LP.8.1.2 से उत्पन्न हुआ XFG वैरिएंट में चार मुख्य स्पाइक म्यूटेशन (His445Arg, Asn487Asp, Gln493Glu, और Thr572Ile) हैं. रिसर्च में कहा गया है कि यह तेजी से विश्व भर में फैल गया है. XFG वैरिएंट में मजबूत इम्युनिटी से भी बचने की क्षमता है जो वायरस को जिंदा रहने और फैलने का रास्ता देती है क्योंकि यह शरीर के नेचुरल डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर बच निकलने में कामयाब हो सकता है.
INSACOG के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार: महाराष्ट्र में सबसे अधिक XFG मामले (89) दर्ज किए गए हैं, इसके बाद तमिलनाडु (16), केरल (15), गुजरात (11), तथा आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल (6-6) मामले हैं. इनमें से अधिकांश मामले (159) मई 2024 में सामने आए, जबकि अप्रैल और जून में 2-2 मामले सामने आए.
XFG वैरिएंट पिछले वेरिएंट्स से अलग है?
भारतीय वैज्ञानिक XFG पर करीबी नजर रख रहे हैं क्योंकि इसके स्पाइक प्रोटीन में कुछ म्यूटेशन हुए हैं. यह वायरस का वह भाग है जो इसे मानव कोशिकाओं से जुड़ने और उनमें प्रवेश करने में मदद करता है. ये म्यूटेशन इस बात को प्रभावित कर सकता हैं कि वायरस कितनी आसानी से मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कितनी तेजी से फैलता है.
जबकि कुछ म्यूटेशन वायरस की मानव कोशिकाओं से जुड़ने की क्षमता को कम कर देते हैं, अन्य म्यूटेशन इसे इम्यून रिस्पांस से बचने में मदद करते हैं, जिसका अर्थ है कि यह शरीर के नेचुरल डिफेंस सिस्टाम या वैक्सीन से बच सकता है.इस कॉम्बिनेशन का मतलब यह है कि XFG पहले के वैरिएंट्स जितना संक्रामक तो नहीं है लेकिन फिर भी इम्युनिटी को चकमा देने की क्षमता शरीर को संक्रमण से बचने की ताकत को कठिन बना देती है. खासकर उम्रदराज, पुरानी बीमारी से पीड़ित और बिना वैक्सीनेशन वाले लोगों में.
कितनी जोखिम हो सकता है?
एक्सपर्ट्स का कहना है, फिलहाल ऐसा कोई सबूत नहीं है जो दिखाए कि XFG के कारण अधिक गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति बन रही है. हालांकि इस XYG में इम्युनिटी को चकमा देकर चुपचाप फैलने की इसकी क्षमता यदि और बढ़ती है तो चिंता का विषय हो सकता है. हालांकि यदि इन वैरिएंट पर अभी बारीकी से नजर नहीं रखी गई तो ये आगे चलकर जोखिम पैदा कर सकते हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि जितने भी वैरिएंट सामने आ रहे हैं ये सभी ओमिक्रॉन वैरिएंट और सब-वैरिएंट हैं. भारत में इनकी वृद्धि कम है और मृत्यु दर भी काफी कम है. इन वैरिएंट से जुड़ा कोई बड़ा खतरा नहीं है.हालांकि अभी देश में डबल सीजन (गर्मी) की वजह से मरीजों में फ्लू जैसे लक्षण बढ़ गए हैं और इस कारण भी मरीजों की संख्या बढ़ी है. वहीं फ्लू और कोविड दोनों के लक्षण भी लगभग समान ही हैं इसलिए लोग अधिक परेशान हो रहे हैं. लेकिन फिलहाल डरने की कोई जरूरत नहीं है.