Advertisement

पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब का विवादास्पद बयान, कहा- 'नहीं तो पाकिस्तान लखनऊ तक होता!'

पूर्व सांसद ने मोहम्मद अदीब ने मंच पर अपने संबोधन में उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया, जिससे विवाद हो गया है. मोहम्मद अदीब ने दावा किया, "ये मुसलमानों का एहसान है कि उन्होंने जिन्ना को मना किया, जिसके चलते पाकिस्तान का बॉर्डर लाहौर तक रह गया, नहीं तो ये लखनऊ तक होता."

12 Nov, 2024
( Updated: 13 Nov, 2024
09:20 AM )
पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब का विवादास्पद बयान, कहा- 'नहीं तो पाकिस्तान लखनऊ तक होता!'
हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक विशेष सम्मेलन में, पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब का बयान सामने आया, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस सम्मेलन का उद्देश्य वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा करना था, लेकिन मोहम्मद अदीब के बयान ने इस कार्यक्रम को एक नए विवाद की ओर मोड़ दिया। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि "यह मुसलमानों का एहसान है कि उन्होंने जिन्ना को मना किया, नहीं तो पाकिस्तान का बॉर्डर लाहौर तक नहीं बल्कि लखनऊ तक होता।" इस टिप्पणी के बाद से यह मुद्दा सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। 

दिल्ली में हाल ही में एक मुस्लिम सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें वक्फ संपत्तियों के लिए नए संशोधन बिल के खिलाफ आवाज उठाई गई। इस मंच पर मोहम्मद अदीब के साथ कई अन्य प्रमुख मुस्लिम नेता और सांसद भी उपस्थित थे। उनके बयान ने न केवल मुस्लिम समाज में बल्कि देशभर में एक नई बहस को जन्म दिया। मोहम्मद अदीब ने अपने संबोधन में यह दावा किया कि भारत के मुसलमानों ने जिन्ना का साथ देने से इनकार कर दिया था, इसी कारण पाकिस्तान केवल लाहौर तक सीमित रह गया।

मोहम्मद अदीब का यह बयान उस समय की ओर इशारा करता है जब भारत के विभाजन का निर्णय लिया गया था। उनका दावा है कि यदि उस समय भारतीय मुसलमानों ने जिन्ना का समर्थन किया होता, तो पाकिस्तान का विस्तार उत्तर प्रदेश तक हो सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय मुसलमानों ने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को चुना और जिन्ना के विचारों का विरोध किया। अदीब का कहना है कि ये एहसान हुकूमत को मानना चाहिए।

अदीब ने अपने भाषण में इस बात पर भी रोशनी डाली कि भारतीय मुसलमानों की स्थिति पिछले कुछ दशकों में कैसे बदल गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ा है और उन्हें देशद्रोही के तौर पर देखा जा रहा है। अदीब ने अपने अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि वे कई बार राजनीतिक फायदे के लिए मुस्लिम समाज को नजरअंदाज किया गया है। उनके अनुसार, मुसलमानों को अब एक गुनहगार की तरह देखना शुरू कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अब उनकी 'हैसियत' नहीं रह गई है, जबकि पहले मुसलमानों का एक अहम स्थान हुआ करता था।

मोहम्मद अदीब के इस बयान के दौरान मंच पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी और जनरल सेक्रेटरी फजलुर्रहीम मुजद्दिदी मौजूद थे। इसके साथ ही, कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी, समाजवादी पार्टी के मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी और राज्यसभा सांसद सैय्यद नसीर हुसैन जैसी प्रमुख हस्तियाँ भी वहां उपस्थित थीं। इस कार्यक्रम में प्रमुख मुस्लिम नेताओं की उपस्थिति के कारण इस बयान ने और भी ज्यादा तूल पकड़ लिया। मोहम्मद अदीब के बयान पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया दोनों ही आयी हैं। कुछ लोग उनके इस बयान का समर्थन करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के बलिदान के रूप में देख रहे हैं। वहीं, कई आलोचक इसे विभाजनकारी बयान के रूप में मानते हैं, जो वर्तमान समाज में नफरत और भेदभाव को बढ़ावा दे सकता है।

वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल का मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार लाना है। मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका इसे अपने धार्मिक स्थलों और संपत्तियों के अधिकारों में हस्तक्षेप मानता है। इसी कारण से मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने इसका विरोध करते हुए इसे मुस्लिम समाज के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है। वक्फ संशोधन बिल और मुस्लिम समाज के अधिकारों पर यह बहस आने वाले समय में और तीखी हो सकती है, और इस मुद्दे पर सभी पक्षों को एकजुट होकर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है ताकि समाज में आपसी एकता और शांति बनी रहे।

Tags

Advertisement
LIVE
Advertisement
Modi बोलता हुआ कोहिनूर हैं, असल खेल तो अब शुरु होने वाला हैं ! Waqf Bill | Maulana Kaukab Mujtaba
Advertisement
Advertisement