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तलाक नहीं, लेकिन साथ भी नहीं! क्या है जुडिशियल सेपरेशन? जानें क्यों बढ़ रहा है इसका चलन

जुडिशियल सेपरेशन एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत अदालत पति-पत्नी को एक-दूसरे से अलग रहने की अनुमति दे देता है, जबकि उनका वैवाहिक बंधन कानूनी रूप से बना रहता है. इसका मतलब यह है कि वे अब पति-पत्नी के रूप में साथ रहने के लिए बाध्य नहीं हैं, लेकिन वे अभी भी विवाहित माने जाते हैं और दोबारा शादी नहीं कर सकते. यह तलाक से पहले एक तरह का 'ब्रेक' या 'कूलिंग-ऑफ पीरियड' होता है.

19 Jun, 2025
( Updated: 19 Jun, 2025
01:33 PM )
तलाक नहीं, लेकिन साथ भी नहीं! क्या है जुडिशियल सेपरेशन? जानें क्यों बढ़ रहा है इसका चलन

वैवाहिक रिश्तों में खटास और समस्याओं का आना कोई नई बात नहीं है. जब पति-पत्नी के बीच इतनी दूरी आ जाती है कि साथ रहना मुश्किल हो जाए, लेकिन वे किसी कारण से तलाक भी नहीं चाहते, तो ऐसे में एक कानूनी रास्ता 'जुडिशियल सेपरेशन' (Judicial Separation) यानी न्यायिक पृथक्करण का है. यह अवधारणा भारत में धीरे-धीरे लोकप्रियता हासिल कर रही है, खासकर उन लोगों के बीच जो अपने रिश्ते को पूरी तरह ख़त्म किए बिना अलग रहना चाहते हैं.

क्या है जुडिशियल सेपरेशन?

जुडिशियल सेपरेशन एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत अदालत पति-पत्नी को एक-दूसरे से अलग रहने की अनुमति दे देता है, जबकि उनका वैवाहिक बंधन कानूनी रूप से बना रहता है. इसका मतलब यह है कि वे अब पति-पत्नी के रूप में साथ रहने के लिए बाध्य नहीं हैं, लेकिन वे अभी भी विवाहित माने जाते हैं और दोबारा शादी नहीं कर सकते. यह तलाक से पहले एक तरह का 'ब्रेक' या 'कूलिंग-ऑफ पीरियड' होता है. 

भारत में Judicial Separation के नियम

Hindu Marriage Act, 1955 - इस एक्ट के Section 10 में ज्यूडिशियल सेपरेशन का नियम है
Special Marriage Act, 1954 - इसमें भी यही सुविधा दी गई है
ईसाई समुदाय के लिए Indian Divorce Act, 1869 में यह नियम लागू किए गए हैं

हालांकि, Muslim Law में 'तलाक' की कानूनी प्रक्रिया थोड़ी अलग है. यहां ज्यूडिशियल सेपरेशन जैसा कॉन्सेप्ट नहीं है. लेकिन कई मामलों में कोर्ट से परमिशन लेकर बिना तलाक के अलग रहा जा सकता है. 

तलाक से कैसे अलग है जुडिशियल सेपरेशन?

जुडिशियल सेपरेशन में विवाह का कानूनी बंधन बना रहता है. पति-पत्नी अलग रहते हैं, लेकिन वे अभी भी एक-दूसरे के पति-पत्नी ही होते हैं. तलाक में विवाह का कानूनी बंधन पूरी तरह से समाप्त हो जाता है. पति-पत्नी अब विवाहित नहीं माने जाते और वे दोबारा शादी करने के लिए स्वतंत्र होते हैं.

जुडिशियल सेपरेशन सुलह की गुंजाइश छोड़ता है. अगर पति-पत्नी अलग रहने के बाद अपने मतभेदों को सुलझा लेते हैं, तो वे फिर से साथ रहने का फैसला कर सकते हैं और अदालत से इस डिक्री को रद्द करवा सकते हैं. तलाक में पुनर्मिलन की कोई गुंजाइश नहीं बचती, क्योंकि रिश्ता कानूनी रूप से ख़त्म हो चुका होता है.

पति-पत्नी जुडिशियल सेपरेशन के दौरान दोबारा शादी नहीं कर सकते. ऐसा करना 'द्वि-विवाह' (Bigamy) माना जाएगा. तलाक के बाद दोनों पक्ष कानूनी रूप से दोबारा शादी कर सकते हैं.

अगर जुडिशियल सेपरेशन के बाद एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक साल) तक पति-पत्नी साथ नहीं रहते हैं, तो यह तलाक के लिए एक वैध आधार बन जाता है. यह उन लोगों के लिए एक प्रारंभिक कदम हो सकता है जो अंततः तलाक चाहते हैं, लेकिन तुरंत नहीं.

जुडिशियल सेपरेशन उन जोड़ों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी विकल्प है जो अपने रिश्ते में गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन तलाक जैसे अंतिम कदम को तुरंत नहीं उठाना चाहते. यह उन्हें अपने रिश्ते का पुनर्मूल्यांकन करने, सुलह की संभावना तलाशने, या बस अलग रहते हुए एक नए जीवन के लिए तैयार होने का अवसर देता है. यह 'रिश्ता न टूटे, पर साथ भी न रहे' की स्थिति को कानूनी मान्यता देता है, जिससे कई जोड़ों को कठिन परिस्थितियों से निपटने में मदद मिल रही है.

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