मखाना है स्वाद और सेहत का बेजोड़ संगम, जानें क्यों कहलाता है 'फॉक्स नट्स'
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के अनुसार, मखाने का मुख्य रूप से उत्पादन बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा में होता है. अकेले बिहार में, यह लगभग 15,000 हेक्टेयर जल निकाय में उगाया जाता है. लगभग 5 लाख परिवार सीधे मखाना की खेती - कटाई, पॉपिंग, बिक्री और उत्पादन - में शामिल हैं. बिहार से हर साल लगभग 7,500 से 10,000 टन पॉप्ड मखाना बेचा जाता है.

हमारी भारतीय संस्कृति और पाक कला में मखाना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. व्रत-त्योहारों से लेकर शाम के नाश्ते तक, इसे कई रूपों में इस्तेमाल किया जाता है. अपनी कुरकुरी बनावट और हल्के स्वाद के कारण यह तेज़ी से एक लोकप्रिय हेल्दी स्नैक के रूप में उभर रहा है. यह पोषक तत्वों का एक पावरहाउस है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पौष्टिकता से भरपूर इस भारतीय 'सुपरफूड' को अंग्रेजी में 'फॉक्स नट्स' (Fox Nuts) क्यों कहते हैं? आइए, इसके पीछे की दिलचस्प वजह और इसके कमाल के फायदों के बारे में जानते हैं.
मखाने को क्यों कहते हैं Fox Nuts?
मखाने को फॉक्स नट्स इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका आकार फॉक्स यानि लोमड़ी की तरह होता है. सफेद चेहरे पर एक बिंदु ऐसा जो हूबहू चालाक लोमड़ी की याद दिलाता है.
बिहार से हर साल बेचा जाता है लगभग 7,500 से 10,000 टन पॉप्ड मखाना
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के अनुसार, मखाने का मुख्य रूप से उत्पादन बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा में होता है. अकेले बिहार में, यह लगभग 15,000 हेक्टेयर जल निकाय में उगाया जाता है. लगभग 5 लाख परिवार सीधे मखाना की खेती - कटाई, पॉपिंग, बिक्री और उत्पादन - में शामिल हैं. बिहार से हर साल लगभग 7,500 से 10,000 टन पॉप्ड मखाना बेचा जाता है.
कैसे बनते हैं मखाने?
मखाना की पॉपिंग (बीज को छिलके से पॉप करने की प्रक्रिया) यानी मखाने को तैयार करने की प्रक्रिया तीन चरणों में शामिल है. बीज को पारंपरिक मिट्टी के बर्तन में या कच्चे लोहे के पैन में 250° सेल्सियस से 320° सेल्सियस तक उच्च तापमान पर भुना जाता है, 2 से 3 दिनों के लिए तड़के. फिर इसे भुनकर एक मैलेट (लकड़ी का हथौड़ा या मुंगरी) का उपयोग करके हाथ से मखाने को छिलके से अलग किया जाता है. भुनने के बाद हटाने के लिए अत्यधिक कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है क्योंकि हटाने में कुछ सेकंड की देरी से खराब गुणवत्ता वाला पॉप्ड मखाना बन जाएगा.
मखाना खाने के फायदे
शोध बताते हैं कि मखाने में मैग्नीशियम और पोटेशियम पाया जाता है, जो कि हृदय स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर होने से यह भूख को नियंत्रित करता है. अगर आप वजन घटाने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसका सेवन कर सकते हैं.
मखाने में मौजूद मैग्नीशियम तनाव कम करके अच्छी नींद लाने में मदद करता है. कैल्शियम की मौजूदगी हड्डियों और दांतों के लिए लाभकारी है. व्रत के दौरान अधिक मात्रा में इनका सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है, हालांकि बड़े बुजुर्ग निसंकोच सेवन की सलाह देते हैं. मखाना एक कम कैलोरी वाला स्नैक है. इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस और पोटेशियम के साथ-साथ शरीर के लिए कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं. मखाना भूख को कंट्रोल करने में मदद करता है. साथ ही इससे पेट भी भरा-भरा लगता है.
मखाने को डाइट में कैसे शामिल करें?
मखाने को डाइट में शामिल करना बेहद आसान है:
रोस्टेड स्नैक: इसे घी में हल्का भूनकर नमक, काली मिर्च, चाट मसाला या अन्य मसालों के साथ खाया जा सकता है.
दूध या दलिया में: सुबह के नाश्ते में दूध या दलिया में मिलाकर खाएं.
सब्ज़ी/करी में: कुछ ग्रेवी वाली सब्जियों या करी में इन्हें डालकर पोषण बढ़ा सकते हैं.
खीर/मिठाई में: मखाने की खीर एक स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाई है.
मखाना न केवल एक स्वादिष्ट और हल्का स्नैक है, बल्कि यह अपने अनगिनत स्वास्थ्य लाभों के कारण एक सच्चा 'सुपरफूड' भी है. चाहे इसे 'फॉक्स नट्स' कहा जाए या सिर्फ़ मखाना, इसके पोषण मूल्य और स्वास्थ्य लाभ इसे हमारी डाइट का एक अनिवार्य हिस्सा बनाते हैं. तो, अगली बार जब आपको भूख लगे, तो इस पौष्टिक विकल्प को ज़रूर चुनें.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.