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हर साल नया कोरोना वैरिएंट...क्या इस से निपटने के लिए आपकी वैक्सीन में भी हो रहे बदलाव? जानें क्या कहती है नई स्टडी

किसी भी वायरस का बदलना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे म्यूटेशन कहते हैं. जब वायरस अपनी संख्या बढ़ाता है, तो कभी-कभी उसकी जेनेटिक संरचना में छोटी-मोटी गलतियाँ हो जाती हैं. इनमें से कुछ गलतियाँ वायरस को फायदा पहुंचाती हैं, जैसे कि उसे ज़्यादा संक्रामक बनाना या इम्यून सिस्टम से बचने में मदद करना. यही कारण है कि समय-समय पर नए वैरिएंट्स सामने आते हैं.

28 May, 2025
( Updated: 28 May, 2025
06:19 PM )
हर साल नया कोरोना वैरिएंट...क्या इस से निपटने के लिए आपकी वैक्सीन में भी हो रहे बदलाव? जानें क्या कहती है नई स्टडी
कोरोना वायरस महामारी को आए अब कई साल हो गए हैं, और इस दौरान हमने देखा है कि यह वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है. हर साल एक नया या संशोधित वैरिएंट सामने आता है, जो कभी पहले से ज़्यादा संक्रामक होता है तो कभी मौजूदा इम्यूनिटी को चकमा देने में माहिर. इस लगातार बदलते रूप ने एक अहम सवाल खड़ा कर दिया है: क्या कोरोना की वैक्सीन भी इन नए वैरिएंट्स के हिसाब से अपडेट हो रही हैं? और अगर हाँ, तो नई स्टडीज़ इस बारे में क्या कहती हैं? आइए समझते हैं इस बदलते हालात को.

क्यों बदलते हैं कोरोना के वैरिएंट्स?


किसी भी वायरस का बदलना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे म्यूटेशन कहते हैं. जब वायरस अपनी संख्या बढ़ाता है, तो कभी-कभी उसकी जेनेटिक संरचना में छोटी-मोटी गलतियाँ हो जाती हैं. इनमें से कुछ गलतियाँ वायरस को फायदा पहुंचाती हैं, जैसे कि उसे ज़्यादा संक्रामक बनाना या इम्यून सिस्टम से बचने में मदद करना. यही कारण है कि समय-समय पर नए वैरिएंट्स सामने आते हैं. 

वैक्सीन अपडेट की आवश्यकता


जब एक नया वैरिएंट इतना बदल जाता है कि मौजूदा वैक्सीन उसके खिलाफ कम प्रभावी हो जाती है, तो वैक्सीन को अपडेट करने की आवश्यकता महसूस होती है. इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वैक्सीन अभी भी लोगों को गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु से बचा सके. यह प्रक्रिया कुछ-कुछ वैसी ही है जैसी हर साल फ्लू वैक्सीन को अपडेट किया जाता है. 

क्या कोरोना वैक्सीन अपडेट हो रही हैं?


कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स के जवाब में हेल्थ एजेंसियां लगातार वैक्सीन को अपडेट करने पर काम कर रही हैं. कंपनियां मल्टी-वैरिएंट या बायवैलेंट वैक्सीन बना रही हैं, जो नए वैरिएंट से लड़ने की शक्ति देगा. 

WHO और CDC जैसी वैश्विक स्वास्थ्य संस्थाएँ वायरस के विकास पर लगातार नज़र रख रही हैं. वे उभरते हुए वैरिएंट्स की पहचान करती हैं और वैक्सीन निर्माताओं को अपडेटेड वैक्सीन के लिए आवश्यक स्ट्रेन के बारे में मार्गदर्शन देती हैं.

आम लोग क्या करें?


अपनी आखिरी वैक्सीन की तारीख देख डॉक्टर से बूस्टर डोज की सलाह लें 
वैक्सीन अपडेट की जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय या WHO की वेबसाइट से पता करें 
भीड़भाड़ वाली जगहों में मास्क ज़रूर पहनें 
साफ़ सफाई का ध्यान रखें, हाथों को अच्छे से धोएं 
बुखार, खांसी, गले में खराश या थकान महसूस होने पर टेस्ट कराना न भूलें

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