कहीं आप भी तो नहीं करते खाना खाते समय ये गलती? जानिए खाने के साथ पानी पीने का सही तरीका
आयुर्वेद के अनुसार, हमारा शरीर भोजन पचाने के लिए एक पाचन अग्नि (जठराग्नि) उत्पन्न करता है. जब हम भोजन करते हैं, तो यह अग्नि सक्रिय होती है. भोजन के बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीने से यह पाचन अग्नि शांत या बुझती नहीं, बल्कि इसे सही ढंग से काम करने में मदद मिलती है. वहीं, जैसे ही हम भोजन समाप्त करते हैं, हमारी पाचन अग्नि अपने चरम पर होती है ताकि वह खाए हुए भोजन को पूरी तरह पचा सके. अगर हम भोजन के तुरंत बाद बहुत सारा पानी पी लेते हैं, तो यह उस पाचन अग्नि को तुरंत बुझा देता है.

आयुर्वेद में भोजन और पानी के सेवन के तरीकों पर बहुत ज़ोर दिया गया है. यह सिर्फ़ पेट भरने का माध्यम नहीं, बल्कि हमारे शरीर को पोषण देने और उसे स्वस्थ रखने की एक प्रक्रिया है. अक्सर हम खाने के साथ या तुरंत बाद पानी पीने की आदत को सामान्य मानते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, भोजन के दौरान और उसके ठीक बाद पानी पीने का तरीका हमारे पाचन तंत्र पर गहरा प्रभाव डालता है. "अजीर्णे भेषजं वारि, जीर्णे वारि बलप्रदम। भोजने चाऽमृतम् वारि, भोजनान्तें विषप्रदम।" इस श्लोक के अनुसार अपच की स्थिति में जल ग्रहण करना औषधि के समान और भोजन पचने के बाद जल ग्रहण करना बल प्रदान करता है. वहीं, भोजन के बीच में घूंट भर पानी पीना अमृत के समान, जबकि भोजन के बाद पानी पीना जहर की भांति होता है. आइए समझते हैं इस बात के पीछे का वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक तर्क.
भोजन के दौरान पानी पीने का महत्व
भोजन के ठीक बीच में एक या दो घूंट पानी पीने को अमृत के समान क्यों माना जाता है?
1. पाचन अग्नि को संतुलित करना
आयुर्वेद के अनुसार, हमारा शरीर भोजन पचाने के लिए एक पाचन अग्नि (जठराग्नि) उत्पन्न करता है. जब हम भोजन करते हैं, तो यह अग्नि सक्रिय होती है. भोजन के बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीने से यह पाचन अग्नि शांत या बुझती नहीं, बल्कि इसे सही ढंग से काम करने में मदद मिलती है. यह भोजन को नरम करने और उसे आगे बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे पाचन प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती है. यह भोजन को आसानी से तोड़ने में मदद करता है, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है.
2. भोजन को नरम करना
सूखा या कठोर भोजन करते समय, गले में अटकने या आसानी से न उतरने की समस्या हो सकती है. ऐसे में, बीच-बीच में एक घूंट पानी लेने से भोजन नरम हो जाता है और उसे निगलना आसान हो जाता है. यह गले में सूखेपन या असुविधा को कम करने में भी मदद करता है.
भोजन के तुरंत बाद पानी क्यों है 'जहर' के समान?
अब समझते हैं कि भोजन के तुरंत बाद ढेर सारा पानी पीना क्यों हानिकारक माना जाता है, जिसे 'जहर' के समान कहा गया है.
1. पाचन अग्नि को शांत करना
जैसे ही हम भोजन समाप्त करते हैं, हमारी पाचन अग्नि अपने चरम पर होती है ताकि वह खाए हुए भोजन को पूरी तरह पचा सके. अगर हम भोजन के तुरंत बाद बहुत सारा पानी पी लेते हैं, तो यह उस पाचन अग्नि को तुरंत बुझा देता है. ठीक वैसे ही, जैसे आग पर पानी डालने से वह बुझ जाती है. जब पाचन अग्नि कमज़ोर पड़ जाती है, तो भोजन ठीक से पच नहीं पाता.
2. अपच और गैस की समस्या
भोजन के ठीक बाद पानी पीने से भोजन का पाचन अधूरा रह जाता है. इससे गैस, एसिडिटी, पेट फूलना और अपच जैसी समस्याएँ होती हैं. लंबे समय तक यह आदत बनी रहने से कब्ज और अन्य गंभीर पाचन संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं.
3. पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित
जब पाचन ठीक से नहीं होता, तो शरीर को भोजन से पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाता. इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है.
क्या है सही तरीका?
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन से 45 मिनट पहले और भोजन के कम से कम 45 मिनट बाद पानी पीना सबसे अच्छा होता है. भोजन के बीच में यदि बहुत ज़रूरी हो, तो एक या दो घूंट गुनगुना पानी ही पीएं. इस आदत को अपनाकर आप अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ रख सकते हैं और स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं.