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दही है गुणों का खजाना, लेकिन ज़्यादा खाने पर साबित हो सकती है 'ज़हर'! जानें इसके 5 नुकसान

दही पाचन के लिए अच्छी होती है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में इसका अधिक सेवन अपच और कब्ज का कारण बन सकता है. खासकर अगर दही बहुत खट्टी हो या उसमें फैट ज़्यादा हो, तो यह पाचन तंत्र को धीमा कर सकती है. रात में या भारी भोजन के तुरंत बाद ज़्यादा दही खाने से भी पेट फूलने या कब्ज की समस्या हो सकती है, क्योंकि रात में हमारा पाचन धीमा होता है. आयुर्वेद के अनुसार, रात में दही भारी होती है और कफ दोष बढ़ा सकती है.

28 May, 2025
( Updated: 28 May, 2025
01:47 PM )
दही है गुणों का खजाना, लेकिन ज़्यादा खाने पर साबित हो सकती है 'ज़हर'! जानें इसके 5 नुकसान
गर्मियों के मौसम में दही को अक्सर एक सुपरफूड माना जाता है. इसकी तासीर ठंडी होती है और यह प्रोबायोटिक्स से भरपूर होती है, जो पाचन के लिए बेहद फायदेमंद हैं. हममें से कई लोग मानते हैं कि गर्मियों में जितनी ज़्यादा दही खाई जाए, उतना अच्छा है. यह शरीर को ठंडक पहुंचाती है, पेट को दुरुस्त रखती है और कई पोषक तत्व भी प्रदान करता है. इसमें कोई शक नहीं कि दही एक पौष्टिक भोजन है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर दिन अत्यधिक मात्रा में दही का सेवन करना आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है? आयुर्वेद और आधुनिक पोषण विज्ञान दोनों ही इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी चीज़ की अति अच्छी नहीं होती. आइए जानते हैं दही के 5 ऐसे नुकसान, जिनके बारे में आपको शायद जानकारी न हो.

ज़्यादा दही खाने के side effects  


पाचन संबंधी समस्याएँ
जी हाँ, आपने सही पढ़ा! हालाँकि दही पाचन के लिए अच्छी होती है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में इसका अधिक सेवन अपच और कब्ज का कारण बन सकता है. खासकर अगर दही बहुत खट्टी हो या उसमें फैट ज़्यादा हो, तो यह पाचन तंत्र को धीमा कर सकती है. रात में या भारी भोजन के तुरंत बाद ज़्यादा दही खाने से भी पेट फूलने या कब्ज की समस्या हो सकती है, क्योंकि रात में हमारा पाचन धीमा होता है. आयुर्वेद के अनुसार, रात में दही भारी होती है और कफ दोष बढ़ा सकती है.

वजन बढ़ना
दही में प्रोटीन और कैल्शियम होता है, लेकिन इसमें कैलोरी और वसा भी होती है, खासकर अगर आप फुल-फैट दही खाते हैं. अगर आप इसे रोज़ाना बड़ी मात्रा में खाते हैं और आपकी शारीरिक गतिविधि कम है, तो यह अनजाने में वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है. दही में चीनी मिलाकर खाने से कैलोरी की मात्रा और भी बढ़ जाती है.

सूजन और बलगम का बढ़ना
आयुर्वेद के अनुसार, दही की तासीर ठंडी होती है. कुछ लोगों में, विशेषकर जिन्हें कफ की समस्या है या जो अस्थमा, साइनस जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनमें ज़्यादा दही खाने से शरीर में सूजन, बलगम और बलगम का निर्माण बढ़ सकता है. इससे सर्दी-खांसी या गले की समस्याएँ भी बढ़ सकती हैं. रात में दही खाने से यह समस्या ज़्यादा हो सकती है.

एसिडिटी और जोड़ों का दर्द
कुछ लोगों को ज़्यादा दही खाने से एसिडिटी की समस्या हो सकती है, खासकर अगर उनका पाचन तंत्र नाजुक हो या वह खाली पेट खट्टी दही खा लें. इसके अलावा, आयुर्वेद यह भी मानता है कि दही, खासकर रात में या ठंडी जगहों पर, खाने से जोड़ों के दर्द या अर्थराइटिस की समस्या बढ़ सकती है.

लैक्टोज इनटॉलेरेंस की समस्या
कुछ लोगों को लैक्टोज इनटॉलेरेंस की समस्या होती है, यानी उनका शरीर दूध में मौजूद लैक्टोज को ठीक से पचा नहीं पाता. हालाँकि दही में लैक्टोज की मात्रा दूध से कम होती है, लेकिन फिर भी ज़्यादा खाने से ऐसे लोगों को पेट दर्द, गैस और दस्त जैसी समस्याएँ हो सकती हैं.

इससे आप समझ सकते हैं की दही फायदेमंद तो है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में और सही समय पर खाना ज़रूरी है. इसे दोपहर के समय खाएं और रात में या सर्दी-खांसी होने पर इससे बचें. यदि आपको कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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