सिर्फ स्वाद ही नहीं, सेहत की भी साथी है काली इलायची! जानें क्यों है यह इतनी खास
हिमालय की यह सुगंधित देन, काली इलायची, सिर्फ हमारे व्यंजनों को खास नहीं बनाती, बल्कि एक शक्तिशाली औषधि के रूप में भी हमारी सेहत का ख्याल रखती है. पाचन से लेकर हृदय स्वास्थ्य तक और सांसों की समस्याओं से लेकर डिटॉक्सिफिकेशन तक, इसके फायदे अनमोल हैं. इसे अपनी रसोई का हिस्सा बनाकर आप स्वाद और सेहत, दोनों का एक साथ लुत्फ उठा सकते हैं.

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भारतीय रसोई मसालों का खजाना है, और इनमें से कई सीधे प्रकृति की गोद, खासकर हिमालय से आते हैं. ऐसा ही एक अनमोल मसाला है काली इलायची (Black Cardamom). अपनी अनूठी, धुएँ वाली सुगंध और गहरे, मिट्टी जैसे स्वाद के लिए जानी जाने वाली यह इलायची, केवल व्यंजनों का जायका ही नहीं बढ़ाती बल्कि सेहत के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है. आइए जानते हैं हिमालय की इस देन के अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के बारे में, जो इसे आपकी रसोई और दवाखाने दोनों का अहम हिस्सा बनाते हैं.
कैसी होती है काली इलायची?
काली इलायची को नेपाली इलायची भी कहते हैं. यह मसाला नेपाल और भारत के हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है और इसका उपयोग आमतौर पर नमकीन व्यंजनों में किया जाता है. यह जिंजिबरेसी फैमिली से संबंधित है. इसकी फलियां बड़ी, खुरदरी और गहरे भूरे या काले रंग की होती हैं, जिनके अंदर छोटे, चिपचिपे काले बीज होते हैं.
काली इलायची के फायदे
चरक संहिता में, काली इलायची का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के लिए किया गया है, जिसमें दर्द, दुर्गंध, त्वचा रोग, मतली और पाचन संबंधी समस्याएं शामिल हैं. इसे 'अंगमर्द प्रशमन महाकषाय' के अंतर्गत भी सूचीबद्ध किया गया है, जो शरीर के दर्द से राहत दिलाने में उपयोगी है.
आयुर्वेद में काली इलायची को 'दीपन' और 'पाचन' गुणों से युक्त माना गया है. इससे पाचन क्रिया से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं. गर्मियों में काली इलायची का पानी पीने से गैस, कब्ज, पेट में दर्द की परेशानी भी कम होती है. इसी के साथ ही यह इम्यूनिटी मजबूत करने में भी मदद करता है.
आयुर्वेदाचार्य के अनुसार, काली इलायची में 'ओज वर्धक' गुण होते हैं, जो मौसमी संक्रमण और बीमारियों के खतरे को कम करते हैं.
गर्मियों में काली इलायची का पानी पीने से शरीर से पर्याप्त मात्रा में विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है. ये किडनी को स्वस्थ रखता है, जिससे त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याएं कम होती है. शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां भी दूर रहती हैं.
इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह के बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है, साथ ही सांस की दुर्गंध और मसूड़ों की समस्याएं भी दूर करता है. इसकी तीखी सुगंध और औषधीय गुण सर्दी, खांसी और गले की खराश में राहत दे सकते हैं.
कैसे करें काली इलायची का उपयोग?
व्यंजनों में: इसे दाल मखनी, बिरयानी, पुलाव, करी और अन्य नमकीन व्यंजनों में साबुत या पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
चाय में: काली इलायची की कुछ फली को चाय में उबालकर पीने से इसके स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं.
माउथ फ्रेशनर: खाने के बाद इसकी एक फली चबाने से पाचन सुधरता है और मुँह की दुर्गंध दूर होती है.
हिमालय की यह सुगंधित देन, काली इलायची, सिर्फ हमारे व्यंजनों को खास नहीं बनाती, बल्कि एक शक्तिशाली औषधि के रूप में भी हमारी सेहत का ख्याल रखती है. पाचन से लेकर हृदय स्वास्थ्य तक और सांसों की समस्याओं से लेकर डिटॉक्सिफिकेशन तक, इसके फायदे अनमोल हैं. इसे अपनी रसोई का हिस्सा बनाकर आप स्वाद और सेहत, दोनों का एक साथ लुत्फ उठा सकते हैं.
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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.