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सत्यजीत रे के पैतृक घर को ध्वस्त करना चाहती है बांग्लादेश सरकार, भारत ने कहा- इसे मत तोड़ो, हम म्यूजियम बनाने में करेंगे मदद

भारत ने मंगलवार को बांग्लादेश सरकार से इस ऐतिहासिक इमारत को ध्वस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की. भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस घर को बंगाली सांस्कृतिक पुनर्जागरण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विरासत स्थल बताया. मंत्रालय ने सुझाव दिया कि इस इमारत का संरक्षण कर उसे एक साहित्य संग्रहालय में परिवर्तित किया जा सकता है, जो भारत और बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनकर उसकी गरिमा को आगे बढ़ाएगा.

16 Jul, 2025
( Updated: 16 Jul, 2025
01:14 PM )
सत्यजीत रे के पैतृक घर को ध्वस्त करना चाहती है बांग्लादेश सरकार, भारत ने कहा- इसे मत तोड़ो, हम म्यूजियम बनाने में करेंगे मदद

बांग्लादेश के मैमनसिंह शहर में स्थित बंगाल की एक प्रतिष्ठित साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत प्रसिद्ध बाल साहित्यकार और प्रकाशक उपेंद्रकिशोर रे का पैतृक आवास को ध्वस्त किए जाने की प्रक्रिया पर भारत सरकार ने गहरी चिंता जताई है. उपेंद्रकिशोर न केवल प्रसिद्ध कवि सुकुमार रे के पिता थे, बल्कि महान फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के भी दादा थे. तीन पीढ़ियों तक बंगाल की साहित्यिक और सांस्कृतिक धारा से जुड़ा यह घर अब बांग्लादेश सरकार के स्वामित्व में है, जो वर्तमान में इसे गिराने की योजना पर काम कर रही है.

फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील
भारत ने मंगलवार को बांग्लादेश सरकार से इस ऐतिहासिक इमारत को ध्वस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की. भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस घर को बंगाली सांस्कृतिक पुनर्जागरण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विरासत स्थल बताया. मंत्रालय ने सुझाव दिया कि इस इमारत का संरक्षण कर उसे एक साहित्य संग्रहालय में परिवर्तित किया जा सकता है, जो भारत और बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनकर उसकी गरिमा को आगे बढ़ाएगा.

इमारत को संग्रहालय में बदलने का प्रस्ताव 
भारत सरकार ने इस ऐतिहासिक इमारत को संग्रहालय में बदलने के प्रस्ताव के तहत सहयोग की पेशकश भी की है. विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से कहा है कि यदि वह इसके संरक्षण और जीर्णोद्धार पर विचार करती है, तो भारत हरसंभव सहायता देने के लिए तैयार है. इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि ऐसी ऐतिहासिक और स्मृतियों से भरी हुई जगह को ध्वस्त किया जाना अत्यंत हृदयविदारक है. ममता बनर्जी ने भारत और बांग्लादेश—दोनों सरकारों से इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की और कहा कि रे परिवार बंगाल की सांस्कृतिक चेतना और विरासत का एक उज्ज्वल प्रतीक है.

कौन थे सत्यजीत रे?
गौरतलब है कि सत्यजीत रे को विश्व सिनेमा के महानतम फिल्मकारों में शुमार किया जाता है. वे सिर्फ एक प्रतिष्ठित निर्देशक ही नहीं थे, बल्कि एक प्रतिभाशाली लेखक, संगीतकार और चित्रकार भी थे. बांग्लादेश के मैमनसिंह में स्थित यह पैतृक घर करीब 100 साल पहले उनके दादा, प्रसिद्ध बाल साहित्यकार उपेंद्रकिशोर रे ने बनवाया था. वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के बाद यह संपत्ति तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के अंतर्गत आ गई, जो उस समय पाकिस्तान का हिस्सा था. बाद में 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र होकर बांग्लादेश बना, और यह संपत्ति तब से बांग्लादेश सरकार के स्वामित्व में है.

घर को तोड़कर शिशु अकादमी बनाने का है 
प्लान यह घर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था और लगभग एक दशक से बिना इस्तेमाल के पड़ा था. पहले इसमें मयमनसिंह शिशु अकादमी हुआ करती थी, लेकिन बाद में इसे लावारिश छोड़ दिया गया. एक बांग्लादेशी अधिकारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि नई योजना में शिशु अकादमी का संचालन फिर से शुरू करने के लिए उस जगह पर एक नई इमारत का निर्माण करना प्रस्तावित है. इसके लिए पुरानी इमारत को ध्वस्त किया जाना है.

इस ऐतिहासिक घर को ध्वस्त करने की योजना के पीछे मयमनसिंह में एक नई शिशु अकादमी का निर्माण प्रस्तावित है. यह इमारत लंबे समय से जर्जर हालत में थी और पिछले करीब एक दशक से उपयोग में नहीं थी. कभी यहां मयमनसिंह शिशु अकादमी संचालित होती थी, लेकिन बाद में इसे लावारिस अवस्था में छोड़ दिया गया. एक बांग्लादेशी अधिकारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि अब उस स्थान पर एक नई और आधुनिक इमारत बनाकर शिशु अकादमी का पुनः संचालन शुरू करने की योजना है, जिसके लिए वर्तमान संरचना को गिराया जाना आवश्यक बताया जा रहा है.

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