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अफ्रीका में आदिवासी संत ने जगाई सनातन की अलख, लोग तेजी से अपना रहे हैं हिंदू धर्म

अफ्रीका जैसे देश में हिंदुओं की बढ़ती जनसंख्या. अफ्रीका के मूल निवासियों का हिंदू धर्म अपनाना. अफ्रीकी ज़मीन पर अफ्रीकी हिंदू मठों (Monasteries) का बनना और हिंदू रीति-रिवाजों में रंगे अफ्रीकी लोगों द्वारा हिंदू देवताओं की पूजा करना ये सब आज के अफ्रीका में हो रहा है. इसके पीछे एक प्रमुख कारण हैं प्रधानमंत्री मोदी के 'हिंदू अफ्रीकी महाराज'. पीएम मोदी की इस घाना यात्रा में आदिवासी संत की चर्चा क्यों हो रही है? ये सब जानने के लिए देखिए हमारी आज की ये रिपोर्ट.

11 Jul, 2025
( Updated: 12 Jul, 2025
10:39 AM )
अफ्रीका में आदिवासी संत ने जगाई सनातन की अलख, लोग तेजी से अपना रहे हैं हिंदू धर्म

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ्रीकी देश घाना क्या गए, घाना की मिट्टी में जन्में स्वामी घनानंद का नाम हिंदुओं की ज़ुबान पर छा गया. अफ्रीका जैसे देश में हिंदुओं की बढ़ती जनसंख्या. अफ्रीका के मूल निवासियों का हिंदू धर्म अपनाना. अफ्रीकी ज़मीन पर अफ्रीकी हिंदू मॉनेस्ट्री और हिंदू रीति-रिवाजों में रंगे अफ्रीकी लोगों का हिंदू देवताओं की पूजा करना. ये सब आज के अफ्रीका में हो रहा है और इसके पीछे का कारण हैं पीएम मोदी के हिंदू अफ्रीकी महाराज. पीएम मोदी की इस घाना यात्रा में आदिवासी संत का डंका क्यों बज रहा है? ये सब जानने के लिए देखिए हमारी आज की ये रिपोर्ट.

बीते दिनों पीएम मोदी की दो दिवसीय घाना यात्रा चर्चा का विषय बनी रही. क्योंकि तीन दशकों में ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली घाना यात्रा थी. यहाँ के अकरा एयरपोर्ट पर उतरे पीएम मोदी का स्वागत 21 तोपों की सलामी से हुआ. बाकायदा उन्हें नागरिक सम्मान ‘ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ दिया गया. स्वागत में अफ्रीका के मूल निवासी पीएम मोदी के आगे हरे कृष्णा-हरे कृष्णा... कृष्णा-कृष्णा हरे-हरे गाते हुए दिखे. इसी रंगारंग कार्यक्रम के रास्ते एक ऐसे अफ्रीकी नागरिक का चेहरा हिंदुओं के बीच छा गया, जिसने घाना की धरती पर सनातन का इस कदर प्रचार-प्रसार किया, जिस कारण आज का घाना देश हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ता दिख रहा है.

भारत से कोसों मील दूर घाना, एक ऐसा देश जिसकी गिनती अफ्रीकी देशों में होती है और इसी देश में लगभग 15 हज़ार भारतीय रहते हैं. इनमें से 3,000 ने घाना की नागरिकता प्राप्त कर ली है. कुछ भारतीय परिवार पिछले 70 सालों से भी अधिक समय से यहाँ रह रहे हैं, जिनमें अधिकांश गुजराती और सिंधी समुदाय से हैं और मुल्क की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाए रखने में अभी तक निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं. घाना की ख़ुद की लगभग 32 मिलियन जनसंख्या है. लेकिन क्या आप जानते हैं, इसी जनसंख्या के बीच हिंदुओं की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. आँकड़े बताते हैं…

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2009 में घाना में हिंदुओं की संख्या लगभग 12,500 थी, जो कुल जनसंख्या का 0.05% थी. वर्ष 2021 तक यह संख्या बढ़कर करीब 30,000 हो गई, जो कुल जनसंख्या का लगभग 0.1% है. घाना की आबादी में हिंदुओं का अनुपात बढ़कर 1% से 3% तक हो चुका है.
 
हैरान करने वाली बात ये कि घाना में हिंदुओं की संख्या हिंदुस्तान से गए हिंदुओं के कारण नहीं बढ़ी बल्कि वहाँ के स्वदेशी अफ्रीकी तेजी से इस धर्म को अपना रहे हैं. हालाँकि इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन मुख्य कारण का नाम है अफ्रीकी हिंदू संत स्वामी घनानंद जी. घाना की मिट्टी में जन्मे स्वामी घनानंद धनाई धर्म में पैदा हुए, लेकिन आध्यात्म के प्रति बढ़ती दिलचस्पी उन्हें ऋषिकेश लेकर आई. भारत की पावन धरा पर आकर उन्होंने स्वामी कृष्णानंद सरस्वती से दीक्षा ली, सनातन की सत्यता से अवगत हुए और वेदांत, योग, भक्ति के रास्ते लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की ठानी. स्वामी घनानंद ने वापस अपने देश घाना आकर, अफ्रीकी लोगों के बीच सनातन का प्रचार-प्रसार किया. कई मंदिर और मठ बनवाए, लोगों के बीच वेदांत, योग और भक्ति का संदेश दिया. स्वामी घनानंद समूचे घाना के पहले ऐसे स्वदेशी संत बने, जिन्होंने अफ्रीकी धरती पर अफ्रीकन हिंदू मॉनेस्ट्री की नींव रखी और आज उसी हिंदू मॉनेस्ट्री से जुड़कर अफ्रीका के मूल निवासी सनातन को अपनाकर ख़ुद का जीवन बेहतर बना रहे हैं. हिंदू मॉनेस्ट्री के माध्यम से घाना के शहरी मध्यमवर्ग में योग, आयुर्वेद, ध्यान और भारतीय संगीत-भजन का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है.

गौर करने वाली बात ये कि स्वामी घनानंद ने हिंदू धर्म के सिद्धांत, जैसे कर्म योग, भक्ति योग और ध्यान को घाना की स्थानीय संस्कृति के साथ जोड़ा, जिस कारण घाना के मूल निवासियों ने सनातन को अपनाना शुरू कर दिया. आलम ये है कि आज की तारीख में घाना जैसे देश में भव्य हिंदू मंदिर और मठ मौजूद हैं. और यही मंदिर-मठ स्थानीय घानाई लोगों के लिए पूजा और आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र बने हुए हैं.

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि घाना की ज़मीन पर भगवान गणेश, श्रीकृष्ण, शिव और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की पूजा हो रही है. यहाँ पिछले 50 सालों से गणेश चतुर्थी पर उनकी प्रतिमाएं सजाई जाती हैं, फिर विसर्जन होता है. इस दुनिया में आज भले ही स्वामी घनानंद सरस्वती नहीं हैं, लेकिन अफ्रीकन हिंदू मॉनेस्ट्री के रूप में उनकी विरासत घाना में जीवित है और इसी के सहारे घाना के मूल निवासी हिंदू बनते जा रहे हैं. ऐसे में वो दिन दूर नहीं, जब समूचा घाना हिंदू राष्ट्र में तब्दील हो जाए.

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