काशी की धरती में छिपा है नागलोक का रास्ता! दर्शन से मिलती है काल सर्प दोष से मुक्ति
काशी के इस रहस्यमयी कुएं में छिपा है नागलोक जाने का रास्ता, जी हां ये कूप लगभग 3000 साल पुराना है और इस कूप के बीचोंबीच एक ऐसा शिवलिंग भी छिपा है जो साल में सिर्फ़ एक बार दिखाई देता है, इस शिवलिंग को शेषनाग के अवतार महर्षि पतंजलि ने स्थापित किया था साथ ही यहीं वो जगह है जहां देश से लोग काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये आते हैं.

मोक्ष की नगरी के नाम से प्रसिद्ध काशी अपने रहस्यों के लिये विश्व भर में प्रसिद्ध है, लोग चाहते हैं कि उनका अंतिम संस्कार इसी पावन धरा पर हो क्योंकि यहीं से स्वर्ग का रास्ता है और यहीं से नागलोक का भी रास्ता है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्या सच में ऐसा हो सकता है ? हमने बचपन से ही परीलोक, स्वर्ग लोक, नर्क लोक और नाग लोक के बारे में कहानियों में सुना है लेकिन जैसे-जैसे बड़े हुए वैसे-वैसे हमारा इन चीज़ों पर से विश्वास उठ गया, लेकिन साल में एक बार दिखने वाले शिवलिंग के नीचे छिपा पाताल लोक आपको ये मानने पर मजबूर कर देगा कि सच में ये कोई कहानी नहीं बल्कि हक़ीक़त है तो चलिये जानते है इस कुएँ के बारे में अनसुलझे रहस्य.
पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जो आज तक अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है कई रहस्यों का पता लगाने में वैज्ञानिकों के पसीने छूट गये लेकिन ये रहस्य आज तक एक रहस्य ही बने हुए हैं ऐसा ही एक रहस्य है नाग लोक का क्या सच में नागलोक होता है ? चलिए इसके बारे में हम आपको बताते हैं दरअसल नाग लोक का ज़िक्र सिर्फ़ कहानियों में ही नहीं बल्कि हमारे पुराणों में भी देखने को मिलता है. गरुण पुराण, वराह पुराण, स्कंद पुराण, और भविष्य पुराण में भी इसका वर्णन देखने को मिलता है इन पुराणों में नाग लोक के कई रहस्यों के बारें में बताया गया है लेकिन क्या आपको पता है काशी यानी महादेव की नगरी में एक ऐसा रहस्यमयी कुआं है जिसे लेकर लोगों का कहना है कि यहीं नागलोक का रास्ता है चलिये विस्तार से जानते है इस कुएं के बारे में. काशी के जैतपुरा क्षेत्र में बसा ये कुआं आपको नागलोक के दर्शन करवा सकता है, जी हाँ बताया जाता है कि इस कुएँ में नागलोक जाने का रास्ता छिपा है, इस कुएं के बीचोंबीच बना एक शिवलिंग जो पूरे एक साल में एक बार दिखाई देता है. खासतौर पर जब नागपंचमी के मौक़े पर इस कुएँ की विशेष सफ़ाई होती है औत इस शिवलिंग के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है.
मान्यता है कि इस शिवलिंग को शेषनाग के अवतार महर्षि पतंजलि ने क़रीब 3000 साल पहले स्थापित किया था, कारण ये बताया जाता है कि इस जगह पर महर्षि पतंजलि ने कई वर्षों तक घोर तपस्या की साथ ही अपने गुरु महर्षि पाणिनी के अष्टाध्यायी ग्रंथ पर महाभाष्य की रचना भी इस नाग कूप में की थी. इसके अलावा इसकी बनावट और कुओं जैसी साधारण नहीं है इसकी संरचना को जितना गहराई से देखा जाये ये कुआं उतना ही पेचीदा होता जाता है, इस कुएं के पानी का रंग गहरा हरा दिखाई देता है लेकिन इसकी गहराई का अंदाज़ा आप बिल्कुल भी नहीं लगा सकते हैं. इस कुएं को जितना खोदा गया ये उतना ही गहरा होता जाता है और इतना ही नहीं ये कुआं अपने अंदर 7 और कुओं को भी समेटे हुए है जिसकी पुष्टि नासा भी करता है. वहीं ये कुआं काल सर्प दोष से मुक्ति दिलाने के लिये भी जाना जाता है वो कैसे देखिये….
काल सर्प दोष से मुक्ति दिलाता है ये रहस्यमयी कुआं
इस रहस्यमयी कुएँ को कार्कोटक नागेश्वर के नाम से जाना जाता है कहते है नागपंचमी के दिन काल सर्प दोष से ग्रसित व्यक्ति इस कुएं में नहाते है तो उन्हें इस दोष से मुक्ति मिलती है. नाग पंचमी के दिन आप यहाँ आकर नाग देवता की पूजा कर सकते है और यहाँ आकर स्नान कर सकते है. साथ ही ये भी कहा जाता है कि इस कूप का पानी घर में छिड़कने से नकारात्मक ऊर्जा की समाप्ति होती है कालसर्प दोष से मुक्ति भी मिलती है लेकिन अगर आपको काल सर्प दोष के बारें में नहीं पता है तो हम बताते है.
क्या होता है काल सर्प दोष ?
ज्योतिषों के अनुसार काल सर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना जाता है जिस भी व्यक्ति की कुंडली में ये काल सर्प दोष होता है उसे अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुंडली में काल सर्प दोष के होने से व्यक्ति के शरीर पर तो प्रभाव पड़ता ही है साथ में इसका दुष्प्रभाव मानसिक रुप से भी पड़ता है अगर इसके लक्षण की बात कि जायें तो जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होता है उस व्यक्ति के जीवन में अशांति रहती है. कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति हमेशा ख़ुद को अकेला महसूस करता है, काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को सपने में भी लड़ाई - झगड़ा ही दिखाई देता है. इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों को सपने में मृत परिजन दिखाई देते है. अगर आप भी काल सर्प दोष से पीड़ित है तो इस नाग कूप में जाकर स्नान जरुर करें ऐसे में आपको जल्द ही इन दोषों से मुक्ति मिलेगी.