Bharat Gaurav: राम को काल्पनिक कहने वालों की छाती पर गूंज रही है 'हिंदू राष्ट्र' ट्रेन की सीटी
मोदी सरकार ने जो रामराज्य का सपना दिखाया था, अब वो सपना सपना भारत के गौरव बढ़ाने वाली ट्रेनों के तौर पर साकार हो रहा है. योगी-मोदी की जोड़ी ने अब मंदिरों और तीर्थस्थलों को रेलवे के नक्शे पर भगवा रंग से रंग दिया है. और ये देखकर वो सारे हिन्दू विरोधी गैंग जो अब तक भगवा खतरा चिल्ला रहे थे, उनकी छाती फट रही है.

भारत, जहां हर मिट्टी में आध्यात्मिकता बसती है और हर पत्थर में इतिहास बोलता है, अब अपने सांस्कृतिक वैभव को रेल के माध्यम से देशवासियों के सामने ला रहा है। भारतीय रेलवे की "भारत गौरव ट्रेन" केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। भारतीय रेलवे, जो देश की जीवनरेखा कही जाती है, अब तीर्थयात्रा और पर्यटन के ज़रिए भारत के गौरव को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रही है — वो भी किफायती दाम, आरामदायक सुविधाओं और उच्चतम सुरक्षा के साथ.
अबकी बार भारत गौरव ट्रेन की दो विशेष सेवाएं शुरू की जा रही हैं, जिनमें से एक ट्रेन दक्षिण भारत की 13 दिन की पवित्र यात्रा पर रवाना होगी। यह यात्रा 28 जुलाई 2025 से शुरू होगी, जिसमें श्रद्धालु दक्षिण भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे. इस यात्रा की शुरुआत प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर से होगी, जहां यात्री भगवान वेंकटेश्वर के चरणों में आशीर्वाद प्राप्त करेंगे. इसके बाद श्रद्धालु रामेश्वरम पहुंचेंगे, जहां पावन रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन होंगे. फिर यात्रा मदुरई के भव्य मीनाक्षी मंदिर तक जाएगी, जो दक्षिण भारत की कला और आस्था का जीवंत प्रतीक है.
यात्रा का अगला पड़ाव होगा कन्याकुमारी, भारत का सबसे दक्षिणी छोर, जहां तीन समुद्रों का संगम और विवेकानंद रॉक मेमोरियल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देगा. अंत में श्रद्धालु पहुंचेंगे श्रीशैलम, जहां भगवान शिव के पवित्र मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन से यात्रा पूर्ण होगी. भारत गौरव ट्रेन हर यात्री को भारत की आत्मा से जोड़ती है. चाहे वो प्रभु श्रीराम के पदचिन्हों पर चलना चाहें या दक्षिण भारत के मंदिरों की शांति में डूबना चाहें. यह पहल न केवल आस्था की यात्रा है, बल्कि भारत की महान विरासत को आत्मसात करने का एक सुनहरा अवसर भी है.
भारतीय रेलवे के प्रवक्ता दिलीप कुमार के मुताबिक, इस यात्रा में स्लीपर, 3AC और 2AC क्लास में पैकेज उपलब्ध होंगे, जिनकी शुरुआत ₹30,135 से होती है. सबसे महंगा टिकट ₹57,470 का है. इस पैकेज में भोजन, रहने की सुविधा, और बस से दर्शन की व्यवस्था शामिल है. यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है, बल्कि दक्षिण भारत की संस्कृति और खूबसूरती को भी बेहद करीब से देखने का अवसर देती है. यह संपूर्ण यात्रा 12 रात और 13 दिन की होगी, जिसमें सभी मील्स और एकोमोडेशन की व्यवस्था भारतीय रेलवे द्वारा कराई जाएगी. यह यात्रा 28 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगी.
भारत गौरव ट्रेन की अगली अद्भुत पेशकश है "श्री रामायण यात्रा", जो यात्रियों को भगवान राम के जीवन से जुड़े पवित्र स्थलों की सैर कराएगी. यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यात्रियों को रामायण की कथाओं को जीवंत अनुभव कराने का एक दुर्लभ अवसर भी देती है.
इस पवित्र यात्रा में श्रद्धालु सबसे पहले पहुंचेंगे अयोध्या, जहां रामजन्मभूमि के दर्शन होंगे. इसके बाद यात्रा प्रयागराज के त्रिवेणी संगम और अक्षयवट तक जाएगी, जहां मान्यता है कि भगवान राम ने पूजा अर्चना की थी. चित्रकूट अगला पड़ाव होगा, जहां राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास का महत्वपूर्ण समय बिताया था. इसके बाद नासिक के पंचवटी में श्रद्धालु उन स्थलों को देखेंगे, जहां राम और सीता ने साथ समय बिताया. फिर यात्रा हंपी पहुंचेगी, जहां किष्किंधा में राम की मुलाकात सुग्रीव और हनुमान से हुई थी. रामेश्वरम में श्रद्धालु रामनाथस्वामी मंदिर के दर्शन करेंगे, जहां भगवान राम ने समुद्र के तट पर शिवलिंग की स्थापना की थी.
इस शानदार यात्रा के लिए थर्ड एसी का न्यूनतम किराया ₹1,37,545 रखा गया है, जबकि फर्स्ट एसी कूप का किराया ₹1,79,515 है, जो सबसे महंगा पैकेज है. इस पैकेज में यात्रा, भोजन, आवास और दर्शन के सभी प्रबंध शामिल हैं.
भारत गौरव ट्रेनें केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया तक पहुंचाने का मंच बन चुकी हैं. भारतीय रेलवे पर्यटन के माध्यम से भारत के मंदिरों, ऐतिहासिक स्थलों और परंपराओं को नई पहचान दे रही है. ये ट्रेनें न केवल श्रद्धालुओं को उनके आध्यात्मिक लक्ष्यों से जोड़ती हैं, बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी भारत की आत्मा से रूबरू कराती हैं.