शंकराचार्य की आँखों में चमके एकनाथ शिंदे, रचा जाएगा एक नया इतिहास!
ना ही योगी, ना ही मोदी और ना ही फडणवीस मौक़े पर चौका मार चुके शिंदे के नाम एक नया इतिहास लिखा जाएगा …शिंदे साहब भले ही सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए, लेकिन अब उनका नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा, लेकिन क्यों ? यही जानने के लिए बने रहिये धर्म ज्ञान के साथ.

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एकनाथ शिंदे …ना ही देश के प्रधानमंत्री है और ना ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, लेकिन उनके द्वारा किया गया एक कार्य देश के शंकराचार्य को इस कदर भाया कि , अब उनका ऐतिहासिक सम्मान होगा …या फिर यूँ कहे कि ना ही योगी, ना ही मोदी और ना ही फडणवीस मौक़े पर चौका मार चुके शिंदे के नाम एक नया इतिहास लिखा जाएगा …शिंदे साहब भले ही सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए, लेकिन अब उनका नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा, लेकिन क्यों ? यही जानने के लिए बने रहिये धर्म ज्ञान के साथ.
एक नाथ शिंदे…एक ऐसी राजनीतिज्ञ शख़्सियत , जिन्हें उद्वव ठाकरे से बग़ावत करने का ऐसा ईनाम मिला कि रातों रात प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए…जब एक चाय वाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है, तो क्या एक रिक्शा चालक मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है…इस पर तब चर्चा शुरु हुई, जब रिक्शा चालक से मुख्यमंत्री का सफ़र तय करने वाले कोई और नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के नाथ, एकनाथ शिंदे दिखे. शिवसेना से बग़ावत करने वाले शिंदे को बीजेपी का साथ क्या मिला एक झटके में महाराष्ट्र के किंग बन गए और इसी किंग ने चुनावी दंगल में ठाकरे वाली शिवसेना को ऐसा पछाड़ा कि, प्रदेश में कमल खिल गया. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री रहते हुए शिंदे ने गाय को लेकर कुछ ऐसा ऐतिहासिक कदम उठाए, जिसके चलते ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज उनके फ़ैन हो गये. जो कार्य ना ही मोदी-योगी से लेकर फडणवीस कर पाए, उसे शिंदे ने कर दिखाया.इस पूरे मामले को समझने के लिए देखिये हमारी आगे की ये रिपोर्ट.
आज के एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे को गिरगिट कहते हैं, ठाकरे पर विश्वास घात करने का आरोप लगाते हैं… 25 साल पुराने गठबंधन टूटने की वजह ठाकरे को बताते हैं. हाल ही में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बड़ा खुलासा करते हुए ये बताया कि
महाराष्ट्र ने कभी गिरगिट को इतनी तेजी से रंग बदलते नहीं देखा, उन्होंने ऐसे लोगों के साथ हाथ मिला लिया जिन्हें वह कभी नीचा समझते थे. उनकी वजह से ही फडणवीस 2017 में मुंबई के मेयर का पद शिवसेना को देने के लिए राजी हुए थे लेकिन उद्धव ठाकरे ने 2019 में देवेंद्र फडणवीस को धोखा दे दिया.
शिंदे के इस खुलासे से महाराष्ट्र की राजनीति में उफान आया हुआ है, शिंदे के इन्हीं आरोपों के आगे ठाकरे वाली शिवसेना सकपकाई हुई है और दूसरी तरफ़ शिंदे का गुणगान कर रहे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंग सरस्वती महाराज उनका नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखने का ऐलान कर चुके हैं. दरअसल अपने गुरु और ब्रह्मलीन शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी के 101 जन्मदिवस के मौक़े पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती चांदी के पन्नों से बनी पुस्तक में एकनाथ शिंदे का नाम स्वर्ण अक्षरों से दर्ज करने जा रहे हैं.
हम सभी जानते हैं कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद एक लंबे समय से गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के अभियान पर है और इसी अभियान के तहत उन्होंने भारत भ्रमण किया…देश के हर कोने में जाकर गाय के अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई लड़ी…तमाम राजनीति दलों के दरवाज़े खटखटाया, ताकी गाय को पशु की सूची से निकाला जाए …लेकिन उनके इस अभियान में किसी ने भी दिलचस्पी नहीं दिखाई, सिवाय एकनाथ शिंदे के. जो कि मुख्यमंत्री रहकर शिंदे ने महाराष्ट्र में गौ माता को राजमाता का दर्जा दिये जाने की घोषणा की, इसलिए उनके इस साहसिक कार्य को देखते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने उनके सम्मान में चाँदी की पुस्तक में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखवाने का ऐलान किया है.
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अपने इसी राष्ट्रव्यापी अभियान में शंकराचार्य फ़िलहाल 33 करोड़ गौ-प्रतिष्ठा महायज्ञ कर रहे हैं, आम जनमानस को ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि सनातन की रक्षा के लिए धर्म की रक्षा होनी चाहिए , अगर गाय नष्ट होगी तो सनातन धर्म भी नष्ट होगा.सौ बात की एक बात ये कि गौ को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाना ज़रूरी है, लेकिन क्या सभी गायों को राष्ट्रमाता की दृष्टि से देखा जाना चाहिए, इस पर आध्यात्मिक गुरु स्वामी यो के विचार क्या कहते हैं.