आखिर क्या है मथुरा के चारों धामों का रहस्य, और क्यों की जाती है गोवर्धन परिक्रमा ?
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं आज भी दुनिया को अचंभित कर देती हैं. आज भी कृष्ण नगरी में ऐसी घटनाएं होती हैं जो दुनिया को हैरान कर देती हैं, जिनका रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है. जी हां, आज भी किस तरह से श्रीकृष्ण अपने होने का प्रमाण देते हैं.

एक ऐसी मिट्टी जहां समय-समय पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाएं दिखाई है, एक ऐसा वन, जहां शाम के बाद सन्नाटा नहीं बल्कि रास लिलाए होती है, एक ऐसा पर्वत जहां परिक्रमा करने मात्र से सभी पापों का नाश होता है और चाहों धामों की परिक्रमा करने का फल प्राप्त होता है, आज हम मथुरा के इन सभी रहस्यों के बारे में आपको बतायेंगे तो जानने के लिए बने रहे हमारे साथ और देखिये इस पर हमारी खास रिपोर्ट.
उत्तर भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक मथुरा, श्रीकृष्ण की प्रिय नगरी में से एक मानी जाती है। भगवान कृष्ण ने अपना पूरा बचपन यहीं इसी धरा पर बिताया था. श्रीकृष्ण के भक्तों का इस जगह से एक अलग ही तरह का जुड़ाव है. मथुरा की इस पावन धरा पर बने मंदिरों में रोजाना सैकड़ों भक्तों की भीड़ लगी रहती है. यहां मौजूद निधिवन जो आज भी अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है, भक्त इस वन में जाना तो चाहते हैं लेकिन जा नहीं पाते हैं. जी हां, आपने कई बार सुना होगा कि यहां भक्त आते तो हैं लेकिन रात को रुक नहीं सकते. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि निधिवन में भगवान कृष्ण मां राधा और गोपियों के साथ रासलीला करते हैं, इसलिए भक्तों को सूर्यास्त के बाद निधिवन में जाने की इजाजत नहीं दी जाती है. इतना ही नहीं, शाम होते ही निधिवन से पशु-पक्षी और सभी जीव-जंतु भी चले जाते हैं. कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण मां राधा और गोपियों के साथ निधिवन में मौजूद रंगमहल में रासलीला करते हैं, तो कई तरह की दिव्य घटनाएं होती हैं और इन घटनाओं को देखने के लिए जिसने भी निधिवन में रुकने की कोशिश की है, वह या तो पागल हो गया या फिर अंधा हो गया. इतना ही नहीं, कई लोगों का मानना है कि रात के समय में निधिवन से घुंघरुओं की आवाज आती है, और सभी पेड़ गोपियां बन जाते हैं. है न ये कितनी अचंभित करने वाली बात कि आज कलयुग में भी हमें भगवान के होने का एहसास होता है. तो इसी कड़ी में आगे बढ़ते हैं और आपको बताते हैं मथुरा के गोवर्धन पर्वत का रहस्य?
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस पर्वत को भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए अपनी उंगली पर उठाया था, इसलिए इस पर्वत को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. कहा जाता है इस पर्वत की परिक्रमा करने से चारों धामों का फल मिलता है. जी हां, आपने सही सुना। अगर आप किसी कारणवश चारों धामों के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो आप इस पर्वत की परिक्रमा कर सकते हैं. मान्यता है कि इस पर्वत की परिक्रमा करने मात्र से ही सभी पापों का नाश होता है और जो लंबे अरसे से मनोकामनाएं आपकी पूरी नहीं हो पा रही थीं, वो भी पूरी हो जाती हैं. साथ ही आप गुरु पूर्णिमा के दिन भी इस पर्वत की परिक्रमा कर सकते हैं. आपको बता दें कि कुछ श्रद्धालु लेटकर भी इस परिक्रमा को करते हैं. 21 किलोमीटर की इस यात्रा को लेटकर करने में करीब 7 दिन का समय तो लगता है, लेकिन चारों धामों की परिक्रमा का फल भी मिलता है. लेकिन जब भी आप मथुरा जाएं तो गोवर्धन पर्वत की पूजा जरूर करें. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और श्रीकृष्ण से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में भी आपको बताते हैं.
हम अक्सर सोचते हैं कि हमारे जीवन में कितनी परेशानियां हैं, लेकिन सोचिए कि हम तो मानव हैं, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना किया. कान्हा से लेकर द्वारकाधीश बनने तक उन्होंने एक कठिन सफर तय किया. आपको बता दें कि श्रीकृष्ण की हर लीला के पीछे जनकल्याण और संसार की भलाई का एक संदेश छिपा होता है. अब इसका उदाहरण भी हम आपको देते हैं, जैसे कि श्रीकृष्ण की 16108 रानियां थीं, और 8 पटरानियां थीं. अब सोच रहे होगें कि भगवान होकर श्रीकृष्ण ने इतनी कन्याओं से विवाह क्यों किया? दरअसल जब भौमासुर नाम के एक असुर ने इन सभी का अपहरण कर लिया तो श्रीकृष्ण ने ही भौमासुर से सभी कन्याओं को मुक्त कराया था. लेकिन तब उन कन्याओं ने कहा कि “अब हमें कोई भी स्वीकार नहीं करेगा, अब हम कहां जाएंगे”. इसलिए श्रीकृष्ण ने उनके जीवनभर का जिम्मा उठाते हुए उन्हें अपनी पत्नी का दर्जा दे दिया। इसके अलावा श्रीकृष्ण ने दुनिया को प्रेम का असली मतलब भी समझाया. जी हां, श्रीकृष्ण ने गीता में बताया कि प्रेम का मतलब किसी को पा लेना नहीं होता, बल्कि उसमें खो जाना ही सच्चे प्रेम का अर्थ होता है. साथ ही श्रीकृष्ण ने बताया कि प्रेम त्याग मांगता है. जो भी व्यक्ति त्याग करने योग्य नहीं है, वह प्रेम नहीं कर सकता. इस तरह कई सारी परेशानियां उन्होंने सिर्फ इसलिए झेली कि वो हम सभी को जीवन में परेशानियों से लड़ने के लिए प्रेरित कर सकें. आज भी भगवान श्रीकृष्ण के होने का एहसास होता है. आज भी कृष्ण भक्त कृष्ण की नगरी में जाकर श्रीकृष्ण को महसूस करते हैं.