आज किस तरह करें राधा रानी की सेवा? जानिए क्यों लगाया जाता है अरबी का भोग
इस व्रत को करने से मनोकामना पूरी होती है, जीवन में सुख-शांति आती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम बना रहता है. जो लोग शादी में देरी, दांपत्य जीवन में कलह या संतान से जुड़ी समस्याओं से परेशान हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना गया है.
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राधा अष्टमी का पर्व रविवार को पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. आज का दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी के जन्म का प्रतीक है. राधा अष्टमी हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता है कि राधा जी श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय हैं और बिना राधा के कृष्ण की पूजा भी अधूरी मानी जाती है. इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं. राधा अष्टमी की पूजा में कई परंपराएं निभाईं जाती हैं, जिनमें एक खास बात यह है कि राधा रानी को अरबी का भोग चढ़ाया जाता है, जो उन्हें अत्यंत प्रिय माना गया है.
राधा अष्टमी के पर्व पर किन जगहों में मची धूम?
राधा अष्टमी का पर्व खासतौर पर उत्तर भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है; खासकर मथुरा, वृंदावन, बरसाना और गोकुल में इसकी भव्यता देखते ही बनती है. आज मंदिरों में झूले सजाए गए हैं, राधा-कृष्ण की झांकियां निकाली जा रही हैं और जगह-जगह भजन-कीर्तन होते हैं. घरों में भी लोग राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं.
आखिर क्यों रखा जाता है ये व्रत?
इस व्रत को करने से मनोकामना पूरी होती है, जीवन में सुख-शांति आती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम बना रहता है. जो लोग शादी में देरी, दांपत्य जीवन में कलह या संतान से जुड़ी समस्याओं से परेशान हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना गया है.
इस दिन क्या करना चाहिए?
राधा अष्टमी के दिन साफ लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का ध्यान करना चाहिए. इस दिन केवल फल, दूध, मेवे या पानी लेकर उपवास किया जाता है. नमक और अनाज से परहेज करना चाहिए. साथ ही इस दिन गुस्सा करने, झूठ बोलने, बुरा बोलने या नकारात्मक सोच से दूर रहने की सलाह दी जाती है.
किस तरह करें सेवा?
सुबह-शाम की पूजा से पहले घर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए. राधा रानी और श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक भी कराना चाहिए. इतना ही नहीं उन्हें नए वस्त्र और फूल, चंदन, कुमकुम, रोली, धूप-दीप, माला और श्रृंगार का सामान भी अर्पित करना चाहिए.
अरबी का भोग क्यों लगाया जाता है?
राधा अष्टमी की पूजा में खास महत्व भोग का होता है. आमतौर पर खीर, माखन-मिश्री, फल, और मिठाई जैसे भोग लगाए जाते हैं, लेकिन राधा रानी को अरबी का भोग विशेष रूप से चढ़ाया जाता है. यह एकमात्र देवी-देवता हैं जिनकी पूजा में अरबी का उपयोग होता है. अरबी एक तरह की सब्जी है, जो कंद मूल होती है. उपवास में अक्सर इसे नहीं खाया जाता, लेकिन राधा अष्टमी पर इसे भोग लगाना शुभ माना गया है. मान्यता है कि राधा रानी को यह भोग अत्यंत प्रिय है और इसे चढ़ाने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
शाम के समय किस मंत्र का जरुर करें जाप?
शाम के समय ‘ॐ वृषभानुज्यै विधमहे, कृष्णप्रियायै धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात’ आदि राधा रानी के मंत्रों का जाप करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है और अगले दिन व्रत का पारण करें, यानी हल्का सात्विक भोजन करके व्रत समाप्त करें.
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