Microsoft ने कहा 'गुडबाय पाकिस्तान', डिजिटल भविष्य पर मंडराया संकट, जानिए आखिर क्यों बदला 25 साल पुराना फैसला!
Microsoft की विदाई एक प्रतीक है. एक ऐसे दौर का अंत जिसने पाकिस्तान में टेक्नोलॉजी को लोगों तक पहुँचाया था. अब देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपनी नीति, अर्थव्यवस्था और निवेश माहौल को कैसे स्थिर और अनुकूल बना पाएगा.

Microsoft shuts shop in Pakistan after 25 years: दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी Microsoft ने आधिकारिक रूप से पाकिस्तान में अपना कारोबार बंद कर दिया है. यह फैसला न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक अस्थिरता की ओर इशारा करता है, बल्कि देश के डिजिटल भविष्य पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है. Microsoft ने मार्च 2000 में पाकिस्तान में अपने ऑपरेशन की शुरुआत की थी, और बीते 25 वर्षों में इसने देश में तकनीकी विकास की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन अब यह युग अपने अंत पर पहुँच चुका है.
आधिकारिक घोषणा नहीं, लेकिन अंदर से पुष्टि
हालांकि कंपनी की ओर से अभी तक इस बारे में कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन Microsoft पाकिस्तान के कार्यकारी अधिकारी रहे जवाद रहमान ने इस खबर की पुष्टि की है. LinkedIn पर अपनी एक भावुक पोस्ट में रहमान ने लिखा, "आज मुझे पता चला कि Microsoft आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान में अपना परिचालन बंद कर रहा है. बचे हुए कुछ कर्मचारियों को औपचारिक रूप से सूचित कर दिया गया है और इसी के साथ एक युग समाप्त हो गया है." रहमान ने Microsoft द्वारा पाकिस्तान के डिजिटल विकास में दिए गए योगदान को याद करते हुए इसे एक “एंड ऑफ एन एरा” करार दिया.
पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था बनी वजह
Microsoft ने भले ही अपने फैसले की कोई सार्वजनिक वजह नहीं बताई हो, लेकिन जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान में तेजी से बिगड़ते राजनीतिक हालात, आर्थिक संकट, और नीतिगत अस्थिरता के चलते कंपनी को यह कठोर निर्णय लेना पड़ा है.
विशेषज्ञ बताते हैं कि लगातार शासन परिवर्तन, विदेशी कंपनियों पर बढ़ते टैक्स, करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव और टेक्नोलॉजी आयात पर सरकारी पाबंदियाँ। इन सभी कारणों ने विदेशी निवेशकों का भरोसा कमजोर किया है. यही वजह है कि Microsoft जैसे ग्लोबल ब्रांड ने भी अपना बोरिया-बिस्तर समेटने का फैसला किया.
आर्थिक संकट गहराता जा रहा है
पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक हालत बेहद चिंताजनक है. वित्त वर्ष 2024 के अंत तक देश का व्यापार घाटा 24.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार जून 2025 तक घटकर मात्र 11.5 अरब डॉलर रह गया. इस गिरावट के चलते पाकिस्तान अब किसी भी प्रकार के टेक्नोलॉजी उत्पाद या समाधान के आयात के लिए संघर्ष कर रहा है. Microsoft के बाहर जाने से ना सिर्फ निवेशकों का भरोसा डगमगाया है, बल्कि पाकिस्तान में डिजिटल विकास की रफ्तार भी थमने की आशंका है.
पूर्व राष्ट्रपति की चिंता: “भविष्य अंधकारमय”
Microsoft के इस कदम पर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस फैसले को देश के आर्थिक भविष्य के लिए 'चिंताजनक संकेत' बताया. सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में उन्होंने कहा, "पाकिस्तान अब अनिश्चितता के भंवर में फंसता जा रहा है. बेरोजगारी बढ़ रही है, प्रतिभा देश छोड़ रही है और आर्थिक सुधार अब सिर्फ एक मायावी सपना बनकर रह गया है."
Microsoft का डिजिटल योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकेगा
Microsoft ने अपने 25 वर्षों के लंबे सफर में पाकिस्तान में तकनीकी साक्षरता और डिजिटल विकास को नई दिशा दी थी. कंपनी ने शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर डिजिटल ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए, वंचित इलाकों में कंप्यूटर लैब्स स्थापित की और युवाओं को डिजिटल स्किल्स से लैस करने के लिए कई पहलें कीं. जवाद रहमान के शब्दों में, "हमने हमेशा कोशिश की कि पाकिस्तान के युवाओं को वास्तविक अवसर मिलें."
विदेशी निवेश के लिए खतरे की घंटी
Microsoft का यह कदम आने वाले समय में अन्य मल्टीनेशनल टेक कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी बन सकता है. यदि पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता इसी तरह जारी रही, तो दूसरे निवेशक भी अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार कर सकते है. इससे बेरोजगारी, प्रतिभा पलायन और तकनीकी पिछड़ापन और अधिक बढ़ सकता है.
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव में यह साफ हो गया था कि पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा चुकी है. अब 'सोने पर सुहागा' ये हुआ कि Microsoft ने भी पाकिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया है. ऐसे में जो देश पहले से गरीब था, अब वह पूरी तरह कंगाल होता जा रहा है. पाकिस्तान में विकास के नाम पर आंतक फल फूल रहा है और ये देश निवेश के नाम पर कर्ज में डूबता जा रहा है.