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मार्च में इलेक्ट्रॉनिक परमिट बढ़कर 20 प्रतिशत हुई, 124.5 मिलियन पार हुआ आकड़ा

भारत में इलेक्ट्रॉनिक परमिट मार्च महीने में रिकॉर्ड 124.5 मिलियन पर पहुंच गए, जो सालाना आधार पर 20 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इलेक्ट्रॉनिक परमिट को लेकर यह वृद्धि मजबूत फैक्ट्री एक्टिविटी से जुड़ी है।

12 Apr, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
05:19 AM )
मार्च में इलेक्ट्रॉनिक परमिट बढ़कर 20 प्रतिशत हुई, 124.5 मिलियन पार हुआ आकड़ा
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भारत में इलेक्ट्रॉनिक परमिट मार्च महीने में रिकॉर्ड 124.5 मिलियन पर पहुंच गए, जो सालाना आधार पर 20 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इलेक्ट्रॉनिक परमिट को लेकर यह वृद्धि मजबूत फैक्ट्री एक्टिविटी से जुड़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के माल की आवाजाही में जबरदस्त वृद्धि का मतलब है कि घरेलू अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है, जो फरवरी की तुलना में इस वर्ष मार्च में 11.5 प्रतिशत अधिक है। 

ई-वे बिल जनरेशन ने 25 महीनों तक ऊपर की ओर गति बनाए रखी है

इलेक्ट्रॉनिक परमिट या ई-वे बिल का इस्तेमाल राज्यों के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजने के लिए किया जाता है। 50,000 रुपये और उससे अधिक मूल्य के माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल अनिवार्य हैं। ई-वे बिल में बढ़ोतरी माल की अधिक आवाजाही को दर्शाती है। ई-वे बिल जनरेशन ने 25 महीनों तक ऊपर की ओर गति बनाए रखी है, जिसमें मार्च ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। देश भर में माल की आवाजाही पर नजर रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक परमिट अनिवार्य हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ई-वे बिल जनरेशन में मजबूत रिकवरी पिछली तिमाही में माल की आवाजाही में स्थिरता का संकेत देती है। वित्त वर्ष 2025 के दौरान जीएसटी संग्रह में कई सकारात्मक प्रगति हुई है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन में वृद्धि, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और लॉजिस्टिक्स दक्षता शामिल है। इस बीच, इस साल मार्च के दौरान वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 9.9 प्रतिशत बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो आर्थिक गतिविधि के उच्च स्तर और बेहतर अनुपालन को दर्शाता है।

फरवरी में दर्ज 1.84 लाख करोड़ रुपये के राजस्व से 6.8 प्रतिशत अधिक था

जीएसटी संग्रह इस साल फरवरी में दर्ज 1.84 लाख करोड़ रुपये के राजस्व से 6.8 प्रतिशत अधिक था। मार्च में ग्रॉस जीएसटी राजस्व में केंद्रीय जीएसटी से 38,100 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी से 49,900 करोड़ रुपये, इंटीग्रेटेड जीएसटी से 95,900 करोड़ रुपये और कंपनसेशन सेस से 12,300 करोड़ रुपये शामिल थे। इसकी तुलना में फरवरी में केंद्रीय जीएसटी संग्रह 35,204 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 43,704 करोड़ रुपये, इंटीग्रेटेड जीएसटी 90,870 करोड़ रुपये और कंपनसेशन सेस 13,868 करोड़ रुपये रहा। मार्च में जीएसटी संग्रह में योगदान देने वाले टॉप पांच राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल थे। 

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