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चीन को बड़ी चोट देने की तैयारी में भारत, मोदी सरकार के इस कदम से ड्रैगन की फै​क्ट्रियों में लगेंगे ताले !

भारत चीन के इलेक्ट्रोनिक मार्केट को पूरी तरह से तबाह करने का मन बना चुका है. जिसकी वजह से ‘ड्रैगन’ की नींद उड़ी हुई है. खबर है कि भारत अब रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर, कॉफी मेकर, बिल्ट-इन रेफ्रिजरेटर और एयर फ्रायर जैसे स्पेसिफिक इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग में इजाफा कर रहा है.

13 Jul, 2025
( Updated: 13 Jul, 2025
02:48 PM )
चीन को बड़ी चोट देने की तैयारी में भारत, मोदी सरकार के इस कदम से ड्रैगन की फै​क्ट्रियों में लगेंगे ताले !

उद्योग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, यह डेवलपमेंट सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बढ़ती लिस्ट के कारण है, जिनके कारखानों को भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (क्यूसीओ) के तहत सर्टिफिकेशन की जरुरत होती है. जिसका उद्देश्य चीन और अन्य स्थानों से आयात को नियंत्रित करना और लोकल प्रोडक्शन को बढ़ावा देना है. इनमें से अधिकांश प्रोडक्ट पिछले आठ से नौ महीनों में क्यूसीओ के अंतर्गत आए हैं. अधिकांश कंज्यूमर प्रोडक्ट कंपनियों का तर्क था कि इन कैटेगरीज का मार्केट इतना छोटा है कि लोकल प्रोडक्शन का कोई मतलब नहीं है.

700 करोड़ रुपए की समझौते पर डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने किया हस्ताक्षर 

डिक्सन टेक्नोलॉजीज के एमडी अतुल लाल ने ईटी की रिपोर्ट में कहा कि बीआईएस नॉर्म्स काफी अहम रहा है, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा ब्रांड, जिनमें प्रीमियम ब्रांड भी शामिल हैं. छोटे मार्केट साइज के बावजूद स्मॉल कंपोनेंट्स के लिए लोकल प्रोडक्शन की संभावना तलाश रहे हैं. यह एक अच्छा व्यावसायिक अवसर है. इस हफ्ते की शुरुआत में, डिक्सन ने रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर बनाने के लिए यूरेका फोर्ब्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका मार्केट साइज लगभग 700 करोड़ रुपए है. डिक्सन सबसे बड़ी घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स कांट्रैक्ट मेकर कंपनी है.

यूरोपीय कंपनी लीभेर ने क्या कहा 

यूरोप की कंपनी लीभेर ने औरंगाबाद में बिल्ट-इन कस्टमाइज्ड रेफ्रिजरेटर के लिए एक प्लांट स्थापित किया है, जिसका प्रोडक्शन अप्रैल में शुरू होगा, जबकि घरेलू स्तर पर इसकी सालाना बिक्री केवल 14,000-15,000 यूनिट है. लीभेर अप्लायंसेज के भारत में एमडी (सेल्स) कपिल अग्रवाल ने कहा कि इस साल से रेफ्रिजरेटर के लिए बीआईएस नॉर्म्स का एग्जीक्यूशन लोकल लेवल पर कारखाना स्थापित करने के लिए एक चेतावनी के रूप में काम कर रहा है, जिसे प्रीमियमीकरण की लहर से और बल मिला है. हम जर्मनी से आयात कर रहे थे, लेकिन फैक्ट्री सर्टिफिकेशन प्राप्त करना एक कठिन प्रोसेस है. हमारा यह भी मानना है कि पांच वर्षों में बाजार बढ़कर 1 लाख यूनिट तक पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा कि इसलिए लोकल प्लांट से व्यवसायिक लाभ होगा और इससे इंपोर्ट में लगने वाला समय कम हो जाएगा.

क्या कह रही कंपनियां 

क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंज्यूमर इलेक्ट्रिकल्स की एनुअल रिपोर्ट में कहा गया है कि वह इस वित्त वर्ष में लोकल सोर्सिंग को प्राथमिकता देगी. हैवेल्स इंडिया ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि वह आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उत्पादों के लोकलाइजेशन को और बढ़ावा देगी, जो पिछले वित्त वर्ष में उसकी कुल सोर्सिंग का लगभग 8 फीसदी थी, और वित्त वर्ष 2024 में कुल सोर्सिंग के लगभग 15 फीसदी से कम हो गई है. ईपैक ड्यूरेबल के एमडी अजय सिंघानिया के अनुसार, क्यूसीओ के एग्जीक्यूशन ने अधिक आकर्षक कैटेगिरीज खोली हैं.

जबकि मिक्सर ग्राइंडर जैसी अधिक मैच्योर कैटे​गरीज का व्यवसाय या तो स्थिर रहा है या सालाना 3-4 फीसदी की मामूली दर से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस अवसर में 72 कैटेगरीज शामिल हैं, जैसे एयर फ्रायर, इलेक्ट्रिक केटल और हेयर ड्रायर, जिनमें से अधिकांश पहले पूरी तरह से इंपोर्टिड थे. उन्होंने पिछले महीने विश्लेषकों को बताया कि हम इन कैटेगरीज का लोकलाइजेशन करने और अधिकांश प्रमुख ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं.

क्यूसीओ लागू होने से पहले पिछले कुछ महीनों में कई कंपनियों ने इन उत्पादों का भारी मात्रा में आयात किया था. उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि स्टैंडअलोन कैटेगरीज के लिए बाजार का साइज भले ही छोटा हो, लेकिन कुल मिलाकर यह 12,000-13,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा का व्यावसायिक अवसर है. अकेले एयर-कंडीशनर का मार्केट साइज 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा और स्मार्टफोल का मार्केट 1.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का है.

पीजी इलेक्ट्रोप्लास्ट के एमडी (ऑपरेशन) विकास गुप्ता ने कहा कि सात-आठ साल पहले छोटे उपकरणों का उत्पादन शुरू किया था, लेकिन उस समय अवसर बहुत कम होने के कारण इसे बंद करना पड़ा. उन्होंने कहा कि लेकिन बीआईएस नॉर्म्स के साथ, अब हम इस पर फिर से विचार कर रहे हैं क्योंकि कई ब्रांड हमसे संपर्क कर रहे हैं.

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