उत्तराखंड के किसान ने खास तकनीक से उगाए आम, मुनाफा हुआ तीन गुना
दीप बेलवाल बताते हैं कि पारंपरिक आम की खेती में एक एकड़ जमीन पर लगभग 40 पेड़ लगाए जाते थे, लेकिन यूएचडी तकनीक के तहत 1333 पेड़ लगाए गए. इससे इन पेड़ों से मिलने वाली पैदावार भी तीन गुना हो गई.
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उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर ब्लॉक में किसान दीप बेलवाल ने पारंपरिक आम की खेती को अलविदा कहकर अल्ट्रा हाई डेंसिटी तकनीक को अपनाया और आमदनी को तीन गुना तक बढ़ा दिया. दीप का यह प्रयोग न केवल खेती में नवाचार का बेहतरीन उदाहरण है, बल्कि यह दिखाता है कि तकनीक और परंपरा के संतुलन से कैसे कृषि में क्रांति लाई जा सकती है.
UHD तकनीक से आम की खेती में क्रांति
दीप बेलवाल बताते हैं कि पारंपरिक आम की खेती में एक एकड़ जमीन पर लगभग 40 पेड़ लगाए जाते थे, लेकिन यूएचडी तकनीक के तहत 1333 पेड़ लगाए गए. इससे इन पेड़ों से मिलने वाली पैदावार भी तीन गुना हो गई. बेलवाल ने यूएचडी तकनीक का प्रयोग 'मल्लिका' वैरायटी पर किया. मल्लिका को नई दिल्ली यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है. यह किस्म दक्षिण भारत के प्रसिद्ध 'नीलम' और उत्तर भारत के लोकप्रिय 'दशहरी' आम को क्रॉस करके बनाई गई है. इस वैरायटी की डिमांड विदेशों तक है.
तीन गुना उत्पादन, तीन गुना मुनाफा
उन्हें बताया कि एक पेड़ से सालाना 50 से 60 किलो आम का उत्पादन होता है और हर फल का वजन आधा किलो से ज्यादा होता है. बीते साल दीप ने मंडी में यह आम 70 रुपये प्रति किलो बेचा था. इसके स्वाद के साथ ही इसकी शेल्फ लाइफ भी शानदार है. यह 15 दिनों तक बिना खराब हुए ताजा बना रहता है. इस तकनीक की खास बात यह है कि आम के पेड़ को 7 से 10 फीट की ऊंचाई तक ही रखा जाता है, जिससे फलों की देखभाल और कटाई बेहद आसान हो जाती है.
एक पेड़ से सालाना 50-60 किलो आम निकलता है
दीप बताते हैं कि इस तकनीक में 'कैनोपी मैनेजमेंट' सबसे जरूरी है. यदि इसे न संभाला जाए तो बगीचा जंगल में तब्दील हो सकता है. कम ऊंचाई की वजह से किसान खुद पेड़ों की बैगिंग, कटाई और देखरेख कर सकता है. इससे फल टूटने या जमीन पर गिरने का खतरा भी नहीं रहता. दीप का परिवार 1880 से खेती कर रहा है. उन्होंने अपनी विरासत को संभाला और इसे आधुनिक तकनीक से जोड़ा. वह कहते हैं, जैसे-जैसे समय बदलता गया हमने खेती के तरीकों को भी बदला. यूएचडी तकनीक ने हमारी मेहनत को सही दिशा दी है. इस तकनीक की प्रेरणा उन्हें डॉ. संतराम से मिली, जिन्होंने पंतनगर यूनिवर्सिटी में यूएचडी तकनीक से जुड़ी ट्रेनिंग दी थी.
किसानों को होगा कई गुना ज्यादा मुनाफा
दीप बेलवाल ने यूएचडी तकनीक का प्रयोग दो हेक्टेयर जमीन पर किया है, जहां उन्होंने 2650 से ज्यादा पेड़ लगाए हैं. यह एक बड़ा निवेश था, लेकिन अब वे इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं. उनका लक्ष्य है कि इस मॉडल को दूसरे किसानों तक पहुंचाया जाए, ताकि वे भी कम जमीन में ज्यादा उत्पादन कर सकें.
वहीं, रामनगर उद्यान विभाग के अधिकारी अर्जुन सिंह परवाल ने दीप बेलवाल की सराहना की है. वह कहते हैं पहले जहां एक हेक्टेयर में 100 पेड़ लगाए जाते थे, वहीं अब 1300 से ज्यादा पेड़ लगाए जा रहे हैं. यह तकनीक किसानों को कई गुना ज्यादा मुनाफा दे सकती है.
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