मुजफ्फरनगर में नाम बदलकर 'पंडित जी वैष्णो ढाबा' चलाने वाले सनव्वर-आदिल और जुबैर पर FIR, पैंट उतरवाकर पहचान करने से शुरू हुआ था विवाद
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में वामी यशवीर महाराज की टीम द्वारा ढाबे के कर्मचारियों से उनकी धार्मिक पहचान जानने की कोशिश के बाद शुरू हुए विवाद में अब नया मोड़ आ गया है. पुलिस ने “पंडित जी वैष्णो ढाबा” के मालिक सनव्वर, उनके बेटे आदिल, जुबैर और दो अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में ढाबे पर पहचान जांच का मामला अब सियासत की गलियारों में चर्चा का विषय बनता जा रहा है. स्वामी यशवीर महाराज की टीम द्वारा ढाबे के कर्मचारियों से उनकी धार्मिक पहचान जानने की कोशिश के बाद शुरू हुए विवाद में अब नया मोड़ आ गया है. पुलिस ने “पंडित जी वैष्णो ढाबा” के मालिक सनव्वर, उनके बेटे आदिल, जुबैर और दो अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.
एफआईआर ढाबे के पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र की शिकायत पर दर्ज की गई है. धर्मेंद्र का आरोप है कि उसके साथ सिर्फ इसलिए मारपीट की गई क्योंकि उसने यह खुलासा किया था कि हिंदू नाम वाले इस ढाबे का संचालन एक मुस्लिम व्यक्ति कर रहा है. पहचान को लेकर शुरू हुई यह घटना अब सांप्रदायिक तनाव और राजनीतिक बयानबाज़ी का केंद्र बनती जा रही है, जिससे स्थानीय प्रशासन और कानून-व्यवस्था की परीक्षा भी सामने आ रही है.
कथित पैंट उतरवाने पर बवाल, 6 लोगों को नोटिस
न्यू मंडी थाना प्रभारी दिनेश चंद भागल ने बताया कि स्वामी यशवीर महाराज की टीम से जुड़े छह लोगों को तीन दिन के भीतर पूछताछ के लिए थाने में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है. ये लोग जिला प्रशासन की अनुमति के बिना कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबों के मालिकों की पहचान से संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रहे थे.
उन्होंने कहा, वीडियो में दिखने वाले अन्य लोगों को भी नोटिस भेजे जा सकते हैं. हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और सभी कानूनी पहलुओं की जांच की जा रही है. पुलिस के अनुसार जिन छह लोगों की पहचान की गई है, उनमें सुमित बहरागी, रोहित, विवेक, सुमित, सनी और राकेश. ये सभी बघरा स्थित स्वामी यशवीर के आश्रम से जुड़े हुए हैं. पंडित जी वैष्णो ढाबे के एक कर्मचारियों ने तो स्वामी यशवीर जी महाराज की टीम पर पहचान के नाम पर जबरन पैंट उतारने की कोशिश का आरोप भी लगाया था. हालांकि इस आरोप को यशवीर महाराज के द्वारा एक सिरे से नकार दिया गया था.
पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र के साथ मारपीट का आरोप
ढाबे की पहचान को लेकर विवाद के बीच पुलिस ने एक और एफआईआर दर्ज की है. इस मामले में पंडित जी वैष्णो ढाबा के संचालक सनव्वर, उनके बेटे आदिल, जुबैर और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र के साथ मारपीट का आरोप है. धर्मेंद्र की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि उन्हें सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने यह खुलासा किया था कि हिंदू नाम वाला यह ढाबा वास्तव में एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा है.
कांवड़ यात्रा मार्ग पर हुआ था बवाल
बता दें कि विवाद की शुरुआत रविवार को हुई थी, जब स्वामी यशवीर महाराज ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों की धार्मिक पहचान की जांच का अभियान शुरू किया. उनका तर्क था कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह ज़रूरी है.
जानकारी देते चलें कि सितंबर 2024 में उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ मार्ग पर मौजूद सभी भोजनालयों को अपने मालिक, संचालक और प्रबंधक का नाम तथा पता स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना होगा. अब उत्तराखंड सरकार ने भी इस वर्ष इसी तरह का आदेश जारी करते हुए सभी भोजनालयों को अपने खाद्य लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाणपत्र सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने के निर्देश दिए हैं.
विवाद पर BJP-SP में टकराव, AIMIM की भी एंट्री
इस पूरे मुद्दे पर भाजपा और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति बन गई है, जहां एक ओर सरकार इसे पारदर्शिता और सुरक्षा से जोड़ रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक पहचान के आधार पर भेदभाव करार दे रहा है.
सपा ने उठाया सवाल, भाजपा ने दिया जवाब मुरादाबाद के पूर्व सपा सांसद एसटी हसन ने बुधवार को उत्तराखंड में कांवड़ मार्ग पर ढाबा मालिकों की कथित धार्मिक जांच की निंदा करते हुए इसे आतंकवाद का एक रूप बताया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कुछ वीडियो में लोगों को उनकी धार्मिक पहचान साबित करने के लिए मजबूर करते हुए देखा गया है. हसन ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार इन कृत्यों को चुपचाप समर्थन दे रही है. भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में यह व्यवहार शर्मनाक है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए.
इसके जवाब में BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, जहां तक हसन के बयान का सवाल है, मैं पूछना चाहता हूं कि वे ऐसे लोगों के साथ क्यों खड़े होना चाहते हैं जो अपने नाम छिपाते हैं? वे अपना एंटी-मोदी चश्मा उतारें, तभी उन्हें देश की सही तस्वीर नजर आएगी.
मामले पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सवाल उठाए है, उन्होंने कहा कि बाइपास के पास कई होटल सालों से चल रहे हैं. क्या कांवड़ यात्रा अभी शुरू हुई है? ये तो पहले भी शांतिपूर्वक निकलती रही है. अब अचानक यह सब क्यों हो रहा है? अब होटल मालिकों से आधार कार्ड मांगा जा रहा है, दुकानदारों से पैंट उतारने को कहा जा रहा है. ओवैसी ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, पुलिस का काम है उन लोगों को गिरफ्तार करना जो दुकानदारों को परेशान कर रहे हैं. मगर यहां तो खुद प्रशासन ही तमाशा बना रहा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. कोई कैसे किसी होटल में घुसकर मालिक से उसका धर्म पूछ सकता है? यह सरासर गलत है. सरकार इस पर चुप क्यों है?