बिना रजिस्ट्रेशन प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स पर गिरेगी गाज, उत्तराखंड में एक आदेश से मचा हड़कंप!
Uttarakhand स्वास्थ्य विभाग के एक फैसले से बिना लाइसेंस प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स के बीच खलबली मच गई…अब उन सभी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई होगी जो बिना वैध रजिस्ट्रेशन के मरीज का इलाज कर रहे है

जब हम बीमार पड़ते हैं, तो सबसे पहले डॉक्टर के पास जाते हैं…हम आंख बंद करके उन पर भरोसा करते हैं, क्योंकि हमारे देश में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है. भगवान एक बार हमें जीवन देते हैं और डॉक्टर उस जीवन को बार बार बचाते हैं…इसलिए हमें भरोसा होता है कि डॉक्टर्स मौत के मुंह से भी बाहर ला सकते हैं…लेकिन क्या हो अगर हमें पता चले कि जिस डॉक्टर पर हमने इतना भरोसा किया, उसके पास प्रैक्टिस करने का कोई कानूनी अधिकार ही नहीं है ? उसकी डिग्री ही फ़र्ज़ी है…उत्तराखंड में अब ऐसे ही फर्जी और झोलाछाप डॉक्टर्स पर लगाम कसने की तैयारी शुरू हो गई है. धामी सरकार ने इस ओर बड़ा कदम उठाया है…
उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के एक फ़ैसले से बिना लाइसेंस प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स के बीच खलबली मच गई…उत्तराखंड में अब उन सभी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई होगी जो बिना वैध रजिस्ट्रेशन के मरीज का इलाज कर रहे है…उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा है कि, ‘उत्तराखंड में सरकारी और निजी क्षेत्र में कार्यरत डॉक्टर बिना पंजीकरण या नवीनीकरण के प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा, जिन डॉक्टरों ने अब तक पंजीकरण और नवीनीकरण नहीं कराया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, उन डॉक्टर्स की लिस्ट सार्वजनिक की जाएगी, जिन्होंने पंजीकरण या नवीनीकरण नहीं कराया, ऐसे डॉक्टरों को कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा, राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर गंभीर है’
स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर राजेश कुमार ने सभी CMO को निर्देश दिए हैं कि बिना रजिस्ट्रेशन वाले डॉक्टरों की सूची तैयार की जाए...दरअसल, हाल ही में, उत्तराखंड में डॉक्टर्स को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ था…प्रदेश में 2500 से ज्यादा ऐसे डॉक्टर हैं जिनका रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुका है, इसके बावजूद वह धड़ल्ले से प्रैक्टिस कर रहे हैं, कुछ तो ऐसे हैं जिनका लाइसेंस साल 2012, 2014 या 2016 में ही एक्सपायर हो चुका है, उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने इसकी पुष्टि की और बताया कि ऐसे सभी डॉक्टरों को नोटिस भेजे गए हैं
सोचिए, इतने सालों से ये लोग बिना किसी कानूनी अधिकार के मरीज़ों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे थे..मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने ऐसे डॉक्टरों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है. सचिव राजेश कुमार ने कहा कि, ऐसी कई शिकायतें मिली थीं कि कुछ लोग डॉक्टर के नाम पर सेवा दे रहे हैं, जबकि उनके पास वैध डिग्री या रजिस्ट्रेशन नहीं है. दरअसल, नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट के तहत पंजीकृत डॉक्टर ही प्रैक्टिस कर सकते हैं, बिना रजिस्ट्रेशन डॉक्टरों की प्रैक्टिस किसी क्राइम से कम नहीं…क्योंकि बिना वैध पंजीकरण वाले डॉक्टर न सिर्फ गलत इलाज करते हैं, बल्कि वे अक्सर नकली या प्रतिबंधित दवाइयां भी देते हैं…ऐसे में, मरीज की हालत सुधरने की बजाय बिगड़ सकती है, और कई बार तो जान पर भी बन आती है…
ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं जहां फर्जी डॉक्टरों के गलत इलाज के कारण लोगों की जान चली गई…ऐसे में स्वास्थ्य विभाग का ये आदेश न केवल ऐसे लोगों पर लगाम लगाएगा बल्कि जनता के विश्वास को भी मजबूत करेगा. साथ ही राज्य में बिना रजिस्ट्रेशन और बिना रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराए प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स को कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा. बहरहाल सरकार के इस कदम को आप कैसे देखते हैं कमेंट करके हमें ज़रूर बताएं…साथ ही सुने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी अड्डा का वो बयान जिसमें उन्होंने सरकार की नई स्वास्थ्य नीति का ज़िक्र करते हुए कहा था कि, सरकार अब केवल बीमारी का Cure नहीं बल्कि Prevent करने पर काम कर रही है…