चार साल में बिछा सड़कों का जाल, सीएम धामी के नेतृत्व में बदली उत्तराखंड में कनेक्टिविटी की काया, कृषि से लेकर व्यापार तक बुलंदियों को छू रहा प्रदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड ने बीते चार वर्षों (2021–2025) में सड़क और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास देखा है. राज्य की भौगोलिक चुनौतियों और सीमित संसाधनों के बावजूद सरकार ने सड़क निर्माण को अपनी प्राथमिकता में शीर्ष पर रखा और प्रदेश में कनेक्टिविटी को पूरी तरह बदलकर रख दिया. कभी दुर्गम माने जाने वाले पहाड़ी गांवों तक अब ऑल-वेदर रोड पहुंच रही है, जिससे न केवल आम लोगों की आवाजाही आसान हुई है, बल्कि राज्य की आर्थिक गति को भी नई धार मिली है.

उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, अपने गठन के बाद से लगातार प्रगति की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. बीते 25 वर्षों में कई सरकारें आईं और विकास कार्यों को आगे बढ़ाया गया, लेकिन राज्य के लिए सबसे जरूरी मांग हमेशा से सड़कों और बेहतर कनेक्टिविटी की रही है. जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए 2021 में पदभार संभाला, तो उन्होंने राज्य में सड़क, हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता देने का वादा किया. अपने चार साल के कार्यकाल (2021-2025) में धामी सरकार ने उत्तराखंड जैसे चुनौतीपूर्ण भूगोल वाले राज्य में सड़क नेटवर्क को मजबूती देने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं.
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में धामी सरकार ने केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सहयोग से उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में पूरे देश में 5,614 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ, जिसमें उत्तराखंड का सकारात्मक योगदान रहा. राज्य में कई नई सड़क परियोजनाएं शुरू की गईं और पुराने मार्गों को चौड़ा कर उन्हें बेहतर बनाया गया.
ऑल वेदर रोड में धामी सरकार को मिली बड़ी सफलता
चारधाम सड़क परियोजना धामी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही है. इस परियोजना का उद्देश्य यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाले मार्ग को हर मौसम में चालू रखने लायक बनाना है. 900 किलोमीटर लंबी इस ऑल-वेदर रोड परियोजना के अंतर्गत 2021 से 2025 तक कई महत्वपूर्ण खंडों का निर्माण कार्य पूरा किया गया. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2024 तक इस परियोजना का लगभग 70% कार्य पूरा हो चुका है और 600 किलोमीटर से अधिक सड़कें संचालन में आ चुकी हैं. केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर इस परियोजना में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है. रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड और टनकपुर-घटियाबगड़ जैसे मार्गों पर चौड़ीकरण और सुरंग निर्माण कार्यों ने तीर्थयात्रियों और स्थानीय निवासियों के लिए आवाजाही को काफी सरल और सुरक्षित बनाया है.
राष्ट्रीय और चारधाम परियोजनाओं के अलावा धामी सरकार ने ग्रामीण और शहरी सड़कों के निर्माण और रखरखाव पर भी जोर दिया है. उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग (PWD) के अनुसार, 2021 से 2025 के बीच राज्य में लगभग 3,000 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण हुआ और 5,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों को उन्नत किया गया. यह काम विशेष रूप से उन क्षेत्रों में किया गया जहां अब तक कनेक्टिविटी की भारी कमी थी.
PMGSY ने पलटी गांव की सड़कों की काया
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) ने भी ग्रामीण क्षेत्रों की काया पलटने में अहम भूमिका निभाई है. इस योजना के तहत 2021 से 2025 के बीच 1,500 किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ और 500 से अधिक गांव पहली बार सड़क नेटवर्क से जुड़े. 2024-25 के दौरान अकेले 814 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 206 किलोमीटर अधिक है. केंद्र सरकार ने इस प्रगति की सराहना करते हुए 9 नए पुलों के निर्माण के लिए 40.77 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार ने इस योजना के लिए निर्धारित 900 करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य के मुकाबले 933 करोड़ रुपये खर्च किए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने निर्धारित लक्ष्य से अधिक काम किया और सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी.
दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सड़क और पुल निर्माण की 66.12 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी दी, जिसमें भीमताल में मोटर मार्गों के डामरीकरण और पुनर्निर्माण के लिए 3.23 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए. वहीं भारतमाला परियोजना के अंतर्गत 2020-21 में उत्तराखंड में 915 करोड़ रुपये की लागत से सड़कों और राजमार्गों का निर्माण तथा 41.44 करोड़ रुपये के सुधारीकरण कार्य हुए.
सड़क निर्माण का असर राज्य की आर्थिक गतिविधियों पर भी दिखाई देने लगा है. बेहतर सड़कों से न केवल पर्यटन को बल मिला है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादों की ढुलाई और व्यापार भी सुगम हुआ है. पिथौरागढ़ और चमोली जैसे सीमावर्ती जिलों में सड़क निर्माण ने स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के साथ-साथ आर्थिक आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा दिया है.
दुर्गम क्षेत्रों में भी वैकल्पिक परिवहन सुविधा
धामी सरकार ने पारंपरिक सड़क मार्गों के साथ-साथ वैकल्पिक कनेक्टिविटी के रूप में रोपवे निर्माण को भी प्राथमिकता दी है. पर्वतमाला परियोजना के तहत 2023-24 तक उत्तराखंड में लगभग 60 किलोमीटर लंबाई की रोपवे परियोजनाएं प्रस्तावित की गईं, जिनमें देहरादून-मसूरी और औली-जोशीमठ रोपवे जैसी परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है. इससे एक ओर जहां पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को वैकल्पिक परिवहन सुविधा भी मिल रही है.
राज्य सरकार ने सड़क सुरक्षा को भी गंभीरता से लिया है. भले ही उत्तराखंड देश के टॉप 10 सड़क दुर्घटना वाले राज्यों में शामिल नहीं है, फिर भी सरकार ने सड़क संकेतों, गार्ड रेल, चेतावनी बोर्ड और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था के माध्यम से दुर्घटनाओं को कम करने की दिशा में निरंतर प्रयास किए हैं. स्मार्ट सड़क तकनीक और हरित राजमार्ग जैसी आधुनिक अवधारणाओं को भी योजना में शामिल किया गया है.
चारधाम यात्रा को मिला कनेक्टिविटी का फायदा
चारधाम यात्रा में 2024 में रिकॉर्ड 50 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने हिस्सा लिया, जो राज्य में बेहतर सड़कों और कनेक्टिविटी का प्रत्यक्ष परिणाम है. वहीं, धामी सरकार ने 2025-26 तक चारधाम परियोजना को पूरी तरह से पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. सीमावर्ती इलाकों में लिपुलेख-धारचुला जैसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर तेजी से काम चल रहा है.
यातायात से बदली आर्थिक तस्वीर
उत्तराखंड में सड़कों का यह विस्तार केवल यातायात सुविधा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने प्रदेश की आर्थिक तस्वीर भी बदली है. सीमावर्ती जिलों में बेहतर सड़क कनेक्टिविटी से स्थानीय व्यापार को गति मिली है. पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जैसे जिलों में छोटे व्यापारी और किसान अब सीधे शहरों तक अपनी उपज पहुंचाने में सक्षम हैं, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिल रहे हैं. साथ ही, पर्यटन स्थलों तक आसान पहुंच से पर्यटकों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है, जिससे होटल, टैक्सी, होमस्टे और स्थानीय हस्तशिल्प बाजारों को नई जान मिली है.
वहीं पर्वतीय इलाकों में जहां सड़क निर्माण संभव नहीं है, वहां सरकार ने रोपवे नेटवर्क की दिशा में भी ठोस काम किया है. देहरादून-मसूरी और औली-जोशीमठ रोपवे परियोजनाएं इस बात का उदाहरण हैं कि धामी सरकार ने पारंपरिक सीमाओं से आगे सोचकर कनेक्टिविटी को नया आयाम देने की कोशिश की है. इसके साथ ही स्मार्ट सड़क तकनीक, हरित राजमार्गों और सड़क सुरक्षा उपायों ने राज्य को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार करने में मदद की है.
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने अपने चार वर्षों के कार्यकाल में सड़क और हाईवे निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज की हैं. इन सड़कों ने न केवल राज्य की कनेक्टिविटी को मजबूत किया बल्कि पर्यटन, व्यापार, कृषि और सामाजिक विकास को नई दिशा दी है. केंद्र सरकार के सहयोग और राज्य सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण के चलते उत्तराखंड देश के उन राज्यों की कतार में शामिल हो गया है जहां बुनियादी ढांचा तेजी से विकसित हो रहा है. डबल इंजन सरकार का असर यहां स्पष्ट रूप से दिखाई देता है.