केजरीवाल ने 31 सीटों पर उम्मीदवार किए घोषित, टिकट काटकर, समीकरण साधकर बढ़ा दी बीजेपी की टेंशन !
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अब तक 31 उम्मीदवार घोषित किए हैं, जिनमें 18 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं। केवल मनीष सिसोदिया और राखी बिड़लान को ही बदली हुई सीटों से टिकट मिला है। पार्टी एंटी-इनकंबेंसी से निपटने के लिए नए चेहरों पर दांव लगा रही है और कई विधायकों की सीटें बदल सकती है.

दिल्ली में विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी पारा हाई है। आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस हो या बीजेपी सभी ने सियासी दंगल में दांव पेंच लगाना शुरू कर दिया है।जहां एक ओर अरविंद केजरीवाल मैदान में उतरकर सीधा जनता से संपर्क कर रहे हैं।तो वहीं बीजेपी और कांग्रेस भी दिल्ली की सत्ता पाने के लिए गठजोड़ में जुटी हुई है। लेकिन इसी बीच आम आदमी पार्टी ने 31 सीटों पर एक के बाद एक धुरंधर उतारकर चुनावी खेल को और दिलचस्प बना दिया है। कुछ सीटें ऐसी हैं। जहां अरविंद केजरीवाल ने तुरुप का इक्का चलकर बीजेपी की सीटों पर उसे ढेर करने का प्लान सेट किया है।बता दें कि
पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 में से 62 सीटों पर AAP ने जीत हासिल की थी। 8 सीटों पर पिछली बार बीजेपी ने जीत हासिल की थी। 3 सीटें ऐसी हैं जहां मौजूदा विधायकों ने AAP का साथ छोड़ बीजेपी ज्वाइंन कर ली थी।
तो ऐसे में 59 सीटें दोबारा जीतना तो केजरीवाल के लिए चुनौती है ही। लेकिन 11 सीटों पर क़ब्ज़ा कर रिकॉर्ड बनाना भी केजरीवाल के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है जिसे पूरा करने के पूरी की पूरी आम आदमी पार्टी ज़मीन पर उतरी हुई है। यही वजह है कि इस बार आम आदमी पार्टी में टिकट बँटवारा बहुत सोच समझकर जनता का हित देखकर किया गया है।
18 सीटों पर AAP ने अपने वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर नए उम्मीदवारों को टिकट दे दिए हैं। केवल दो मौजूदा विधायकों मनीष सिसोदिया और राखी बिड़लान को दोबारा टिकट मिला है। मनीष सिसोदिया और राखी बिड़लान दोनों की ही सीटें बदल दी गई है। जंगपुरा और मादीपुर के मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर इन दोनों को उम्मीदवार बनाया गया है।
बता दें की पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 16 सीटों पर उम्मीदवार बदले थे।और फ़ायदा भी पूरा मिला था। लेकिन इस बार मामला उससे ज़्यादा निकल चुका है। अभी 18 विधायकों के टिकट काटे गए हैं। और अभी आधे से ज़्यादा सीटों पर उम्मीदवार घोषित होना बाक़ी है। तो उम्मीद है कि और भी नेताओं का टिकट कट सकते हैं। क्योंकि अब तक का ट्रेंड यही संकेत दे रहा है कि इस बार आम आदमी पार्टी दिल्ली की आधी से ज़्यादा सीटों पर अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है। और कई मौजूदा विधायकों की सीटें बदली जा सकती है। शुरूआत सिसोदिया और राखी बिड़लान की सीट से हो चुकी है। औ। ये बदलाव आम आदमी पार्टी को बहुत् फ़ायदा पहुँचा सकता है। क्योंकि पहली बात तो ये है कि टिकट बँटवारा रिपोर्ट कार्ड के आधार पर किया जा रहा है। और उन नए चेहरों पर दांव खेला जा रहा है जो अपनी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग के साथ पार्टी में कदम रख रहे हैं। बात सिसोदिया की सीट की करें तो पटपड़गंज से अवध ओझा को इस बार टिकट दिया गया है। अव ओझा के ज़रिए आम आदमी पार्टी शिक्षा की नीति को लेकर जनता कर बड़ा मैसेज पहुँचाने में कामयाब होगी। युवाओं पर प्रभाव पड़ पाएगा इसलिए अवध ओझा पर के आम आदमी पार्टी में शामिल होते ही उन्हें चुनावी दंगल में उतार दिया गया है। जिसका बड़ा फ़ायदा आम को मिल सकता है। कुल मिलाकर लगातार चौथी बात दिल्ली की सत्ता में क़ाबिज़ होने की रेस में पार्टी को इस बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि पार्टी पर पिछले पाँच सालों में कई गंभीर आरोप लगे। सीएम बदलना पड़ा। लेकिन केजरीवाल और उनकी पूरी सभी आरोपों का डटकर सामना भी कर रही है। और जवाब भी दे रही है। यही वजह है कि दिल्ली में वापसी का रास्ता केजरीवाल ने बनाना शुरू कर दिया है। और अब तो पार्टी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को भी नज़रअंदाज़ नहीं कर रही है यही वजह है कि
AAP हर एक सीट का बहुत बारीकी से विश्लेषण कर रही है। विधायकों की परफॉर्मेंस, उनके प्रति जनता का फ़ीडबैक, पार्टी की जीत के चांस और विरोधी उम्मीदवारों से मिलने वाली चुनौती को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार चुने गए हैं।
चुनावों को देखते हुए पार्टी कड़े फ़ैसले लेने से भी झिझक नहीं रही है चर्चा यह भी है कि अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली की जगह इस बार किसी और सीट से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। फ़िलहाल अभीतक जो दो लिस्ट जारी की गई है वो साफ़ संकेत दे रही है कि बदलाव पार्टी में भी किए जा रहे हैं। और उम्मीदवारों में भी। ताकी पिछली बार से ज़्यादा अच्छी जीत इस बार हासिल की जा रही है। बीजेपी को उसी के हथियार से ढ़ेर किया जा सके। आम आदमी पार्टी हर एक कदम चुनौतियों के बीच फूंक फूंककर उठा रही है। जिसका फ़ायदा आने वाले वक़्त में पार्टी को मिल सकता है। और सीटों पर साधी गई रणनीति काम आ सकती है।