वेटलैंड सिटी की लिस्ट में भारत के दो शहर, पीएम मोदी ने दी बधाई
भारत के इंदौर और उदयपुर ने एक बार फिर देश का नाम गौरवान्वित किया है। ये दोनों शहर यूनेस्को के रामसर कन्वेंशन द्वारा "वेटलैंड सिटी" के रूप में मान्यता प्राप्त करने वाले भारत के पहले शहर बने हैं।
Follow Us:
भारत का नाम एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमक उठा है। मध्य प्रदेश के इंदौर और राजस्थान के उदयपुर को दुनिया के 31 वेटलैंड मान्यता प्राप्त शहरों की सूची में शामिल किया गया है। यह उपलब्धि केवल भारत के लिए गर्व का विषय नहीं, बल्कि प्रकृति और विकास के बीच सामंजस्य स्थापित करने का एक बेहतरीन उदाहरण है।
इंदौर, जो पहले ही स्वच्छता के क्षेत्र में सात बार देश में नंबर 1 बन चुका है, और उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है, अब पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। यह पहला मौका है जब भारत के दो शहरों को यूनेस्को के रामसर कन्वेंशन द्वारा वेटलैंड सिटी की मान्यता दी गई है।
वेटलैंड सिटी की मान्यता क्या है?
यूनेस्को के रामसर कन्वेंशन के तहत उन शहरों को वेटलैंड सिटी का दर्जा दिया जाता है, जो अपने क्षेत्र के वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) के संरक्षण और प्रबंधन में उत्कृष्ट योगदान देते हैं। वेटलैंड्स न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं, बल्कि जल संरक्षण, जैव विविधता, और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में भी मदद करते हैं। इंदौर और उदयपुर ने इस दिशा में अपने वेटलैंड्स को संरक्षित करने और उनके महत्व को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। इन प्रयासों का परिणाम है कि दोनों शहरों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए दोनों शहरों को बधाई दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "इंदौर और उदयपुर को वेटलैंड मान्यता प्राप्त शहर बनने पर बधाई! यह उपलब्धि हमारे देश में हरियाली, स्वच्छता, और पर्यावरण-अनुकूल शहरी स्थान बनाने की दिशा में प्रेरणा का काम करेगी।" केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि को साझा करते हुए इसे भारत की पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
इंदौर, जो पहले ही स्वच्छता के क्षेत्र में भारत का आदर्श बन चुका है, उसने अपने वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए कई प्रभावशाली पहल की। जैसे शहर के प्रमुख तालाबों और झीलों की सफाई और पुनर्स्थापन के लिए विशेष अभियान चलाए गए। वेटलैंड संरक्षण में स्थानीय नागरिकों, संस्थाओं और स्कूलों को जोड़ा गया। जल शोधन और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया। झीलों की नगरी का नया अवतार। उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है, ने अपने वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए कई अनूठे कदम उठाए।
यह उपलब्धि क्यों है खास?
यह मान्यता न केवल इंदौर और उदयपुर की वैश्विक स्तर पर ब्रांडिंग को बढ़ावा देगी, बल्कि अन्य भारतीय शहरों को भी अपने वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए प्रेरित करेगी। वेटलैंड्स का संरक्षण आज के समय में इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ये प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़ और सूखे, को रोकने में मदद करते हैं। वहीं, यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी को साथ जोड़ने" की दृष्टि का प्रमाण है। यह दिखाता है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण एक साथ चल सकते हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में वेटलैंड संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी कई शहरों को इस दिशा में काम करने की जरूरत है। इंदौर और उदयपुर की सफलता इस बात का उदाहरण है कि सामुदायिक भागीदारी और सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति से बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। इंदौर और उदयपुर की इस उपलब्धि ने भारत को एक बार फिर दुनिया के नक्शे पर गौरवान्वित किया है। यह साबित करता है कि अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो पर्यावरण संरक्षण और शहरी विकास को संतुलित किया जा सकता है। यह उपलब्धि न केवल इन शहरों की, बल्कि पूरे देश की सफलता है, जो अन्य शहरों को भी प्रेरणा देगी।
"वेटलैंड सिटी" बनने की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि पर्यावरण का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है और इसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।
Advertisement
यह भी पढ़ें
Advertisement