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ऑपरेशन महादेव की कहानी: सैटेलाइट फोन ने दिया अहम सुराग, 14 दिन तक चली कड़ी खोज, अंत में पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड ढेर..

इस ऑपरेशन को सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने बेहद बड़ी सफलता बताया है. तीन आतंकियों को मार गिराना और खासकर पहलगाम जैसे बड़े हमले के पीछे के मास्टरमाइंड को खत्म करना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं. ये साबित करता है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां कितनी कुशलता और तालमेल के साथ काम कर रही हैं.

Image Credit: Army

Operation Mahadev: भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर के लिडवास इलाके में एक बड़ा ऑपरेशन चलाया, जिसका नाम रखा गया ‘ऑपरेशन महादेव’. इस ऑपरेशन में तीन आतंकियों को मार गिराया गया, जिनमें सबसे खास था हाशिम मूसा, जो 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था. इस मिशन का नेतृत्व चिनार कॉर्प्स ने किया और इसे सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है.

चीनी सैटेलाइट फोन से शुरू हुई खोज

ये पूरा मामला तब शुरू हुआ जब 11 जुलाई को बैसरन इलाके में एक चीनी सैटेलाइट फोन से संदिग्ध सिग्नल पकड़ा गया. इस सूचना के बाद सेना, पुलिस और CRPF ने मिलकर इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू किया. स्थानीय लोगों और खुफिया विभाग की मदद से पता चला कि वहां आतंकियों की मौजूदगी हो सकती है.

तलाशी हुई तेज़ 

कुछ दिन बाद एक और संदिग्ध कम्युनिकेशन सिग्नल मिला, जिससे शक पुख्ता हो गया. सेना और सुरक्षा बलों ने अपनी तलाशी और कड़ी कर दी. 14 दिनों से दाचीगाम के जंगलों में 24 राष्ट्रीय राइफल्स, 4 पैरा, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस लगातार गश्त पर थीं. सभी को यकीन था कि जो सिग्नल मिला है, वह किसी बड़े आतंकवादी से जुड़ा है.

तंबू में आराम करते पकड़े गए आतंकी

आखिरकार 28 जुलाई को सुबह करीब 11:30 बजे सेना की टीम को तीन आतंकियों के होने की जानकारी मिली. बिना देर किए, 24 राष्ट्रीय राइफल्स और 4 पैरा की संयुक्त टीम ने तुरंत कार्रवाई की और तीनों आतंकियों को मार गिराया. जानकारी मिली कि ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों से जुड़े थे.सेना सूत्रों के अनुसार, आतंकवादी उस वक्त तंबू के अंदर सो रहे थे. ये मुठभेड़ कोई पहले से तय प्लान नहीं थी, बल्कि अचानक मिली खबर पर फौरन हुई. आतंकी अक्सर घूम-घूम कर थक जाते हैं और सुनसान जगहों पर तंबू लगाकर आराम करते हैं ताकि पकड़े न जाएं, लेकिन इस बार उन्हें मौका नहीं मिला.

हाशिम मूसा ने छुपाई अपनी पहचान

मारे गए आतंकियों में सबसे बड़ा नाम था हाशिम मूसा, जिसे अबू सुलेमान के नाम से भी जाना जाता था. वह पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था. बाकी दो आतंकियों की पहचान यासिर और हमजा उर्फ हैरिस बताई जा रही है. खास बात ये थी कि हाशिम ने पकड़ से बचने के लिए जानबूझकर अपना वजन घटा लिया था ताकि वह आम इंसान की तरह दिखे.

देश के लिए बड़ी कामयाबी

इस ऑपरेशन को सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने बेहद बड़ी सफलता बताया है. तीन आतंकियों को मार गिराना और खासकर पहलगाम जैसे बड़े हमले के पीछे के मास्टरमाइंड को खत्म करना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं. ये साबित करता है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां कितनी कुशलता और तालमेल के साथ काम कर रही हैं. देश की सुरक्षा के लिए ये ऑपरेशन एक मील का पत्थर है.

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