भारत में तो हुई ही, स्विट्जरलैंड में भी फेल हो गई राहुल गांधी की 'खटाखट' स्कीम, सैम के भी विरासत Tax को बिग NO
दुनिया का सबसे अमीर देश, लेकिन समाजवादी-लेफ्ट मॉडल ऑफ गवर्नेंस के लिए पहचाने जाने वाले स्विट्जरलैंड में राहुल गांधी और कांग्रेस की खटाखट स्कीम की तरह ही एक कानून लागू करने का प्रस्ताव धाराशायी हो गया है. राहुल जो खटाखट स्कीम के तहत खाते में पैसे डालने का वादा कर रहे थे और जिनके सलाहकार विरासत टैक्स लागू करने की बात कर रहे थे, वह फेल हो गया है. यानी लोगों ने साफ कह दिया है कि उनका पैसा उनका है, उसका बंटवारा नहीं हो सकता है. यह नहीं हो सकता कि अमीरों से लेकर गरीबों को दे दें.
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राहुल गांधी की योजनाएं और आर्थिक नीतियां भारत में तो फेल हो ही रही थीं, एक लेफ्ट-समाजवादी स्टेट स्विट्जरलैंड में भी मुंह के बल गिरी हैं. यहां की जनता ने भी अपने देश में 'खटाखट' स्कीम को जोरदार झटका दिया है. हो सकता है आप अब तक कन्फ्यूज हो गए हों कि यह क्या माजरा है भाई? आखिर राहुल गांधी की स्कीम दूसरे देश में कैसे मात खा गई? तो चलिए आपको हम खटाखट पूरी खबर बता देते हैं. हुआ यह कि 30 नवंबर 2025 को दुनिया के सबसे अमीर देश स्विट्जरलैंड में एक ऐतिहासिक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें यह बात पूछी गई कि क्या धन का पुनर्वितरण किया जाए या नहीं.
स्विट्जरलैंड में राहुल की खटाखट स्कीम फेल!
फिर मतदान हुए, जिसे 78% से अधिक मतदाताओं ने ‘ना’ में जवाब देकर धाराशायी कर दिया. रिपोर्ट्स की मानें तो यह भी राहुल की 2024 की नकद हस्तांतरण यानी कि राजनीतिक शब्दावली वाली खटाखट योजना से काफी सिमिलर थी.
सैम पित्रोदा का विरासत टैक्स वाला आइडिया भी फुस्स!
आपको बताएं कि राहुल गांधी बीते साल चुनाव प्रचार के दौरान गरीब महिलाओं के खाते में ‘खटाखट’ एक लाख रुपये सालाना डालने का वादा कर रहे थे, वहीं उनके सलाहकार और गांधी परिवार के सबसे करीबी माने जाने वाले सैम पित्रोदा ने भी भारत में इनहेरिटेंस टैक्स यानी कि उत्तराधिकार कर की वकालत की थी. यह वह कर या टैक्स होता है जिसमें किसी मृत व्यक्ति से उसके उत्तराधिकारियों या लाभार्थियों को संपत्ति या संपत्ति के हस्तांतरण पर लगाया जाता है. भारत में फिलहाल इनहेरिटेंस टैक्स लागू नहीं है.
ऐसा ही एक प्रस्ताव स्विट्जरलैंड में भी पेश किया गया था, जहां समाजवादी पार्टियां अरबपतियों की विरासत और बड़े गिफ्ट्स पर 50% इनहेरिटेंस टैक्स लगवाना चाह रही थीं, लेकिन जनता ने साफ नकार दिया और कह दिया कि उनकी संपत्ति का बंटवारा नहीं हो सकता, जो उनका है, उन्हीं का है.
किसने पेश किया था जनमत संग्रह का प्रस्ताव?
मालूम हो कि स्विट्जरलैंड की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा शाखा JUSO ने जनमत संग्रह की शुरुआत की थी. JUSO ने तर्क दिया कि चूंकि देश के सबसे अमीर परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी बेहिसाब संपत्ति अपने वारिसों को सौंपते जा रहे हैं, जबकि आम युवाओं के हिस्से में विरासत के नाम पर जलवायु संकट, बढ़ती महंगाई और आर्थिक अस्थिरता ही आ रही है. इस टैक्स से जुटाई गई धनराशि का उपयोग जलवायु से जुड़ी योजनाओं और परियोजनाओं पर किया जाना था.
क्या था जनमत संग्रह में नारा?
वैसे तो JUSO के कैंपेन को युवाओं से काफी जनसमर्थन मिला. वे इससे भावनात्मक रूप से जुड़े भी, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए. उन्होंने नारा दिया था कि अमीरों को विरासत में अरबों रुपए मिलते हैं, अय्याशी मिलती है, उन्हें तो बस संकट मिलता है. नारा जोरदार था, यूथ की व्यापक भागीदारी के बावजूद इसे व्यापक जनसमर्थन नहीं मिला. लोग स्विट्जरलैंड के आर्थिक मॉडल को जोखिम में डालने वाले विरासत टैक्स के लिए तैयार नहीं हुए.
पहले से ही जनमत संग्रह के प्रस्ताव का विरोध हो रहा था. बैंकिंग सेक्टर, बिजनेस सेक्टर और स्विस सरकार ने चेताया था कि ऐसा टैक्स लगा तो अमीर लोग देश छोड़कर जा सकते हैं और टैक्स कलेक्शन में कमी आ जाएगी. आपको बताएं कि अगर स्विट्जरलैंड में यह जनमत संग्रह पास हो जाता तो सरकार के लिए इस पर कानून बनाना बाध्यकारी हो जाता, क्योंकि इस देश में फैसले कलेक्टिव यानी कि लोगों के मत के अनुसार लिए जाते हैं.
क्या थी राहुल गांधी की खटाखट स्कीम?
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दरअसल, राहुल गांधी ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यहां पर महिला शक्ति योजना के तहत हर महीने महिलाओं के खाते में ‘खटाखट-खटाखट’ दो हजार रुपए डाले जाएंगे. राहुल का कुछ ऐसा अंदाज लोकसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला था. राहुल गांधी ने कहा था कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 1200 रुपए का गैस सिलेंडर 500 रुपए में मुहैया कराया जाएगा. 700 रुपए खटाखट-खटाखट आपके खाते में डाले जाएंगे. सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा लागू करेंगे.
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