'कुछ लोग गाय को पशु ही नहीं मानते....', PM मोदी ने सुनाया एनिमल लवर्स से मुलाकात का किस्सा, कही ऐसी बात कि तालियों से गूंज उठा हॉल
पीएम मोदी ने हाल ही में कुछ एनिमल लवर्स से मुलाकात का जिक्र किया और एक किस्सा शेयर किया. उन्होंने कहा “अभी हाल ही में, मैं कुछ एनिमल लवर्स से मिला था”, जैसे ही उन्होंने ये बात कही, वहां मौजूद लोगों की तालियों से पूरा हॉल गूंज उठा.
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प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में कथित पशु प्रेमियों और उनके सेलेक्टेड एनिमल लव को लेकर इशारों ही इशारों में तगड़ा हमला बोला. उन्होंने इस दौरान एक ऐसी बात कही कि वहां मौजूद लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए और तो और पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.
पीएम मोदी ने सुनाया एनिमल लवर से मुलाकात का किस्सा
दरअसल, अपने संबोधन में पीएम मोदी ने हाल ही में कुछ पशु प्रेमियों से मुलाकात का जिक्र किया और एक किस्सा साझा किया. उन्होंने कहा “अभी हाल ही में, मैं कुछ एनिमल लवर्स से मिला था”, जैसे ही उन्होंने ये बात कही, वहां मौजूद लोगों की तालियों से पूरा हॉल गूंज उठा. लोग हंसने लगे. पीएम मोदी ने इस पर मुस्कुराते हुए पूछा, “आप लोगों को हंसी क्यों आ गई?” इसके बाद उन्होंने आगे कहा, “हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग हैं… जो विशेषकर गाय को पशु नहीं मानते.” बस, इतना सुनते ही पूरा हॉल फिर से ठहाकों से गूंज उठा.
कुत्ते पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था फैसला?
आपको बता दें कि पीएम मोदी का ये बयान उस वक्त आया है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया था, जिसे बाद में इसमें संशोधन कर बस बीमार कुत्तों तक लिमिट कर दिया गया. यह फैसला न सिर्फ देश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना. सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक, लोग दो गुटों में बंट गए थे. एक पक्ष इसे सही बता रहा था, जबकि दूसरा पक्ष इसके खिलाफ खड़ा था. अब लोग पीएम मोदी के इस बयान को इसी से जोड़कर देख रहे हैं.
देश में गाय को लेकर भी बहस होती रही है. ये एक धार्मिक और सियासी मुद्दा भी रहा है. हिंदू धर्म में लोग गाय को मां मानते हैं, इसकी पूजा करते हैं, वहीं एक तबका है जो इसके मांस (बीफ) का भी सेवन करता है. ऐसे में Cow स्लॉटर के मुद्दे पर सियासत होती रही है. इसी कारण पीएम मोदी का ये बयान अहम हो जाता है.
‘भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष बनेगा ज्ञान भारतम मिशन’
प्रधानमंत्री मोदी ने ज्ञान भारतम पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हजारों पीढ़ियों का चिंतन मनन, भारत के महान आचार्यों और विद्वानों का बोध और शोध, हमारी ज्ञान परंपराएं, हमारी वैज्ञानिक धरोहरें, ज्ञान भारतम मिशन के जरिए हम उन्हें डिजिटाइज्ड करने जा रहे हैं. मैं इस मिशन के लिए सभी देशवासियों को बधाई देता हूं.
पीएम मोदी ने कहा कि आज विज्ञान भवन, भारत के स्वर्णिम अतीत के पुनर्जागरण का साक्षी बन रहा है. कुछ ही दिन पहले मैंने ज्ञान भारतम् मिशन की घोषणा की थी, और इतने कम समय में आज हम ज्ञान भारतम् इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर रहे हैं. इससे जुड़ा पोर्टल भी लॉन्च किया गया है. ये एक सरकारी या एकेडेमिक इवेंट नहीं है. ज्ञान भारतम् मिशन, भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष बनने जा रहा है.
‘अत्यंत समृद्ध है भारत की ज्ञान परंपरा’
उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा अत्यंत समृद्ध है, क्योंकि इसकी नींव चार प्रमुख स्तंभ संरक्षण, नवाचार, संवर्धन और अनुकूलन पर टिकी है. आज भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है. करीब 1 करोड़ पांडुलिपियां हमारे पास हैं. इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों पांडुलिपियां जल गईं, लुप्त हो गईं, लेकिन जो बची हैं, वे इसका साक्षी हैं कि ज्ञान और विज्ञान पठन-पाठन के लिए हमारे पूर्वजों की निष्ठा कितनी गहरी और व्यापक थी.
पांडुलिपियां हमारी विविधता में एकता का घोषणा पत्र हैं: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि भारत स्वयं में एक जीवंत प्रवाह है, जिसका निर्माण उसके विचारों, आदर्शों और मूल्यों से हुआ है. भारत की प्राचीन पांडुलिपियों में हमें भारत के निरंतर प्रवाह की रेखाएं देखने को मिलती हैं. ये पांडुलिपियां हमारी विविधता में एकता का घोषणा पत्र भी हैं.
उन्होंने कहा कि भारत से प्राप्त ये पांडुलिपियां मानवता की सामूहिक विकास यात्रा का प्रतीक हैं. इनमें दर्शन और विज्ञान, चिकित्सा और तत्वमीमांसा, कला और खगोल विज्ञान सहित विविध क्षेत्रों का ज्ञान समाहित है. गणित से लेकर बाइनरी-आधारित कंप्यूटर विज्ञान तक, आधुनिक वैज्ञानिक प्रगति का मूल आधार शून्य की अवधारणा में निहित है.
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